डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
इस्लाम में रमजान के महीना सबसे पाक माना और समझा जाता है, इसी महीने में पवित्र कुरान उतरा है जो सारी इन्सानियत/मानवता तथा सच्चाई का रास्ता दिखाता है। कुरान अमन/शान्ति का पैगाम देता है। इस्लाम के मानने वाले अपनी आत्मिक शुद्धि के लिए रोजा (उपवास) रखते हैं और बुराइयों से तौबा करने के साथ-साथ बुरे ख्याल तक मन में नहीं आने देते हैं। अफसोस की बात यह है कि फिर भी खुद को मुजाहिद बताने वालों को दुनियाभर में मजहबी सियासत के लिए पाक महीने रमजान में बेकसूरों हममजहबी और गैर इस्लामिकों का खून बहाने तथा उनकी जान लेने से कोई गुरेज नहीं है। इतना ही, इनका खौफ कहें या कुछ और जिसकी वजह से मजहबी रहनुमा भी खामोश रहते हैं। इनके दोहरे रवैये को अपने देश और दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी देखा जा सकता हैं। इस पाक माह में खून-खराबे का सिलसिला दो अप्रैल से शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है। इनमें कुछ वारदातें इस प्रकार हैं-दो अप्रैल को नवसंवत्सर पर शाम को राजस्थान के करौली मंे हिन्दूवादी
संगठनों द्वारा निकाली जा रही बाइक रैली पर हटवाड़ा बाजार में पत्थराव, दुकानों में लूट और वाहनों को जलाया गया , जिसमंे 42लोग घायल हुए।बाद पुलिस-प्रशासन को स्थिति पर नियंत्रण पाने लिए इस नगर में कपर्यू तथा इण्टरनेट सेवा बन्द करनी पड़ी। फिर तीन अप्रैल यानी पाक रमजान के पहले दिन शाम को साढ़े सात बजे गोरखपुर स्थित नाथ सम्प्रदाय की सर्वोच्च पीठ गोरखनाथ मन्दिर पर कैमिकल इंजीनियर अहमद मुर्तजा अब्बास ने ‘अल्लाह -हो-अकबर‘ का नारा लगाते हुए सुरक्षाकर्मियों पर दाव(धारदार हथियार)से हमला कर उन्हें घायल कर दिया, जिसे बाद में गिरपतार कर लिया गया। जाँच में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दहशतगर्द संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’(आइ.एस.)जड़ा पाया गया। इसी दिन राजस्थान के ब्यावर नगर की सब्जी मण्डी में बीच सड़क पर बाइक रखने के विवाद ने साम्प्रदायिक रूप ले लिया। एक सम्प्रदाय के दर्जन लोगों ने लाठी और सारियों से दूसरे सम्प्रदाय के दुकानदारों पर हमला कर दिया, जिसमें एक दुकानदार की मौत हो गई तथा उसके दो बेटे घायल हो गए।
पाक रमजान के पहले दिन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जब लोग इशा की नमाज के लिए मस्जिद जा रहे थे, तभी दहशतगर्दों ने हिमाचल के नूरपुर से पोल्ट्री लेकर आए ट्रक चालक और सहचालक को गोली मार कर जख्मी कर दिया। फिर अगले दिन पुलवामा में ही दहशतगर्दों ने बिहार के दो मजदूरों को गोली मार कर घायल कर दिया। इस वारदात के कुछ देर बाद इन्होंने श्रीनगर में केन्द्रीय आरक्षित पुलिस बल(सीआरपीएफ)कर्मियों पर हमला कर एक की जान ले ली और दूसरे को जख्मी कर दिया। फिर रात होते ही दहशतगर्दों ने शोपियां में कश्मीर हिन्दू बालकृष्ण को गोली मार कर जख्मी कर दिया। पाक रमजान के पहले दो दिन में जम्मू-कश्मीर में चार दहश्तगर्दों के हमलों ने फिर साबित कर दिया कि इस्लाम के सबसे पाक माह माने जाने वाला यह महीना उनके लिए कोई माने नहीं रखता। यह पहला मौका नहीं है, जब रमजान में खून बहाया गया हो। इसी 4अप्रैल को बांग्लादेश में एक दाढ़ी वाले पुलिस कान्स्टेेबल नजमुल तारिक ने ढाका के तेजगाँव काॅलेज की थिएटर एण्ड मीडिया स्टडीज की प्रवक्ता लता समदर के बिन्दी लगाने पर प्रताड़ित करते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग और उन पर शारीरिक रूप से हमला किया। इसे महिला की शिकायत पर उसे