डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों इत्तेहाद-ए-मिल्लत कौसिंल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खाँ द्वारा भाजपा की निलम्बित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान के विरोध में बरेली के इस्लामिया मैदान में बुलायी सभा में केन्द्र सरकार पर जो इल्जाम लगाए हैं, वे सभी सरासर गलत और बेबुनियाद हैं। उनका यह बयान देश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला ही नहीं, दुनिया में भारत को बदनाम करने वाला भी है। लेकिन यह अलग बात है कि मौलाना इसकी तोहमत भी प्रधानमंत्री पर लगा रहे हैं। मौलाना तौकीर रजा खाँ ने केन्द्र सरकार पर इल्जाम लगाते हुए कहा कि हम लोग प्रशासन, राज्यपाल या प्रधानमंत्री को ज्ञापन न नहीं देंगे। अगर ज्ञापन देना होगा, तो संयुक्त राष्ट्रसंघ में जाकर देंगे। वहाँ पूरी दुनिया को बताएँगे कि यह बेईमान सरकार मुसलमानों को किस तरह परेशान कर रहीं। मुसलमानों की हिन्दुस्तान में कहीं सुनवायी भी नहीं हो रही और बुलडोजर का इस्तेमाल सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ किया जा रहा है, दरअसल, दुनिया के मुल्कों में भारत का बढ़ता कद देश में एक वर्ग को कतई सुहा/पसन्द नहीं आ रहा है। इसलिए वे लोग किसी न किसी बहाने देश की छवि धूमिल करने में लगे रहते हैं। इनमें मौलाना तौकीर रजा खाँ, एआइएमआइएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी,उनके भाई अकबररुद्दीन ओवैसी समेत उनकी पार्टी प्रवक्ता, सपा के सांसद आजम खाँ, शफीकुरर्हमान बर्क, एस.टी.हसन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारुक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की अध्यक्ष्य महबूबा मुपती,जीमयत-उल-ए-हिन्द’(मदनी गुट)मौलान महमूद मदनी समेत तमाम सियासी नेताओं, शायर, फिल्मी-गैरफिल्मी कलाकर,पत्रकार,लेखक और मजहबी रहनुमा मौलाना, मौलवी शामिल हैं।लेकिन मजे की बात यह है कि ऐसा करने के बाद हमेशा खुद को सेक्युलर बताने के साथ संविधान की दुहाई देते हैं,पर उन्हें राष्ट्रीय ध्वज,राष्ट्रगान,राष्ट्रगीत को सम्मान देने में शरीयत आड़े आ जाती है। वैसे भी इनके लिए मजहब से बढ़कर कुछ नहीं है। इनके इस रवैये पर सवाल खड़े करने वालों को ये पाकिस्तान जाने की नसीहत भी दे डालते हैं।
लेकिन ये लोग उनके हममजहबियों द्वारा हिन्दुओं ढहाये जाने जुल्मों पर हमेशा खामोश ही रहते हैं।जैसे जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं की लक्षित हत्या/टारगेट किलिंग/या देश के किसी दूसरे शहर में हममजहबियों के उपद्रवों पर उनकी मजम्मत करने की जगह उन्हें रोक पाने में सरकार की नाकामी बताने लगते हैं। वैसे अभी जब ये लोग भाजपा की निलम्बित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की गिरपतारी को लेकर देशभर में उपद्रव कराने के साथ-साथ इस्लामिक मुल्कों को अपने देश के खिलाफ भड़काने में जुटे थे। उसी दौरान पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दू मन्दिर को ं नष्ट कर दिया गया। उसी समय जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह(डोडा) में कट्टरपंथियों ने हिन्दू मन्दिर में भी जमकर तोड़फोड़ की। भद्रवाह की मस्जिद से नफरतभरी और भड़काऊ तकरीर दी गईं, जिनमें नूपुर शर्मा की गर्दन काटने की धमकियाँ दी गईं। वैसे ऐसी खुलेआम धमकियाँ उन्हें देशभर के इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा दी गईं, पर पूरे देश और दुनिया के किसी भी खुदा के बन्दे या फिर मानवाधिकारों की दुहाई देने वालों या फिर कथित सेक्युलर/वामपंथियों ने उन्हें गलत नहीं कहा। वैसे भी इनसे निन्दा/मजम्मत की उम्मीद करना ही फिजूल है।
अब फिर आते हैं मौलाना तौकीर रजा खाँ पर उनका अचानक गुस्से में निकला यह बयान नहीं है, बल्कि उनकी खूब सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। फिर ऐसा भड़काऊ उन्होंने कोई पहली बार नहीं दिया। इससे पहले भी कई बार वे हिन्दुओं और देश के सेना को चुनौती देने वाले बयान दे चुके हैं, जहाँ तक कि उनकी केन्द्र सरकार के मुसलमानों के साथ नाइन्साफी को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ में ज्ञापन/शिकायत करने की बात है, तो उनके हममजहबी सपा के वरिष्ठ नेता आजम खाँ भी ऐसी ही धमकी कुछ साल पहले दे चुके हैं। यह कहना गलत नहीं होगा, मौलाना तौकीर रजा खाँ की फितरत में ही मुसलमानों को गैरमजहबियों केे खिलाफ ऐसे भड़कने- उकसाने, लड़ाने-भिड़ाने वाले बयानों के जरिए मजहबी नफरत फैलाना है। लेकिन ताजुब्ब की बात यह है कि फिर भी देश की