राजनीति

पटियाला का हिन्दुओं-खालिस्तान समर्थकों की हिंसा

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों पंजाब के पटियाला में हिन्दू और खालिस्तान समर्थक संगठनों के बीच हिंसक झड़प अत्यन्त दुःखद, धार्मिक-सामाजिक सौहार्द और देश की एकता-अखण्डता के लिए भी घातक है। यह घटना देश के लिए अशुभ संकेत भी है। क्षोभ की बात यह है कि फिर भी इस घटना के लिए राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से खुद को बचाने में लगी है। उसे वारदात से पहले से पता था कि विदेशों में बसे खालिस्तानियों के आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’(एस.एफ.जे.)के प्रमुख गुरुपतवन्त सिंह पन्नू ने एक वीडियो सन्देश के माध्यम से पंजाब के अपने समर्थकों को 29 अप्रैल को खालिस्तान के समर्थन मंे इसका झण्डा फहराने का आह्वान किया है,इसके बाद भी पंजाब सरकार ने अपेक्षित सर्तकता-सावधानी बरतने के साथ सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए जरूरी इन्तजाम ने किये। जब खालिस्तानियों के झण्डा फहराने के बाद में विरोध में उसी दिन सुबह करीब 10 बजे हिन्दू शिवसेना के के प्रदेश उपाध्यक्ष हरीश सिंगला द्वारा ‘खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च’ निकाला। इसे देखते हुए खालिस्तान समर्थक शिरोमणि अकाली दल(अमृतसर) की अगुवाई में कई संगठन विरोध में आ गए और उन्होंने भी शिवसेना के खिलाफ जुलूस निकला। फिर 11बजे श्रीकाली मन्दिर के बाहर हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं और खालिस्तान समर्थकों का आमना-सामना हो गया।उसके बाद दोनों एक-दूसरे पर पत्थर फेंकने लगे। इसमें निहंगों ने तलवारों से हिन्दुओं और पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया। इसमें एसएचओ समेत 20लोग जख्मी हुए हैं। गत 4मई को सरकार ने पटियाला हिंसा की जाँच के लिए दो विशेष जाँच दल(एसआइटी)का गठन किया है। जहाँ पहली एस.आइ.टी. हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करेगी, वहीं दूसरी एस.आइ.टी. घटना में पुलिस-प्रशासन की भूमिका जाँचेगी। इस दौरान इण्टरनेट मीडिया पर वायरल हुई भाजपा नेता मनजिन्दर सिंह सिरसा और हिंसा की घटना का मास्टर माइण्ड बरजिन्दर सिंह परवाना की तस्वीर का सच जानने के लिए पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है। यह तस्वीर इण्टरनेट मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें परवाना और सिरसा एक साथ खड़े दिखायी दे रहे हैं। पटियाला हिंसा का षड्यंत्रकारी बरजिन्दर सिंह परवाना समेत सात लोगों को गिरपतार किये गए है। बरजिन्दर सिंह परवाना दमदमी टकसाल जत्था राजपुरा का प्रमुख तथा कथावाचक है। अवैध तरीके से हथियार रखने, महिलाओं से मारपीट, हत्या के प्रयास और सरकारी काम में बाधा पहँुचने के आरोप में चार मामले दर्ज हैं।
अब जहाँ तक पटियाला में शिवसेना का सम्बन्ध है,तो यहाँ शिवसेना राष्ट्रवादी, शिवसेना समाजवादी, शिवसेना अखण्ड भारत,शिवसेना हिन्दू भैया आदि है,जिनका बाल ठाकरे द्वारा स्थापित महाराष्ट्र की शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत के अनुसार कोई वास्ता नहीं है।
