डॉ.बचन सिंह सिकरवार
इन दिनों कर्नाटक में एक सरकारी स्कूल में ‘हिजाब’ पहनने सेे रोके जाने के बाद अचानक जिस तरह हिजाब पहन कर ही स्कूलों में आने की जिद को लेकर पूरे देश में आन्दोलन शुरू हो गए और ऐसा किये जाने को मुस्लिमों की आजादी पर पाबन्दी/भेदभाव किये जाने के रूप में दुनियाभर में बड़े पैमाने पर प्रचारित किया जा रहा है, इस पर आश्चर्य होना स्वाभाविक है। वैसे भी देश के स्वतंत्र होने के बाद से स्त्रियों के सशक्तिकरण के लिए उन्हें घंघूट का परित्याग करने को कहा जाता रहा है। अब कई इस्लामिक मुल्कों में भी बड़ी संख्या में महिलाएँ बुर्का, हिजाब छोड़ चुकी हैं। ईरान में तो बाकायदा मुस्लिम महिलाओं द्वारा बुर्के/हिजाब न पहनने को लेकर मुहिम चलायी हुई है। अफगानिस्तान में भी इस्लामिक कट्टरपन्थी दहशतगर्द संगठन ‘तालिबान’ गत अगस्त माह में सत्ता में आने के बाद से बुर्का न पहनने वाली खातूनों/महिलाओं को कोड़ मार-मार कर उन्हें पहनने को मजबूर कर रहा ह,ै फिर भी वे उसकी मुखालफत कर रही हैं। दुनिया के दूसरे मुल्कों ब्रिटेन, फ्रान्स, कनाड़ा, जर्मनी, डेनमार्क आदि में रहे मुस्लिम महिलाओं को बुर्का, हिजाब पहनने पर पाबन्दी है। दुनिया में जहाँ मुस्लिम महिलाएँ बुर्के, हिजाब से बाहर आ रही हैं, वहीं पंथनिरपेक्ष और प्रगतिशील भारत में मुस्लिम युवतियों की बुर्के, हिजाब पहनने की जिद समझ के बाहर है। फिर जिस तरह से हिजाब पहन कर स्कूल/कॉलेज आने का यह आन्दोलन पूरे देश में फैला है, वह किसी बड़ी साजिश की नतीजा लगता है, क्योंकि इसे ‘नागरिकता संशोधन कानून’(सी.ए.ए.)की तर्ज पर बेवजह फैलाया जा रहा है। इसके हिमायतियों और भड़काने/उकसाने में अब वे ही लोग नजर आ रहे हैं, जो सी.ए.ए.की मुखालफत में लगे हुए थे। वैसे अब इस आन्दोलन के पीछे संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले ‘कैम्पस फ्रण्ट ऑफ इण्डिया’ का हाथ बताया जा रहा है, जो ‘पापुलर फ्रण्ट ऑफ इण्डिया’ की छात्र शाखा है। यह प्रतिबन्धित कुख्यात संगठन ‘इण्डिय मुस्लिम स्टूडेण्ट मूवमेण्ट ऑफ इण्डिया’ (सिमी)का बदला हुआ नाम है। सिमी ने देश में कई जगह बम विस्फोट और दंगे कराये थे।
हमेशा की तरह ये इस्लामिक कट्टरपंथी,मुल्ला,मौलवी,सियासी रहनुमा बेशर्मी से खुद को सेक्युलर ,भारतीय संविधान में भरोसा करने वाला और स्कूल/कॉलेजों निर्धारित डेªस पहन कर आने तथा हिजाब को स्कूल/कॉलेज में पहनने का विरोध करने वालों को फिरकापस्त/साम्प्रदायिक/गुण्डा/बदमाश बता रहे हैं। जहाँ हिजाब पहनने की जिद करने वाली और अपने मजहबी नारे को लगाने वाली छात्रा को शेरनी, वहीं उसके विरोध करने वाले अपना धार्मिक नारा लगाने वालों को गरियाते हुए उन्हें गीदड़ बता रहे हैं। ये लोग स्कूलों/कॉलेजों में हिजाब पहनना अपना संवैधानिक अधिकार/हक और हिजाब पहना मजहब का हिस्सा साबित कर रहे हैं। अब हिजाब विवाद कर्नाटक उच्च (हाईकोर्ट)में चला गया, जहाँ इसे एकलपीठ ने निर्णय हेतु मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ के पास भेज दिया है, हालाँकि एकल पीठ ने यह जरूर कहा कि फैसले कानून से होते हैं, भावनाओं से नहीं।