किसी भी सियासी पार्टी ने मौलाना तौकीर रजा खाँ के इस बेजां और झूठे बयान की मजम्मत करना दूर रहा। किसी भी तरह की टिप्पणी करने की जरूरत तक महसूस नहीं की। क्या इन सभी के लिए सत्ता का लालच, मुल्क के सम्मान से बढ़ कर है? अगर नहीं, तो कम से कम आगे से ऐसे अल्फाज न बोलने के लिए तो ये लोग मौलाना तौकीर रजा खाँ को ताकीद तो कर ही सकते थे, जिनसे दुनिया में अपने मुल्क की शान/इज्जत पर बट्टा लगता हो। वैसे मौलाना तौकीर रजा खाँ की इस बेजां बयान के मामले में भाजपा की खामोशी भी खलने वाली है। पता नहीं क्यों? मौलाना तौकीर रजा खाँ ने अपने इस हद दर्जे के झूठे, बेबुनियाद भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुसलमानों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करने का इल्जाम लगाया है,जबकि हकीकत इससे उलट है। उत्तर प्रदेश में अभी तक सभी धर्म/मजहब,जातियों के उन सभी अपराधियों, माफियों की सम्पत्तियों को बुलडोजर चलाकर ढहाया गया/या फिर जब्त किया है, जिन्होंने सरकारी/गैर सरकारी सम्पत्तियों, जमीनों पर गैर कानूनी तरीकों से उनपर कब्जा किया या अर्जित किया था। केन्द्र और उ.प्र.की सरकार ने किसी जनकल्याणकारी योजना में मुसलमानों के साथ कैसा भी भेदभाव नहीं किया गया है, बल्कि कुछ मामलों में ये लोग हिन्दुओं से अधिक संख्या में लाभार्थी हैं। आएदिन इस्लामिक सियासी नेताओें से लेकर मौलाना, मौलवियों द्वारा हिन्दुओं के आराध्यों का अपमान किया जाता है। फिर भी इनमें से कितनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सजा दी गई,यह ये लोग खुद जानते होंगे ?अगर ऐसा होता,तो क्या मौलाना तौकीर रजा खाँ प्रधानमंत्री को बेईमान कहने की हिमाकत करते? क्या इनसे पहले इमरान मसूद उनकी बोटी-बोटी काटने का बयान देने की जुर्रत करता? लेकिन वक्त का तकाजा यह है कि ऐसे मजहबी नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कानून सम्मत सख्त कार्रवाई तो जरूर की जानी चाहिए।
मौलाना तौकीर रजा खाँ ने केन्द्र सरकार से एक सवाल यह भी किया है कि क्या वह अग्निपथ योजना के विरोध में रेल गाड़ियाँ जलाने वाले हिन्दू युवाओं को सजा देगी? इसका जवाब सरकार दे चुकी है कि जो भी तोड़फोड़ या आगजनी के दोषी होंगे,उन्हें सजा जरूर दी जाएगी। अब ऐसे युवाओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने के बाद उनकी गिरपतारियाँ भी हो रही हैं।
इस बार मौलाना तौकीर रजा खाँ ने मर्यादा की सारी हदें लांघते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ईमानदारी के रास्ते पर चलने के लिए ‘कलमा’ पढ़ने की तक हिदायत दे डाली। क्या दुनियाभर के जिन लोगों ने ‘कलमा’ नहीं पढ़ा, वे ईमानदार नहीं हैं? सिर्फ उनके हममजहबी ही ईमानदार हैं। अगर ऐसा है,तो बहुत अच्छी बात है। वैसे हकीकत में ऐसा है, तो मौलाना तौकीर रजा खाँ को दुनियाभर के मुल्कों के सामने हिन्दुस्तान में मुसलमानों के बारे में अब तक की देश की सरकारों के रवैये और अपने जैसे मौलानाओं, मौलवियों, फिरकापरस्त, कट्टरपंथियों, अपने हममजहबी सियासी नेताओं की मुल्क और हिन्दुओं के साथ किये जानेे वाले अपने बर्ताव की ईमानदारी से हकीकत भी बयां करने को आगे आना चाहिए। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि दुनिया में हिन्दुस्तान अकेला ऐसा मुल्क है, जहाँ अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा हक हासिल हैं। यही अकेला ऐसा मुल्क है,जहाँ इस्लाम मनाने वाले सभी फिरकों के मुसलमाने अमन-चैन से रहते हैं। वह भी पूरी तरह से महफूज हैं। क्या मौलाना तौकीर रजा खाँ बताएँगे कि उनके मजहब को मनाने वालों को दूसरे मजहब के देवी-देवताओं का अपमान करने, उनके आस्था केन्द्र मन्दिरों को तोड़ने का हक किसने दिया है? उन्हें अपने हममजहबी के भाजपा की प्रवक्ता के उनके देवी-देवताओं का अपमान कर उकसाने पर उनकी टिप्पणी पर तो अपने पैगम्बर नजर आया, लेकिन उसका जवाब भी उस प्रवक्ता ने अपनी तरफ से नहीं उनकी मजहबी पुस्तक पढ़कर दिया था। इन्हें अपने पैगम्बर की न सिर्फ बेअदबी, बल्कि उसकी सजा के रूप में सर कलम किया जाना भी जायज दिखायी देने लगा। अब सवाल यह है कि अपने मुल्क में बारे में ऐसे बुनियाद इल्जाम लगाने वालों को कब तक बर्दाश्त किया जाएगा, जो अपने सियासी और मजहबी मकसद के लिए मुल्क के लोगों को लड़ाने-भिड़ाने को हमेशा मौका तलाश रहते है। यहाँ तक कि इसके लिए उन्हें अपने मुल्क को बदनाम करने तक से गुरेज नहीं होता।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054
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