डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
अन्ततः पश्चिम एशियाई देश कजाखस्तान सरकार अपने यहाँ लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस(एलपीजी) की कीमतों में बढ़ोत्तरी के विरोध में शुरू हुई देश व्यापी हिसंा, लूटपाट,गोलीबोरी,आगजनी को 2,500 रूसी सैनिकों और उसके 70 से अधिक विमानों की सहायता पर पर काबू पाने में जरूर कामयाब रही है, लेकिन इसकी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी है। कजाखस्तान सरकार के लिए यह चैंकने की बात यह थी कि आखिर एलपीजी के दाम बढ़ने के खिलाफ हुआ यह आन्दोलन देखते ही देखते सरकारी विरोधी हिंसा में कैसे बदल गया? इन उपद्रवियों ने हिंसा, लूटपाट, गोलीबारी और सरकारी इमारतों पर कब्जा फिर उनमें तथा वाहनों की तोड़फोड़ कर उन्हें आग के हवाले करना क्यों शुरू कर दिया? यहाँ तक कि उपद्रवियों ने हवाई अड्डों के बाहर और दूसरी सड़कों पर खड़ी सैकड़ों कारों को फूँक दिया। हिंसा के कारण प्रधानमंत्री ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया और देश में आपात स्थिति की घोषणा के साथ-साथ इंटरनेट सेवा भी बन्द करनी पड़ी।अन्त में बेकाबू होते हालात देखते हुए कजाखस्तान सरकार को रूस की सैन्य सहायता माँगने को विवश होना पड़ा। ं कई दिन से जारी हिंसा में अलमाटी में स्थित राष्ट्रपति आवास का बड़ा हिस्सा और मेयर का कार्यालय जला दिए गए। अलामाटी हवाई अड्डे तक पहुँचे हिंसक तत्त्वों को काबू करके सेना 6जनवरी को दोपहर को वहाँ पर अपना कब्जा मजबूत कर लिया। उनकी हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कई स्थानों पर सुरक्षा बलांे को दंगाइयों से जूझना पड़ा। भारत भी कजाखस्तान की स्थिति पर बराबर नजर बनाए रखा, ताकि वहाँ रहने वाले भारतीय सुरक्षित रहें।
अब कजाखस्तान में रूस के बढ़ते दखल से अमेरिका और चीन दोनों ही नाराज है। जहाँ अमेरिका और पश्चिमी देश इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं, वहीं चीन को मलाल यह है कि उसके सीमावर्ती देश में सैन्य कार्रवाई करते समय रूस ने उससे चर्चा करना भी जरूरी नहीं समझा, जबकि वह उसे अपना घनिष्ठ मित्र मानता है।
चीन ने पड़ोसी देश कजाखस्तान में हिंसा पर चिन्ता व्यक्त की। हिंसक प्रदर्शन के बाद चीन ने उसके विदेशमंत्री मुख्तार तिलुबर्दी को सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग देने का प्रस्ताव दिया है। चीन ने इस देश में बाहरी शक्तियों द्वारा हस्तक्षेप का विरोध किया। उसे चिन्ता है कि यदि पड़ोसी मुल्क में अशान्ति होगी, तो उसका चीन के ऊर्जा व्यापार पर ‘बेल्ट एण्ड रोड परियोजना’ पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। यहाँ की अशान्ति का प्रभाव उसके शिनजियांग इलाके पर भी पड़ेगा,क्योंकि कजाखस्तान के साथ उसकी 1,770 किलोमीटर लम्बी सीमा है। वांग यी ने यह भी कहा कि चीन मिल कर किसी भी बाहरी ताकत के हस्तक्षेप और घुसपैठ का विरोध करने के लिए तैयार है। इस दौरान रूसी सैनिकों को सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा के लिए तैनात किया। उसके इस निर्णय पर अमेरिका ने सवाल किया है। कजाखस्तान देश के हालात देखते हुए अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी आपात स्थिति में मानवाधिकारांे का ध्यान रखने को कहा।
कजाखस्तान में हपते भर चली हिंसा में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और बहुत बड़ी संख्या में वाहनों, सरकारी कार्यालयों को जलाया गया है। पुलिस ने हिंसा में शामिल करीब चार हजार लोगों को गिरपतार किया है। राष्ट्रपति कासिम -जोमार्ट टोकायेव राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने 7 जनवरी को हिंसा में शामिल लोगों को बिना चेतावनी के मार गिराने का का सुरक्षा बलों को आदेश दिया। रूसी कमाण्डो के उतरने के बावजूद देश के मुख्य शहर अलमाटी में 6जनवरी और 7जनवरी के मध्य की पूरी रात हिंसा जारी रही, आगजनी और गोलीबारी होती रही। राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव का यह आरोप है कि हिंसा भड़का रहे लोग विदेश में प्रशिक्षित आतंकवादी हैं, इनमें विदेश में प्रशिक्षित इस्लामिस्ट आतंकवादी शामिल हैं। इसलिए उनके साथ किसी तरह की दया करने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह यह है कि जब सरकार ने जनता के विरोध को देखते हुए एलपीजी के दाम बढ़ाने का निर्णय वापस ले लिया, तब उनका विरोध जारी रखने का औचित्य क्या था?