राजनीति

दलित की मौत पर फिर दुहरा रवैया

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों तेलंगाना के हैदराबाद के एलबी नगर में मुस्लिम युवती आशरीन सुल्ताना उर्फ पल्लवी से शादी करने वाले 25 वर्षीय दलित हिन्दू युवक बी.नागराजू की उसके मुस्लिम साले सैय्यद मोबिन अहमद और उसके साथी मोहम्मद मसूद अहमद द्वारा सारे आम 4मई को रात कोई 9बजे जमीन पर घसीट कर पहले राड से पीटने के बाद फिर उसकी चाकू के प्रहार से निर्ममता से हत्या और उस पर देश भर के दलितों के रहनुमाओं और दलित-मुसलमानों की एकता के पैरोकारों की खामोशी बेहद खल रही है। इस दलित युवक के इन हत्यारों ने उसे किसी एकान्त या सुनसान जगह पर नहीं,खुले आम लोगों के सामने मारा, पर भीड़ में से किसी भी बन्दे ने उसे बचने की कोशिश तक नहीं की। ये हत्यारे उसे मार कर आराम से चले गए। आखिर क्यों? क्या वह उनके अपने मजहब का नहीं था ?या फिर उसने उनके मजहब की युवती से मुहब्बत और शादी कर ऐसा गुनाह कर दिया था,जिसकी ऐसी सजा लाजिमी थी? वैसे ऐसे ही गुनाह की सजा दिल्ली में एक हिन्दू युवक मुस्लिम युवती से मुहब्बत कर भुगत चुका है, तब भी सभी सेक्युलर सियासी पार्टियाँ खामोश रही थीं, तब इनमें से किसी ने भी इस ‘मॉब लिचिंग’ नहीं कहा।वैसे मामलों में माकपा नेता वृन्दा करात पता नहीं कहाँ चली जाती हैं?
हैदराबाद की इस घटना ने सैक्युलर को ढोल बजाने तथा दलितोें के हितैषी बताने वालों के इस रवैये ने उनके असली चेहरे को बेनकाब कर दिया है। इन सियासी पार्टियांे की चुप्पी की असल वजह मुस्लिम समुदाय के नाखुश होने का डर है, जिनके एकमुश्त वोट की ये सियासी पार्टियाँ तलबगार हैं। वैसे हकीकत भी यही है कि मुस्लिम और दलितों के एकमुश्त के बूते ही ये पार्टियाँ दशकों से चुनावों में कामयाबी हासिल सत्ता सुख भोगती आयी हैं। इसी सफलता को पाने के लिए ये पार्टियाँ आम चुनावों के वक्त अक्सर भीम और मीम के नारे भी लगाती आयी हैं। इस मामले में अपवाद स्वरूप- आलॅ इण्डिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुसलमीन(एआइएमआइएम)के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जरूर बी.नागराजू की मौत पर बेहद अफसोस और दुःख भी जताया। इसकी भी खास सियासी वजह है, क्योंकि वह भी दूसरे मुस्लिम नेताओं से अलग नहीं हैं, जो अपनी सियासती मकसद के लिए बाकी हिन्दुओं से दलितों को अलग करने का इस्तेमाल करने में लगे हैं। हालाँकि अपरोक्ष रूप यह कहने से बाज नहीं आए कि विवाह/निकाह हिन्दू-हिन्दू,मुसलमान-मुसलमान के साथ होना चाहिए, पर इन दोनों ने कानून तो विवाह कर लिया ही था। ऐसे में यह गलत कदम नहीं उठाना था। इस बीच देश में दलितों की एकमात्र मसीहा साबित करने वाली बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती भी इस मामले में खामोश हैं। यही स्थिति दलितों की दूसरी बड़ी खैरख्बा काँग्रेस की है,जो दलित युवक बी.नागराजू की मुस्लिम युवकों द्वारा हत्या पर अपनी जबान खोल कर मुसलमानों को नाराज नहीं करना चाहती है, क्यों कि ये ही इन दोनों दलों के थोक वोट बैंक है। इसके विपरीत इस हत्या के विरोध में भाजपा ने कैण्डल मार्च निकाला। गत 7मई को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग(एन.सी.एस.सी.)के अध्यक्ष विजय सांपला ने दलित युवक बी.