राजनीति

मजहबी नफरत पर फिर एक तरफा रवैया

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
‘मैं कौम का सिपाही हूँ। मैं कौम का फौजी हूँ। अगर उनके जलसे के समीप हिन्दुओं को चुनावी जलसे की इजाजत दी, तो ऐसे हालात पैदा कर दूँगा कि सम्हालने मुश्किल हो जाएँगे। हिन्दुओं को घर में घुस कर मारेंगे।’’ यह बयान किसी आम मजहबी कट्टरपंथी का नहीं, बल्कि पंजाब प्रदेश काँग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के मुख्य रणनीतिकार सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा का है,जो पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक भी रहे हैं। उनकी पत्नी रजिया सुल्तान मालेरकोटला(संगरूर) से काँग्रेस की उम्मीदवार और सूबे में मंत्री भी हैं। वैसे मोहम्मद मुस्तफा के कहे में कुछ नई या आश्चर्य करने की कोई बात नहीं है। मोहम्मद मुस्तफा का उक्त बयान किसी तरह की गलती या फिर अचानक जुबान फिसलने का नतीजा नहीं है, बल्कि उनके जैसे मजहबी कट्टरपन्थी/जातिवादी/क्षेत्रवादी नेता जानबूझकर लोगों के जज्बात भड़काने के इरादे से दिये जाते रहे हैं। ताजुब्ब की यह बात है कि फिर भी मोहम्मद मुस्तफा के इस अफसोसजनक बयान की पंजाब प्रदेश के काँग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू समेत किसी भी काँग्रेसी नेता ने मजम्मत नहीं की है। लेकिन विपक्षी सियासी दल भाजपा के केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने काँग्रेस ने पंजाब में हिन्दुओं के खिलाफ के कैसा वातावरण बना रखा है,जो मोहम्मद मुस्तफा के वीडियो से स्पष्ट है। पंजाबियत को सुरक्षित रखना है,तो काँग्रेस की छत्रछाया में पनप रहे मोहम्मद मुस्तफा जैसे लोगों को मुख्यधारा से बाहर करना होगा। अब 24जनवरी मोहम्मद मुस्तफा के खिलाफ आइ.पी.सी. की धारा 153ए(धर्म या समुदाय के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्य या टिप्पणी करना) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950,1951, 1989 की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों में दुश्मनी को बढ़ावा देना)के तहत मामला दर्ज किया है।उनके इस दुःसाहसपूर्ण बयान के पीछे कहीं न कहंी काँग्रेस जिम्मेदार है।उसने इसी साल मुसलमानों को खुश करने के लिए ईद के मौके पर मुस्लिम बहुल मालेरकोटला तहसील को जिला बनाने का ऐलान किया था,जबकि यह पाकिस्तान से जुड़ा सरहदी इलाका है।
वैसे मोहम्मद मुस्तफा से पहले भी कई आइ.एस.,आइ.पी.एस., उच्च संवैधानिक पदों पर आरूढ़ रहे लोग भी अपने मजहबी कट्टरता और मजहबी नफरत भरे बयान दे चुके हैं। अपने देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो सियासती मजबूरी की वजह से छद्म पंथनिरपेक्षत का मुखौटा जरूर लगाते है,पर उनका मकसद इस मुल्क में किसी भी तरह ‘निजाम-ए-मुस्तफा लागू कराना है। ये लोग मुल्क में ही मजहबी जंग कर में हिन्दुओं को निशाना बना भारत की अखण्डता को क्षति पहुँचाना चाहते हैं। इन जिहादी मानसिकता के लोगों से काँग्रेस के नेता अनजान हो ऐसा नहीं है, पर अपनी सत्ता के मोह में सब कुछ जानकर भी मुल्क को कमजोर और तोड़ने वालों के मददगार बने हुए हंै। इसी 7जनवरी को ’इत्तेहाद-ए-मिल्लत कौंसिल’(आइएमसी)के अध्यक्ष और पूर्व सपा सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री मौलाना तौकीर रजा खाँ ने हिन्दुत्ववादी संगठनों तथा सरकार को गृहयुद्ध की धमकी देते हुए कहा था कि सरकार यह समझ ले कि सब्र टूटा तो इन्हें देश में कहीं पनाह नहीं मिलेगी। यह मौलाना तौकीर रजा वर्तमान में काँग्रेस का समर्थक बना हुआ। इससे पहले भी वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में अनर्गल प्रलाप कर चुका है। सपा के सांसद शफीकुर्र रहमान को अफगानिस्तान के तालिबानी अपने देश के स्वतंत्रता सेनानी सरीखे नजर आते हैं, लेकिन उन्हें वन्देमातरम गीत से भी सख्त परहेज है। संसद में जब वन्देमातरम् का गायन होता है,ये जनाब तुरन्त बाहर निकल आते हैं। सपा एस.टी.हसन के बोल भी इनसे जुदा नहीं रहे हैं। कई महत्त्वपूर्ण राजनयिक तथा दो बार उपराष्ट्रपति रहे मोहम्मद.