फिर भी विरोध के रूप में गोलीबारी, वाहनों और सरकारी इमारतों में आग लगाने से स्पष्ट है कि इनका इरादा महज एलपीजी गैस की कीमत बढ़ाना ने होकर सरकार का तख्त पलट करना था। तख्ता पलट की कथित कोशिश को नाकाम करने के बाद संसद के साथ वीडियो काल से टोकायेव ने नए सरकार का गठन किया, जिसका नेतृत्व लोक सेवक रहे अलीखान स्माइलोव करेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि आय की असमानता को लेकर लोगों की नाराजगी उचित थी। वह चाहते थे कि पूर्व राष्ट्रपति नूर सुल्तान नजरबयेव और उनके सहयोगी अपनी सम्पत्ति लोगों में बाँट दी जाए।इधर कई विश्लेषकों का मानना है कि देश में अशान्ति की पृष्ठभूमि में कबीलों में सम्पत्ति को लेकर जारी संघर्ष है।
अब थोड़ा कजाखस्तान के बारे में भी जान लेते है। यह पूर्वी सोवियत गणराज्य से 16दिसम्बर, 1991को स्वतंत्र हुआ। कैस्पियन सागर से चीन की सीमाओं तक कजाखस्तान रूस, उजबेकिस्तन और किरगिजिया से घिरा हुआ है। इसका क्षेत्रफल- 27,17,300वर्ग किलोमीटर और इसकी राजधानी- नूरसुल्तान है। इसकी जनसंख्या-1,64,33,000से अधिक है। यहाँ के लोग कजाख, रूसी,जर्मन भाषाएँ बोलते हैं। इस देश की मुद्रा-टेंग है। कजाखस्तान के लोग इस्लाम और ईसाई मजहब मानते हैं। सोवियत संघ के दूसरे वृहद राज्य में लगभग 100 राष्ट्रीयता वाले लोग रहते हैं। इस देश की करीब 60 प्रतिशत जनसंख्या शहरी हंै।इसकी आधी से अधिक जनसंख्या रूसियों और उक्रेनियों की है, जो उद्योगों और फार्मों में कार्यरत हैं। जुलाई, 1998 में रूस और कजाखस्तान के बीच शान्ति एवं सहयोग का समझौता हुआ, इसके अन्तर्गत बाहरी आक्रमण पर सैनिक सहयोग का प्रावधान रखा है। जनवरी, 1999 में राष्ट्रपति नूर सुल्तान नजरबायव दुबारा निर्वाचित हुए। इस देश में कृषि उपज के रूप में अनाज, शक्करकन्द, आलू, सब्जी आदि का उत्पादन होता है। यहाँ माँस, दूध, अण्डों के लिए पशु तथा मुर्गी पालन किया भी जाता है। उच्च गुणवत्ता वाले ऊन के लिए यहाँ की भेड़ विख्यात हैं।
प्राकृतिक स्रोत‘पूर्व सोवियत संघ का लगभग आधे का तांबा,सीसा, जस्ते का भण्डार यहाँ है। इस देश के दूसरे खनिज हैं- कोयला, टंग्स्टन, तेल, निकेल, क्रोमियम ,मालिब्डनम, मैग्नीज। ।कजाखस्तान में लौह अयस्क, फुटवियर, हौजरी के उद्योग हैं। औद्योगिक उत्पादन में पूर्व सोवियत संघ के गणराज्यों में कजाखस्तन का तीसर स्थान है।
अब चीन और रूस का मानना है कि रंग क्रान्तियाँ(कलर रिवोल्यूशन) अमेरिका और दूसरी पश्चिमी शक्तियों द्वारा भड़काए जा रहे हैं, ताकि इन देशों में वर्तमान सरकारों को हटाकर उनके स्थान पर अपनी समर्थक सरकारें बनायी जा सकंे। सिंगापुर के एस.राजरत्नम् स्कूल आॅफ इण्टरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर ली मिंगजियांग का कहना है कि चीन इस अशान्ति के कारण कजाखस्तान और मध्य एशिया में अमेरिका के प्रभाव का विस्तार नहीं होना देना चाहता है। यदि उसके पड़ोस के एक देश में रंग क्रान्ति के कारण राजनीतिक लोकतांत्रिकरण हो जाता है, जो इसके उदारवादी झुकाव रखने वाले चीन के बौद्धिक कुलीन वर्ग को भी ऐसा ही कोई प्रयास करने के लिए बढ़ावा मिल सकता है।
अब देखना यह है कि कजाखस्तान में शान्ति की स्थापना के बाद यहाँ की सरकार की अपने लोगों की अपेक्षाओं और माँगों को पूरा करने में कहाँ तक सफल हो पाती है?अगर वह ऐसा करने में विफल रहती है,उस दशा में इस देश में फिर से ऐसी स्थिति पैदा होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। उसे उन विदेशी शक्तियों की गतिविधियों पर निगाह रखनी होगी,जो उसके नागरिकों को भड़कने में लगी हुई हैं।
सम्पर्क- डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054
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