नागराजू के परिवार के सदस्यों से भेंट की और उन्हें हत्यारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। इससे पहले भी एनसीएससी,राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य की राज्यपाल इस घटना पर राज्य सरकार से रिपोर्ट माँग चुके हैं। भाजपा अनुसूचित जाति(एस.सी.)मोर्चा के अध्यक्ष कोप्पू बाशा के नेतृत्व में पार्टी एक प्रतिनिधि मण्डल ने 8मई को राज्यपाल तमिलसाई सौंदरराजन से मुलाकात की और राज्य की पुलिस को इस मामले की विस्तृत जाँच करने का निर्देश देने का आग्रह किया। वैसे भी काँग्रेस, बसपा, सपा, तृणमूल काँग्रेस, माकपा, भाकपा, आप समेत कथित सेक्युलर सियासी पार्टियाँ उस सूबे में सत्तारूढ़ दल, पीड़ित और आरोपित की जाति -धर्म देखकर ही अपना मुँह खोलती आयी हैं। राजस्थान में दलित युवतियों और युवक द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों द्वारा छेड़छाड़, अपहरण, बलात्कार, मारपीट या फिर हत्या किये जाने की खबरें आए दिन छपती रहती हैं,फिर भी इनमंे से कोई भी सियासी पार्टी विरोध जताने को आगे नहीं आती है,क्यों कि यहाँ सत्ता में काँग्रेस है। यहाँ तक कि करौली में नवसंवत्सर की रैली पर मस्जिद से पत्थराब और बाद में आगजनी,लूटपाट तथा हिंसा हुई,पर कोई कुछ नहीं बोला,जिसमें कई दर्जन पुलिसकर्मी तथा लोग घायल हुए थे। इसी तरह 3 अप्रैल को राजस्थान के अजमेर जिले के ब्यावर में सब्जी मण्डी में बीच सड़क पर बाइक खड़ी करने को लेकर दो दुकानदारों में शुरू हुए विवाद ने साम्प्रदायिक रूप ले लिया। इसमें एक समुदाय के दर्जनभर लोगों ने लाठी और लोहे की सरियों से दूसरे समुदाय के दुकानदारों पर हमला कर दिया। इसमें एक दुकानदार की मौत हो गई और उसके दो बेटे घायल हैं। ऐसे ही बूँदी में मुसलमानों ने नवसंवत्सर पर जुलूस नहीं निकलने दिया गया। दुर्भाग्य की बात यह है कि इतने पर भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हिंसा के लिए धार्मिक आधार पर गोलबन्दी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनके कहने का अर्थ तो यही है कि हिन्दुओं को रैली निकालने की क्या आवश्यकता थी? उन्होंने ही मुसलमानों को पथराव और हिंसा करने को उकसाया/भड़काया है। मुख्यमंत्री गहलोत के इस पक्षपाती और अनुचित रवैये के चलते इस्लामिक कट्टरपंथियों के हौसले बुलन्द हैं। उनके इस अनुचित रवैये के कारण जोधपुर में ईद से पहले एक स्मारक पर लगे राष्ट्रीय ध्वज तथा भगवा झण्डे हटा कर वहाँ हरे रंग में चाँद तारा बने सफेद झण्डे लगा दिये, जिसका हिन्दुओं ने विरोध किया। उनके साथ जमकर मारपीट की गई। फिर ईद के दिन नमाज के बाद निकली भीड़ दंगा-फसाद, आगजनी, लूटपाट, हिंसा पर उतर आयी। इसमें पुलिसकर्मियों समेत काफी लोग घायल हुए। इसी 4 मई को भीलवाड़ा में मुस्लिम युवाओं के साथ कुछ हिन्दू युवकों ने मारपीट कर दी।इसके प्रतिकार में 10 मई को मुसलमान युवकों ने हिन्दू युवक आदर्श को चाकुओं से गोद कर मार डाला। सरकार का स्थिति नियंत्रित करने के लिए इण्टरनेट सेवाएँ बन्द करनी पड़ीं। इसी बीच चित्तौड़गढ़ के किले में मुस्लिम ने हिन्दू युवती की चाकू से गोद कर जान ली,जो उसके साथ लिव इन रिलेशन में थी।गत 16अप्रैल को केरल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस)के 45वर्षीय स्वयंसेवक एस.के.श्रीनिवासन की हत्या इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन ‘पीपुल्स फ्रण्ट ऑफ इण्डिया’(पी.एफ.आइ.)और‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इण्डिया( एसडीपीआइ)के सदस्यों ने की है। इस मामले में 20 आरोपति गिरपतार किये जा चुके हैं। इनके मुताबिक इन्होंने यह हत्या अपने नेता सुबैर की मौत का इन्तकाम लेने को की थी।केरल में बड़ी संख्या में हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्याएँ और युवतियों को लव जिहाद के जरिए मतान्तरण कराया जाना आम है, लेकिन केरल की वामपंथी सरकार इन इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कभी सख्त कार्रवाई करने से बचती आयी है। म.प्र. के खरगोन में रामनवमी की शोभा यात्रा पर बड़े पैमान पर पत्थराव के साथ कई मुहल्लों में हिन्दुओं के घरों तथा दुकानों पर हमला कर लूटपाट के साथ-साथ उनमें तथा वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। हिन्दुओं को धमकाया गया कि भाग जाओ नहीं,तो तुम्हारी ये आखिरी रात साबित होगी। इसी क्रम में 16 अप्रैल,शानिवार, शाम दिल्ली जहाँगीरपुरी की सी-ब्लाक स्थित जामा मस्जिद के पास पहुँचने पर हनुमान जयन्ती शोभायात्रा के लोगों से अंसार अपने चार-पाँव साथियों के साथ बहस करते हुए यात्रा रोकने लगा। फिर पत्थराव के साथ फायरिंग की गई। इसमें एक एसआइ के गोली लगने के साथ-साथ 8 पुलिसकर्मी भी घायल हुए। इसी दिन उत्तराखण्ड में रुड़की के पास डाडा जलालपुर गाँव में शनिवार रात को हनुमान जयन्ती की शोभायात्रा पर पथराव किया गया। 17अप्रैल को कर्नाटक के हुबली में इण्टरनेट मीडिया पर एक पोस्ट को लेकर मुस्लिमों की भीड़ ने थाने पर हमला करने के साथ-साथ एक अस्पताल तथा मन्दिर को क्षति पहुँचायी। इसमें 12पुलिसकर्मी घायल हुए तथा धारा 144लागू करनी पड़ी। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद तमाम हिन्दुओं की हत्या और युवतियों के बलात्कार किये जाने में समुदाय विशेष की भूमिका रही हैं,लेकिन भाजपा के अलावा किसी ने भी ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ अपनी आवाज नहीं उठायी। इसके विपरीत उ.प्र.के हाथरस जिले के बूलगढ़ी गाँव वाल्मीकि समाज की युवती के साथ बलात्कार और हत्या किये जाने पर काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी तथा प्रियंका वाड्रा, सपा, बसपा, रालोद, आम आदमी पार्टी, चन्द्रशेखर रावण ने विरोध में उग्र आन्दोलन, प्रदर्शन दौरे किये, क्योंकि आरोपी सवर्ण हिन्दू और राज्य में भाजपा सत्ता में थी। उस समय कई टी.वी. चैनलों के पत्रकारों ने इसी गाँव अपना डेरा जमा लिया था। उसी दौरान उ.प्र.के बलरामपुर में एक दलित युवती के साथ मुस्लिम युवक द्वारा बलात्कार और हत्या किये जाने पर न कहीं कोई विरोध की आवाज सुनायी दी और न ही समाचार पत्रों तथा टी.वी.चैनलों ने उसका समाचार ही छपा और प्रसारित किया। देश में होने वाली किसी भी मौत पर इस तरह का दोगला रवैया सियासी पार्टियों के नेताओं साथ जनसंचार माध्यमों का भी है, जो सूबे में सत्तारूढ़ सियासी पार्टी, मरने और मारने वाले की जाति, धर्म, सम्प्रदाय को देखकर अपनी जबान एवं खबर लिखता और दिखाता आया है, जब तक ये अपने इस अनुचित रवैये को नहीं बदलते, तब तक सामाजिक न्याय और कानून का शासन कामयाब होने की उम्मीद करना बेमानी होगा।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो. नम्बर-9411684054

 

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0106388
This Month : 1709
This Year : 43681

Follow Me