हामिद अंसारी को भारत में मुसलमानों के भेदभाव और अपने हममजहबियों के साथ असहिष्णुता दिखायी देती है। फिर भी आॅल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के नेता विधायक अब्दुल्ला ओवैसी का वह बयान सभी परिचित हैं जिसमें उसने कहा था कि यदि पुलिस और सुरक्षा बलों को 15मिनट को हटा दिया जाए तो हम 20करोड़ मुसलमान एक करोड़ हिन्दुओं की बोटी-बोटी काट डालेंगे। कुछ जिहादियों के हौसले इतने बड़े हुए हैं कि टी.वी.चैनल पर परिचर्चा के दौरान भारतीय संविधान में भरोसा जताते-जताते हुए खुले आम हिन्दुस्तान में निजाम-ए-मुस्तफा कायम करने की बात करने लगते हैं। इनमें एक पीस पार्टी का नेता शादाब चैहान है, जो अपनी कौम के एक आदमी को 5 के बराबर बताता है। जब कोई राष्ट्रवादी विचारों वाला मुस्लिम नेता/पत्रकार/अधिवक्ता टी.वी.चैनल पर आता है,तो ये इस्लामिक कट्टरपन्थी उसे मुसममान मानने से इन्कार कर देते हैं या कौम का गद्दार ठहराने लगते हैं।
काँग्रेस का नेता इमरान रशीद का मोदी की बोटी-बोटी काटने का बयान खूब चर्चित रहा,लेकिन काँग्रेस ने तब उनकी इस बयान के लिए मजम्मत करने के बजाय उनकी पदोन्नति कर दी। सपा के वरिष्ठनेता और सपा सरकार में काबीना मंत्री रहे आजम खाँ ‘भारत माता को डायन’ कह चुके हैं। कोलकोता की टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मौलाना नूरूर रहमान ने जनवरी, 1917को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सिर के बाल और दाढ़ी का मुढ़न करने वाले को पचास लाख रुपए देने का ऐलान किया था। काँग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय विधि मंत्री तथा विदेशराज्य मंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक ‘सन राइज ओवर अयोध्या-नेशनहुड इन आॅवर टाइम्स’में हिन्दुत्व की तुलना इस्लामिक दहशतगर्द संगठन ‘आइ.एस.’,‘बोकोहराम’से की है। ऐसा कहकर वह हिन्दुओं के प्रति अपनी नफरत व्यक्त करने में पीछे नहीं रहे हैं।लेकिन इन मजहबी नफरत भरे बयानों पर अक्सर कथित सेक्युलर सियासी पार्टियाँ और मीडिया को एक वर्ग खामोश रहता है,पर जैसे ही इनके जवाब में किसी हिन्दू धार्मिक नेता ने जुबान खोल ये सभी उस पर चीते की तरह टूट पड़ते हैं। समुदाय विशेष के युवक हिन्दू युवतियों को गुमराह कर उनके साथ कुछ भी करता रहे या फिर उसके वर्ग के युवा किसी के मारपीट /हत्या कर दें,तो पता तक नहीं खड़कता। उनके मतान्तरण को भी चुप रहता है। अगर हिन्दू युवक समुदाय विशेष के किसी व्यक्ति की उंगली भी छू ली,तो देश में अहिष्णता फैल जाती है।
पिछले दिनों हुई हरिद्वार में हुई धर्म संसद में कुछ सन्त-महन्तों के मुसलमानों को लेकर की गई आपत्तिजनक,अनर्गल टिप्पणियाँ कीं,जिनका किसी भी हिन्दू समर्थक कही जाने वाली सियासी पार्टी या हिन्दू नेता ने समर्थन नहीं किया। फिर भी उनके खिलाफ जमकर बयानबाजी की है, फिर उनके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी गई। उसके बाद उनकी गिरपतारी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक चले गए।ये सभी गिरपतार हो चुके हैं,इसके विपरीत मजहब विशेष के नेता/मुल्ला-मौलवी का अभी तक बालबंका तक नहीं हुआ है। मीडिया का एक वर्ग भी उनके खिलाफ कुछ छापने और दिखाने से बच रहा,जो हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलने में आगे रहता है।इस तरह के दोहरे रवैये/भेदभाव वजह से देश के लोग अब इन कथित सेक्युलर सियासी पार्टियों और मीडिया के एक हिस्से से बेहद नाराज रहते है। इस कारण उनकी दृष्टि में सेक्युरिज्म /पंथनिरपेक्षता शब्दों का कोई माने नहीं है। ये शब्द फर्जी/मिथ्या/भरमाने/गुमराह करने वाले हैं। सेक्युलर कहने वाली सियासी पार्टियाँ और उनकी राह पर चलता मीडिया सेक्यूलर संविधान के समानता के अधिकार का बराबर दुरुपयोग करता आ रहा है,जो विधि के शासन के विरुद्ध है। ऐसी सेक्युलर पार्टियों और मीडिया का दोहरा रवैया अब चलने वाला नहीं है,इन पर आम भारतीय का भरोसा नहीं रहा है।अब कुछ हिन्दू संगठन भी इन इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुँच गए हैं। निश्चय ही इससे इनमें कुछ भय व्याप्त होगा और बदजुबानी करने से पहले सौ बार सोचने को मजबूर होंगे।
सम्पर्क- डाॅ. बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर, आगरा- 282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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