डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों पश्चिम अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित राष्ट्रपति राॅश मार्क क्रिश्चयन काबोरे की सरकार को सेना द्वारा तख्ता पलट कर दिया, जिसकी सबसे बड़ी वजह इस्लामिक दहशतगर्द संगठन ‘अलकायदा’ और ‘इस्लामिक स्टेट’के जिहादियों के हमलों और उनकी दहशतगर्दी पर लगाम लगाने तथा उनसे निपटने में उनकी सरकार की नाकामी बताया जा रहा है। दूसरा कारण देश की गरीबी है और उसके उन्मूलन में भी उनका विफल रहना रहा है। हाल के सालों में इस मुल्क पर ‘अलकायदा’ और ‘इस्लामिक स्टेट’ समूह के हमले बहुत बढ़ गए हैं। हाल के वर्षों में यहाँ हजारों लोग मारे जा चुके हैं, जो कोई 15 सालों में बड़ी संख्या में वे अपना घर-द्वार छोड़ने का मजबूर हुए हैं। बुर्किना फासो के लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। फिर भी सरकार सुरक्षा की दृष्टि से उनकी सरकार कोई रणनीतिक कदम नहीं उठा रही थी।अफसोस की बात यह है कि इसके बाद इस्लामिक देशों का सबसे बड़ा संगठन ‘आइ.ओ.सी.’ने कभी इन इस्लामिक दहशतगर्द संगठनों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है,जिनसे गैर इस्लामिक मुल्कों से कहीं ज्यादा इस्लामिक मुल्क की अवाम परेशान हैं। भारत में इनके तरफदारों की कमी नहीं हैं।
इसी 24 जनवरी को विद्रोही सैनिकों ने उनका सत्ता पलट कर दिया। इसके पश्चात् कैप्टन सिडोर काबोरे आॅड्रोओगो ने सरकारी टेलीविजन पर अपने संदेश में कहा कि सुरक्षा और शान्ति बहाली के लिए देश की हुकूमत अब उनके नए संगठन ‘द पेट्रियाॅटिक मूवमेण्ट फाॅर सेफगार्डिंग एण्ड रेस्टोरेशन’ के हाथ में रहेगा। विद्रोही सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि देश में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के कारण राष्ट्रपति के कार्य काल को समाप्त कर दिया गया है। वैसे भी अपदस्थ राष्ट्रपति काबोरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सेना ने केवल तख्ता पलट किया है। अपदस्थ राष्ट्रपति सहित उन सभी लोगों को सम्मान के साथ सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। लोगों को किसी प्रकार कोई चोट नहीं पहुँचायी गई है। लेकिन राष्ट्रपति राॅश मार्क क्रिश्चयन काबोरे को कहाँ रखा गया है? इसके बारे कुछ नहीं बताया है। उसने यह भी कहा कि संविधान और नेशनल असेम्बली को भंग कर दिया तथा देश की सीमाएँ भी बन्द कर दी गईं। उसके अनुसार देश के नए नेता का चुनाव कराने के लिए ऐसा समय निर्धारित किया जाएगा, जो सभी स्वीकार्य हो। राष्ट्रपति राॅश मार्क क्रिश्चयन काबोरे के विरोध के अन्य कारणों में उनका कुछ समय पहले प्रधानमंत्री का बर्खास्त किया जाना था। इन्होंने मंत्रिमण्डल के अधिकांश मंत्रियों को भी बदल दिया था। सन् 2015 से ये राष्ट्रपति के पद पर काबिज थे। तत्पश्चात् नवम्बर, 2020 में पुनः राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इसके बाद से वह विरोध का सामना कर रहे है।
अब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनिया गुतारेस ने तख्ता पलट करने वाले नेताओं से हथियार छोड़ने का आग्रह किया है। उन्होंने बुर्किना फासो में संवैधानिक व्यवस्था के संरक्षण में सहायता लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता को भी दोहराया।