इसके बाद भी पंजाब सरकार अपने को खुद को बेखबर और बेकसूर साबित करने पर तुली है। इससे उसके कहे कि सच्चाई/हकीकत को स्वयं परख सकते हैं। वैसे पंजाब सरकार इस घटना के लिए हिन्दुओं को खालिस्तान समर्थकों को बराबर का दोषी ठहरा रही है, जो किसी में हालत में मान्य नहीं है। इसकी वजह यह है कि पंजाब में पृथक खालिस्तान मुल्क समर्थन में चला हिंसक आन्दोलन करीब-करीब खत्म हो गया था, वह पिछले एक दशक से फिर से सिर उठा रहा है। यह हकीकत अब पंजाब में किसी से भी छुपी नहीं है। ये खालिस्तान समर्थक इस हिंसक आन्दोलन और इसके प्रमुख जनरैल सिंह भिण्डरावाले के राजनीतिक अस्तित्व को फिर से जिन्दा करने की कोशिश में लगे हैं। सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थल श्रीहरमिन्दर साहिब समेत देश के विभिन्न गुरुद्वारों के निकट बाजारों में भिण्डरावाले की तस्वीर वाली टी शर्ट, खालिस्तानी साहित्य और दूसरे सामनों की खुलेआम बिक्री की जा रही है। गुरुद्वारों में ऐतिहासिक शहीदों के साथ भिण्डरावाले की तस्वीर को भी शामिल किया जा रहा है। हाल के सालों में खालिस्तानी हमले हुए हैं, जिन्हें सुरक्षा बलों ने रोका है। सच्चाई यह है कि हरमिन्दर साहिब में सालों से ‘ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार’ के दिन को ‘काला दिवस’ और ‘भिण्डरावाला के शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। इसकी चाहे सूबे में अकाली दल और भाजपा की साझा सरकार रही हो या फिर काँग्रेस की सरकार दोनों ही जानबूझकर खालिस्तान समर्थकों की करतूतों को अपने सियासी फायदे की वजह से अनदेखी करती आयी हैं। इन्हें यह भी पता है कि इन खालिस्तान समर्थकों को विदेशों विशेष रूप से पाकिस्तान में रह रहे खालिस्तानियों से हर तरह का सहयोग,सहायता और समर्थन मिल रहा है। कनाडा,ब्रिटेन, पश्चिमी यूरोपीय देशों में बसे खालिस्तानी समय-समय खालिस्तान के समर्थन जुलूस-प्रदर्शन भी करते आए हैं। यहाँ तक कि कथित केन्द्रीय कृषि कानूनों के किसान आन्दोलन में खालिस्तानियों की खास भूमिका को भी सभी जानते थे। उस दौरान खालिस्तानियों ने भी अपने छुपाया नहीं, उनके कई टैªक्टरों पर खालिस्तान का चिह्न और उस पर खालिस्तान जिन्दाबाद के नारे भी लिखे थे और निहंगों द्वारा तलवार और भालों से की गई हत्या, जिन्हें कुछ टी.वी.चैनलों ने दिखाया और उसके चित्र समाचार पत्रों ने प्रकाशित किये थे। यहाँ तक कि 26जनवरी को इन कथित किसानों ने विरोध के नाम पर राजधानी सड़कों विशेष रूप से लाल किले पर हिंसा, तोड़फोड़ के साथ अपना धार्मिक/खालिस्तान का झण्डा लाल किले पर फहराया था। फिर भी तमाम सियासी नेताओं और जनसंचार माध्यमों ने इनके देश विरोधी पर कृत्यों पर डालते हुए केन्द्र सरकार को दोषी ठहराने की हर सम्भव कोशिश की थी। अब जहाँ तक कि खालिस्तानी आन्दोलन का सवाल है तो अस्सी के दशक में इनके हिंसक आन्दोलन के दौरान खालिस्तानी खाड़कूओं द्वारा कोई 22हजार हिन्दुओं को मार डाला गया तथा प्रतिष्ठित प्रबुद्धजनों, पत्रकारों,कलाकारों, हिन्दू नेता और खालिस्तान विरोधी सिखों को चुन-चुन कर मारा था, तब इनके डर से बड़ी संख्या में हिन्दू हरियाणा, हिमाचल प्रदेश,राजस्थान, दिल्ली पलायन करने को विवश हुए थे। इसमें उनके विरोधी और पुलिसकर्मियों की भी जानें गई थीं। इन खालिस्तानियों के भय से अपवादस्वरूप कुछ को छोड़कर ज्यादातर सियासी/धार्मिक सिख नेता, लेखक,कवि,कलाकार खामोश ही रहे थे उस दौरान खालिस्तानी अपने प्रमुख जनरैल सिंह भिण्डरवाले के साथ हरमिन्दर साहिब में डेरा जमाये हुए थे। इन्हें निकालने के लिए सेना को ‘ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार’ करने को मजबूर होना पड़ा। इसमें