अब यहाँ काँग्रेस जैसे कथित राष्ट्रीय और पंथनिरपेक्ष/सेक्युलर राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेताओं द्वारा हिजाब पहनने को संवैधानिक अधिकार बताकर उसकी हिमायत किया जाना अनायास नहीं है,वह जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धित अनुच्छेद 370तथा 35ए हटाने,तीन तलाक निरोधक कानून,सीएए का भी विरोध कर अपनी तुष्टिकरण नीति को पहले ही जाहिर कर चुकी है । ऐसे ही राजद के संस्थापक लालू प्रसाद ने हिजाब की तरफदारी करते हुए इसकी पाबन्दी पर गृहयुद्ध की आशंका जतायी है। इन सभी के इस रवैये पर उन कुछ लोगों को हैरानी-परेशानी जरूर हो रही होगी, जो सेक्युरिज्म/पंथनिरपेक्षता की ओट में ईसाई मिशनरियों/मुस्लिम कट्टरपंथियों मतान्तरण और दूसरे तरीकों से इस देश का स्वरूप बदलने/तोड़ने की साजिश से अनजान है या फिर निहित स्वार्थों के कारण चुप्पी साधे रखे हुए हैं। देश के स्वतंत्र होने के बाद से मुसलमानों की हमदर्द और राष्ट्रीयता और हिन्दू हित की बात करने वालों को साप्रदायिक बता कर उनका एक मुश्त वोट हासिल कर सत्ता पाने के लिए काँग्रेस इस साजिश में शामिल रही है। उसकी देखा-देखी दूसरी सियासी पार्टियाँ-सपा, बसपा, राजद,टीएमसी,एनसीपी आदि अपने-अपने इलाकों में भी यही सब करती आयी हैं। यहाँ तक कि इन सभी के लिए जहाँ इण्डियन मुस्लिम लीग, ऑल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन, केरल काँग्रेस (ईसाइयों का दल) सेक्युलर हैं, वहीं सपा, बसपा, अपना दल,निषाद पार्टी जैसी पूरी तरह जातिवादी पार्टियों में भी कोई खोट नहीं है।
अब जहाँ तक कर्नाटक में हिजाब विवाद का प्रश्न है तो यहाँ ‘शिक्षा अधिनियम’-1983 की धारा 133(2)के तहत शिक्षण संस्थानों में डेªस कोड का प्रावधान है कि उनमें शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र/छात्राओं को उस शिक्षण संस्थान द्वारा निर्धारित पोशाक ही पहनकर आना अनिवार्य है। वर्तमान विवाद की शुरुआत इस राज्य के उडुपी जिले के मणिपाल स्थित ‘महात्मा गाँधी मेमोरियल कॉलेज’ से दिसम्बर माह से हुई, जब छह छात्राओं ने हिजाब पहन कर कक्षा में प्रवेश करने की शुरुआत की, जिस पर कॉलेज प्रशासन ने उन्हें रोका। धीरे-धीरे उनकी देखा-देखी दूसरी मुस्लिम छात्राओं ने भी हिजाब पहनकर ही कॉलेज आने की जिद की,तो हिन्दू छात्र-छात्राओं ने इसके विरोध में भगवा पटका या शॉल ओढ़ कर आना शुरू कर दिया। इसी 8फरवरी को मुस्कान नामक मुस्लिम छात्रा जब हिजाब पहन कर कॉलेज में आयी, तब वहाँ भगवा पटका पहने और जयश्रीराम के नारे लगाते हुए 20-25 हिन्दू छात्रों ने उसे रोकने का प्रयास किया, तब मुस्कान ने बदले में ‘अल्लाह हु अकबर’नारे लगाते हुए कक्षा में चली गई। इस घटना के वीडियो को काँग्रेस के नेता श्रीनिवास ने उस मुस्लिम छात्रा की तरफदारी करते हुए वायरल कर दिया। उसके बाद जहाँ लोकसभा में काँग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कर्नाटक के हिजाब विवाद पर केन्द्र सरकार से जवाब देने की माँग की और आरोप लगाया कि सदन में सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात करते है, लेकिन देश में कुछ जगह मजहब के आधार पर घिनौनी कार्रवाई हो रही है, वहीं काँग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने सरकार से स्कूल/कॉलेजों अवकाश घोषित करने का आग्रह किया। एआइएमआइएम के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक के हिजाब विवाद और हिजाब पहने छात्रा मुस्कान की तरफदारी और उसकी बहादुरी की तारीफ करते हुए कहा कि मुस्लिम औरतें क्या पहननेगी कोई दूसरा तय नहीं करेगा। उन्होंने मुसलमानों को भड़काते हुए कहा कि अगर तुम आज झुक जाओगे, तो हमेशा के लिए झुक जाओगे। इसी तरह जहाँ पी.