देश-दुनिया

क्या यह है कि कानून के शासन के असम्मान नहीं ?

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार

किसी धर्म और मजहब देवी-देवता, पैगम्बर, गुरु, उनके पवित्र ग्रन्थों, आस्था केन्द्रों मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा, मठ आदि के प्रति असम्मान/बेदअदबी, अपमान किये जाने की किसी भी सूरत मे उचित नहीं माना जा सकता है। इनके अनादर पर उनके मानने वालों का उद्वेलित,उत्तेजित और प्रतिक्रिया जताना स्वाभाविक है।लेकिन इन सभी की बेअदबी पर देश के कानून में जो भी दण्ड/सजा दिये जाने का प्रावधान है, वह हर हाल में उसे दिया जाना चाहिए। लेकिन गत दिनों पंजाब में पहले अमृतसर स्थित श्री हरिमन्दिर साहिब में श्री गुरुग्रन्थ ,उसके अगले दिन कपूरथला के निजामपुर स्थित गुरुद्वारे में निशान साहिब की बेअदबी करने के आरोप युवकों को सेवादारों तथा संगत द्वारा निर्ममता से पीट-पीट कर मार डाले जाने की दुःखद घटनाओं को किसी भी हाल में सही माना जा सकता है और इनकी घोर निन्दा की जानी चाहिए। लेकिन इन दोनों ही मामलों में लोगों ने कानून के शासन को धता बताते हुए उसे अपने हाथ में लेकर हत्या का अपराध किया है। उनके इस दुष्कृत्य की भी जितनी निन्दा जाए,वह कम ही मानी जानी चाहिए। देश का कानून का किसी भी व्यक्ति को जान लेने की इजाजत नहीं देता। ऐसा करना कानून के शासन की सरासर अवमानना है। लेकिन अब क्षोभ की बात यह है कि पंजाब में कुछ इन बेरहमी से की गई हत्याओं को जायज ठहरा रहे हैं। उनकी तरह ही देश के किसी भी धर्म/मजहब, सम्प्रदाय के धर्माचार्य और राजनीतिक दलों के नेताओं ने धार्मिक बेअदबी के लिए बेरहमी से की गईं इन हत्याओं पर जानबूझकर राजनीतिक हित लाभ और कट्टरपन्थियों द्वारा अपने पर हमला/जान लिए जाने के भय से अपना मुँह बन्द रखा हुआ है। इस मामले में पंथनिरपेक्षता, सहिष्णुता का राग अलापने वालों, मानवाधिकारों के पहरूओं और माॅब लिचिंग की मुखालफत करने वाले साहित्यकार, कलाकार, लेखक, अभिनेता, अभिनेत्रियाँ आदि की भी बोलती बन्द है, पता नहीं, अब ये सभी किसी बिल में जा छुप हैं ?ऐसा ही रवैया इस मामले में ज्यादातर जनसंचार माध्यमों विशेष रूप से टी.वी.चैनलों का है, जो भीड़ की हिंसा में एक मजहब विशेष/दलित समुदाय के साथ हुई घटनाओं का राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय बना देते हैं । ये सभी लोग देश को ‘लिंचिस्तान’कह कर बदनाम करने से भी नहीं चूकते। वैसे जिस धर्म का उदय हिन्दू धर्म और उसके मानने वालों की रक्षा में हुआ है, उसके मानने वाले उसके अनुयायियों के साथ कैसा व्यवहार करता आ रहा है, जबकि इस्लामिक कट्टरपन्थी हमलावरों ,आतताइयों, शासकों के हर तरह के जुल्म-सितम दोनों ही सामन रूप से सहे हैं। जिस धर्म के लोग अपने पर हुए अन्यायों, अत्याचार, उत्पीड़न की दुहाई देते हैं, वे उन्हीं इस्लामिक कट्टरपन्थियों के रास्ते पर क्यों चलना चाहते हैं? यह सवाल आज मौजूं है?