गिरपतार कर लिया गया। मध्य प्रदेश के रीवा में 4 अप्रैल को ही कव्वाल शरीफ परवाज (नवाज परवाज) गिरपतार कर जेल भेजा गया, जिसने 26 मार्च को मनगवां में उर्स के दौरान देश के खिलाफ जहर उगला था। रमजान माह के शुरू में 4अप्रैल को पुराने काबुल शहर के मध्य स्थित सबसे बड़ी और अट्ठारहवीं सदी की ‘पुल-ए-खिश्ती मस्जिद’ पर दोपहर की नमाज के दौरान हथगोला फेंक कर हमला किया गया, जिसमें छह लोग घायल हुए थे। इससे पहले इसी इलाके में शहर के एक बाजार में ग्रेनेड हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 59 लोग जख्मी हुए थे। इसी तरह 10अप्रैल रामनवमी को देश के कई राज्यों में म.प्र.के खरगोन ,बड़वानी के सेंधवा, झारखण्ड के लोहरदगा, गुजरात के हिम्मत नगर तथा खम्भात में शोभा यात्राओं पर पत्थराव,आगजन की घटनाएँ घटीं। म.प्र. के खरगोन में शोभा यात्रा पर बड़े पैमान पर पत्थराव के साथ कई मुहल्लों में हिन्दुओं के घरों तथा दुकानों पर हमला कर लूटपाट के साथ-साथ उनमें तथा वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। हिन्दुओं को धमकाया गया कि भाग जाओ नहीं,तो तुम्हारी ये आखिरी रात साबित होगी। इसी क्रम में 16 अप्रैल,शानिवार, शाम दिल्ली जहाँगीरपुरी की सी-ब्लाक स्थित जामा मस्जिद के पास पहुँचने पर हनुमान जयन्ती शोभायात्रा के लोगों से अंसार अपने चार-पाँव साथियों के साथ बहस करते हुए यात्रा रोकने लगा। फिर पत्थराव के साथ फायरिंग की गई। इसमें एक एसआइ के गोली लगने के साथ-साथ 8 पुलिसकर्मी भी घायल हुए। इसी दिन उत्तराखण्ड में रुड़की के पास डाडा जलालपुर गाँव में शनिवार रात को हनुमान जयन्ती की शोभायात्रा पर पथराव किया गया। 17अप्रैल को कर्नाटक के हुबली में इण्टरनेट मीडिया पर एक पोस्ट को लेकर मुस्लिमों की भीड़ ने थाने पर हमला करने के साथ-साथ एक अस्पताल तथा मन्दिर को क्षति पहुँचायी। इसमें 12पुलिसकर्मी घायल हुए तथा धारा 144लागू करनी पड़ी।
इसी तरह 19अप्रैल-उत्तर प्रदेश के गोण्डा-लाउडस्पीकर को लेकर चल रहे विवाद की नई कड़ी में कुछ कट्टरपंथियों ने भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व जिला महामंत्री मुहम्मद लुकमान और उनके छोटे भाई सरफराज को काफिर कहते हुए उनकी पिटाई कर दी। इसी 21 अप्रैल-‘लश्कर-ए-तैयबा का दुर्दांत और 12लाख के इनामी आतंकवादी युसुफ कांतरु अपने दो साथियों समेत परिसवानी(बारामुला)में हुई मुठभेड़ में मार गया। अगले दिन उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले के परिसवानी में बुधवार-गुरुवार को रात में शुरू हुई मुठभेड़ में ‘लश्कर-ए-तैयबा’के तीन आतंकवादी मारे गए।
फिर अगले दिन 22 अप्रैल को अफगानिस्तान के उत्तर कुन्दुज प्रान्त के इमाम साहिब जिले में मावलवी सिकन्दर मस्जिद और एक मदरसे में बम विस्फोट हुए। इनमें 33 लोगों को मौत और 43 लोग जख्मी भी हुए हंै। इससे एक दिन पहले इस मुल्क में इन्हीं दहशतगर्दों ने तीन बम विस्फोट किये गए। पहला विस्फोट उत्तरी मजार-ए-शरीफ में एक शिया मस्जिद के अन्दर हुआ, तब नमाज पढ़ी जा रही थी। इसमें 12 लोग मारे गए और 40 से ज्यादा घायल हो गए। इसी दिन राजधानी काबुल में एक स्कूल के समीप बम फटा, जिससे शिया बहुल इलाके में दो बच्चे भी घायल हो गए।