बड़ी संख्या खालिस्तानी भी मारे गए। इसके विरोध में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी को उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा गोलियों से भून दिया। तब खालिस्तानियों के जुल्मों से आक्रोशित काँग्रेस समर्थकों समेत हिन्दुओं ने दिल्ली और देश कई नगरों सिखों पर हिंसक हमले किये, जिनमें हजारों की संख्या सिखों की जानें गईं। उसके बाद कुछ विभिन्न पदों पर बैठे कुछ सिखों ने कई जगह विद्रोही तेवर दिखाये। खालिस्तान आन्दोलन पर नकेल लगाने और उसके विरोध करने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ काँग्रेस के नेता बेअन्त सिंह तथा ब्ल्यू स्टार का नेतृत्व करने वाले सेवानिवृत थलसेनाध्यक्ष महाराष्ट्र में उनके निवास पर जाकर खालिस्तानियों द्वारा मार दिये गए। खालिस्तान विरोधी काँग्रेसी नेता मनन्दिरजीत सिंह बिट्टा पर कई बार खालिस्तानियों ने बमों से जानलेवा हमला किये,जिनसे वह विकलांग हो गए।आज वे एण्टी टैरिस्ट्स संगठन संचालित कर रहे हैं। सम्भवतः वर्तमान में केन्द्र सरकार भी चीन और पाकिस्तान जैसे देशों खतरनाक दुश्मनों से जूझने के चलते हुए खालिस्तानियों को झेड़ने से बचती आयी है। वैसे नवम्बर, 2019को गुरुनानक देव की 550वीं जयन्ती से तीन पहले करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन हुआ तो सिखों में खुशी की लहर दौड़ गयी,तब भारतीय सुरक्षा एजेन्सियों आशंका व्यक्त की थी, कहीं यह ‘खालिस्तान कॉरिडोर’ न बन जाए। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान शुरू से ही खालिस्तानियों की सहायता कर सन् 1971की अपनी पराजय का बदला लेना चाहता था,जिसमें भारत ने उसके पूर्वी पाकिस्तान के मुक्ति सेना को मदद देकर उसे ‘आजाद बांग्लादेश’ में तब्दील किया था। पाकिस्तान में कई खालिस्तानी रह रहे हैं और पाकिस्तान की गुप्तचर एजेन्सी आइ.एस.आइ. खुलकर खालिस्तनियों की सहायता करती आयी है। इसमें चीन भी इनकी मदद करता आया है। पाकिस्तान द्वारा ड्रोनों के जरिए पंजाब में हथियार तथा मादक पदार्थ भेजे जाने की घटनाएँ तो आए दिन होती रहती हैं।
यह सब जानते हुए पंजाब की काँग्रेस के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब पंजाब के दौरे के समय थे, पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं की थी,जबकि खालिस्तानी उनकी जान के दुश्मन बने हुए हैं। जहाँ तक आम आदमी पार्टी(आप) का प्रश्न है तो वह सियासी फायदे के लिए खालिस्तानियों से सहयोग-सहायता लेती और देती आयी है। उन्हें मदद देने की आड़ में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल किसान आन्दोलनकारियों को हर तरह मदद और उन्हें खुलकर समर्थन देते रहे। कहा जाता है कि फिर विधान चुनाव में देश-विदेशी में रह रहे खालिस्तानियों ने उनकी पार्टी को भरपूर समर्थन और धन से सहायता की। ऐसे में आप की वर्तमान पंजाब सरकार से खालिस्तानियों के साथ नरम रवैया चौंकाता नहीं है। अगर यह सरकार अपनी इस रीति-नीति में बदलाव नहीं करती,तो पंजाब और देश को इसकी बहुत बढ़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। ऐसे में पंजाब सरकार को अपने सियासी नफा-नुकासन की चिन्ता छोड़कर सूबे और देश हित में खालिस्तानियों के साथ सख्त कार्रवाई करने से हिचक नहीं चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो. नम्बर-9411684054

 

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