डी.पी.की नेता/जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुपती ने आरोप लगाते हुए इसे भाजपा द्वारा चुनाव के लिए धु्रवीकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। एक मुस्लिम लड़की दिनदहाड़े बिना नतीजे के डर के परेशान करता दिखाता हैकि ऐसे गुण्डों को सत्ता में बैठे लोगों का संरक्षण प्राप्त है,लेकिन यह आरोप लगाते हुए वह अलगाववादी युवकों द्वारा पाकिस्तान और दहशतगर्द इस्लामिक संगठन ‘आइ.एस.के झण्डे लहराते हुए पाकिस्तान जिन्दाबाद,हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए सुरक्षा बलों पर पत्थर फंेकने वालों की कैसी हिमायत करती थी,यह उन्हें याद नहीं है,वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने तंज कसते हुए कहा कि कितने हिम्मत वाले हैं ये लड़के और एक नौजवान लड़की को निशाना बनाकर खुद को मर्द समझते हैं।आज देश में आज मुसलमानों के खिलाफ नफरत आम हो गई। अब हमारे देश में विविधता की सम्भव नहीं रह गइ है। इसकी वजह क्या है?यह जानने के लिए उमर अब्दुल्ला को अपने गिरबाने में नजर जरूर डालनी चाहिए। इधर काँग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा ने हिजाब पहनने का समर्थन करते हुए कहा कि बिकनी, घूंघट,जींस, यह एक महिला का अधिकार है कि तय करे कि क्या पहनाना है?क्या वह बतायेंगी कि वह जिस स्कूल में पढ़ी थीं, क्या वहाँ बगैर डेªस कोड का पालन कर पढ़ने जाती थीं? उधर कर्नाटक के स्थानीय काँग्रेस नेता इब्राहिम खान कहा कोई भी हिजाब का विरोध करेगा, उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिये जाएँगे। यहीं के वरिष्ठ काँग्रेसी नेता बासवराज रायारेड्डी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की माँग की है, क्योकि राज्य सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति सम्हालने में विफल रही है। भोपाल में काँग्रेस आरिफ महमूद ने हिजाब पहनाकर छात्रओं को क्रिकेट और फुटबाल मैच खेल कर इसे पहनने का समर्थन किया।
उक्त बयानों से स्पष्ट है कि हिजाब पहनने के बहाने केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकार को नाकाम और देश को बदनाम कौन करना चाहता है? इस मुद्दे पर देश का कानून क्या कहता है? यह भी इन्हें अच्छी तरह पता है, क्यों कि धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में उन्हीं चीजों और रीति-रिवाजों को मान्यता दी जा सकती है, जो धर्म का अभिन्न अंग हिस्सा हों। विधि विशेषज्ञों के अनुसार पहनावा धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं होता। कॉलेज/किसी संस्था में लागू डेªस कोड को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ नहीं माना जा सकता। अब इस मामले में उच्च न्यायालय का क्या निर्णय आएगा,यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इस मसले ने उन सियासी पार्टियों, उनके नेताओं और दूसरे लोगों के चेहरोें से सेक्युरिज्म का नकाब हटा दिया, जिन्हें दूसरों पर साम्प्रदायिकता फैलाने का झूठा आरोप लगाकर अपना सियासत चमकाने के लिए देश को बदनाम और इन्सानियत का खून बहाने में कतई संकोच नहीं होता।
सम्पर्क- डॉ. बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर, आगरा- 282003 मो.नम्बर-9411684054
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