वैसे भी अफ्रीकी देशों में सैन्य सत्ता पलट होता ही रहता है। माली और गिनी के बाद बीते डेढ़ साल में तख्ता पलट देखने वाला यह तीसरा अफ्रीकी देश है। करीब दो करोड़ की आबादी वाले बुर्किना फासो को कुछ पहले तक स्थिर देश माना जाता था , लेकिन सन् 2016 से यह मुल्क अब इस्लामिक जिहादियों से जूझ रहा है। सन् 2021 में सूडान में दो बार तख्त पलट के प्रयास किये गए। पहले एक सितम्बर, 2021 सत्ता पलट की कोशिश सफल नहीं रही। उसके बाद दूसरी बार जनरल आब्देल फतह बुरहान ने सरकार और सेना तथा नागरिक प्रतिनिधियों को मिला कर सरकार बनायी। गई। उस समय सम्प्रभु परिषद् को भंग कर दिया। गत 25 अक्टूबर, 2021 को सूडान में सेना ने तख्ता पलट कर देश में अपना आपात काल लागू कर दिया। इसी तरह पाँच सितम्बर, 2021 को पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी में में विद्रोही सैनिकों ने तख्ता पलट करने के बाद राष्ट्रपति उल्का कोंडेे को हिरासत में ले लिया और संविधान को अवैध घोषित कर दिया। माली में सन् 2021 में सेना ने विद्रोह करते हुए चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका और स्वयं सत्ता सम्हाल ली। इसी तरह चाड और जिम्बाबे में सैन्य विद्रोह जारी हैं।
बुर्किना फासो भूअबद्ध एक पश्चिमी अफ्रीकी देश है, जिसके पश्चिम में माली, उत्तर में नाइजर, दक्षिण में कोटे डी आइवरी,दक्षिण-पूर्व में घाना, पूर्व में टोंगो, बेनिन है। यह फ्रान्स का उपनिवेश रहा है। पहले यह ‘फ्रेंच वेस्ट अफ्रीका’ का एक प्रान्त था, जिसे ‘अपर वोल्टा’ कहा जाता था। 5अगस्त, सन् 1960 में इसे पूर्ण स्वाधीनता मिली। सन् 1984 में इसका नाम बदल कर ‘बुर्किना फासो’ रखा गया। इसका क्षेत्रफल- 2,74,200वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या -1,53,30,977 से अधिक है। यहाँ के लोग कबीलाई और इस्लाम को मानते हैं तथा स्थानीय भाषाएँ और फ्रेंच बोलते हैं। इस देश की मुद्रा-फ्रेंच सी.एफ.ए. है। बुर्किना फासो एक कृषि प्रधान देश है और इसकी 80प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। पशु पालन का बहुत तरीका पर है। इस देश की मुख्य फसलें हैं- जई (सोरघम),ज्वार-बाजरा, रतालू, कपास, चावल, मूंगफली और कैरिटी और उद्योगों के नाम पर स्थानीय हस्तकलाएँ हैं। अफ्रीका महाद्वीप में अच्छी जलवायु और उपजाऊ भूमि है। यह इलाका जैव विविधता से समृद्ध है। फिर भी अफ्रीका महाद्वीप के देश अपने राजनेताओं की कबीलाई मानसिकता और उनकी स्वार्थपरता के कारण यहाँ राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है, जिससे इन मुल्कों में अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा है। परिणामतःये देश प्राकृतिक रूप से समृद्ध होते हुए भी गरीबी और अनेक प्रकार अभावों से ग्रस्त हैं। अब दूसरे अफ्रीकी मुल्कों के हालात देखते हुए यह कह पाना मुश्किल है कि बुर्किना फासो में लोकतंत्र की बहाली कब तक हो पाएगी? ऐसे में लोकतंत्र समर्थक देशों और संयुक्त राष्ट्र का कत्र्तव्य है कि इस मुल्क को इस्लामिक दहशतगर्दों की दहशतगर्दी से बचाने और खत्म करने के लिए ठोस उपाय करें, ताकि यहाँ चुनाव कराने के योग्य वातावरण बन सके।
सम्पर्क- डाॅ. बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर, आगरा- 282003 मो.नम्बर-9411684054
Add Comment