इजरायल में यरुशलम में यहूदियों और मुसलमानों दोनों के लिए ही संवेदनशील यरुशलम के एक धर्मस्थल के बाहरी दरवाजे तैनात इजरायली पुलिस कर्मियों पर फलस्तीनी युवाओं ने इसी 22अप्रैल को पत्थरबाजी की। इसके जवाब में दंगारोधी इजरायली पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। इसमें 31से अधिक फलस्तीनी घायल हुए है। फिर 23 अप्रैल को श्रीनगर सुरक्षा बलों ने पाकिस्तानी सहित ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के दो आतंकवादियों को कुलगाम में मार गिराया। इसके बाद 26अप्रैल का पाकिस्तान के कराची में विश्वविद्यालय में ‘बलूच लिबरेशन आर्मी‘ की एक बुर्कापोश महिला ने आत्मघाती हमलावार ने वैन के समीप खुद का धमाके से उड़ा लिया, जिससे तीन चीनी नागरिक और उनका पाकिस्तानी चालक मारा गया और दो अन्य जख्मी हुए हैं। 27अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के मित्रीगाम(पुलवामा)में सुरक्षा बलों की दहशतगर्दों से मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया और सैन्यकर्मी जख्मी हुआ। मजहबी नफरत फैलाने में मजहबी तथा सियासी नेता भी पीछे नहीं रहे। 21अप्रैल को दिल्ली में बुलडोजर के विरोध पर ‘इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउसिंल (आइएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खाँ ने धमकी देते हुए कहा कि ईद के बाद देशव्यापी जेल भरो आन्दोलन होगा। यदि मुसलमान सड़कों पर उतरे तो किसी से सम्हालेंगे नहीं।’’उन्होंने मुसलमान पसन्द सांसद, विधायकों से अपील कर डाली ,‘‘वे इस्तीफ देकर सड़कों पर उतर आएँ।’’ सपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा,‘‘ अगर मस्जिद पर किसी ने जल चढ़ाया,तो खून बहा देंगे।’’
वैसे कश्मीर में दहशतगर्दी और खूनखराबे का 32 सालांे का इतिहास बताता है कि रमजान रक्तरंजित( खूरेंज) ही रहा है। इस हकीकत को जानते-बूझते भी सियासी वजहों से सुरक्षा बलों पर रमजान में घुसपैठिये दहशतगर्दों के खिलाफ अपनी मुहिम को बन्द करने का दबाव बनाया जाता रहा है। जब-जब इस तरह की कोशिशें हुईं, दहशतगर्दों के हौसले और बढ़ जाते थे। वैसे रमजान में दहशतगर्दों के हमलों में तेजी दो वजहों से होती है । पहला जिहाद और दूसरा सुरक्षा तंत्र की ढिलाई। यह दहशतगर्द आज तक इस माह की पवित्रता को नहीं समझ पाए। इसके अलावा रमजान के दौरान आम लोगों को सुविधा के लिए सुरक्षा प्रबन्धों में दी गई राहत का भी दहशतगर्द फायदा उठाते हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अशकूर वानी ने कहना है कि अगर आप आंकड़ों का अध्ययन करेंगे,तो पाएँगे कि सन् 2000से 2018तक रमजान में जंगबन्दी के दौरान करीब 210 सुरक्षाकर्मी लोग मारे गए। अन्तिम बार रमजान में जंगबन्दी का ऐलान 2018 में हुआ था, तब दहशतगर्दों ने इसका जवाब 17 मई, 2018 को बांडीपोर में एक युवक की निर्मम हत्या कर दिया।
ऐसे में इस्लाम के मजहबी रहनुमा/मुल्ला-मौलवियों के साथ-साथ सियासी नेताओं से सवाल यह है कि उन्होंने आज तक रमजान के पाक माह में होने वाली हमजहबियों और गैर मजहब के बेकसूर लोगों का खून बहाने वालों के खिलाफ अपनी जुबान क्यों नहीं खोली?इसके विपरीत इन मुस्लिम नेताओं ने अपने हमजहबियों को बचाव करते हुए अपनों को पीड़ित साबित करने की पुरजोर कोशिश की है। ऐसे में यह सवाल मौजूं है कि क्या उनके लिए मजहबी सियासती मकसद असल मजहबी मकसद के ऊपर है, जो अमन, इन्सानियत, सच्चाई, रहम, कमजोरों की मदद करने का उन्हें पैगाम देता है? ऐसे में जब तक इस्लाम मानने वाले इनद दहशतगर्दों की मजम्मत और मुखालफत को आगे नहीं आते,तब तक दुनियाभर में इस्लाम और उनके मानने वालों के बारे में मौजूदा राय/धारणा बदलना आसान नहीं है, जो उनके द्वारा मामूली-सी बातों पर असहिष्णुता दिखाने और खूनखराबा करने पर उतारू रहने से बनी है।
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो. नम्बर-9411684054
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