यह इसलिए भी है कि कुछ लोग पंजाब में अशान्ति और अराजकता फैलाने की एक लम्बे समय से साजिश रच रहे हैं, जिसकी झलक किसान आन्दोलन के दौरान भिण्डरावाले और खालिस्तान लिखे पोस्टरों से भी मिलती है। कुछ ऐसे ही कारणों से सन् 2017 के विधानसभा के चुनावों बेअदबी के मामलों ने बहुत अधिक तूल पकड़ा था। परिणामतः तत्कालीन श्री शिरोमणि अकाली दल और भाजपा की गठबन्धन को हार का मुँह देखना पड़ा।फिर पंजाब में सन् 2018 में पंजाब विधानसभा ने ईशनिन्दा पर पाकिस्तान जैसा कठोर कानून बनाने का एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार ने गौर नहीं किया। इस प्रस्ताव के अनुरूप कानून बनने का मतलब होगा भारत को पाकिस्तान के रास्ते पर ले जाने की कोशिश करना। पंजाब में ईशनिन्दा पर कठोर कानून बनाने की पैरवी करने वालों के साथ ऐसे भी लोग हैं,जो ईशनिन्दा के आरोपितों को खुद सजा देने के हामी है। ऐसे तत्त्वों ने पंजाब की हाल की बेअदबी के मामलों में मार डालने से पहले 15 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली-हरियाणा सीमा किसान संगठनों के धरना स्थल के पास मजदूर लखविन्दर सिंह को निहंगों ने उल्टा लटका कर हाथ काट तड़फा-तड़फा कर तालिबानी तरीके से मार डाला था।। उस पर गुरुग्रन्थ साहिब की बेअदबी का आरोप लगाया गया था।यह आरोप भी पुष्ट नहीं था। उस समय भी भाजपा समेत सियासी पार्टियों ने इस निर्मम हत्या की भत्र्सना नहीं की थी। इससे कट्टरपन्थियों के पंजाब में हौसले बढ़े हुए हैं। वैसे भी कोई भी सियासी पार्टी पंजाब में कट्टरपन्थियों द्वारा हिन्दुओं की हत्याओं किये जाने का कभी उल्लेख करने से बचती आयी है,लेकिन वे ही सियासी वजहों से दिल्ली के 1984 के दंगों को अतिरंजित चित्रण करती है।
इस बीच काँग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपनी सरकार पर बेअदबी के मामलों में दोषियों को दण्डित कराने की माँग करते रहे। वैसे उनकी पार्टी ने हिन्दुओं के आराध्य भगवान राम को कल्पानिक ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कई मुस्लिम नेता अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि होने पर सन्देह जताते आए है। अगर ऐसे ही कोई हिन्दू नेता उनके पैगम्बर के जन्म स्थान के बारे में कहे,तो क्या ऐसा सुनाना उन्हें मंजूर होगा? हिन्दू धर्म,उनके देवी-देवताओं का अनुचित चित्रण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताया जाता है,वही दूसरे के लिए मजहबी बेअदबी। इसके लिए जान लेना जायज ठहराया जाता है।ऐसा अपने देश में कब तक चलता रहेगा?
फिर भी अमृतसर स्थित श्री हरिमन्दिर साहिब में शनिवार,18 दिसम्बर,शाम श्रीगुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी को प्रयास करने के आरोप में एक युवक को सेवादारों और संगत ने पीट-पीट कर मार डाला। गैर सिख युवक उत्तर प्रदेश का बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पूरे मामले की निन्दा करते हुए उसके बाद 19दिसम्बर को कपूरथला के निजामपुर स्थित गुरुद्वारे में निशान साहिब की बेअदबी करने के आरोप युवकों को सेवादारों तथा संगत द्वारा निर्ममता से पीट-पीट कर मार डाले जाना दिल दहलाने वाली है। इधर पुलिस का कहना है कि उसे कपूरथला के निजामपुर स्थित गुरुद्वारा में बेअदबी का कोई भी सुबूत नहीं मिला है।कुछ सूत्रों के अनुसार वह मानसिक रूप से अस्वस्थ था।
इधर अमृतसर श्रीहरिमन्दिर साहिब में बेअदबी के आरोप मार डाले गए युवक के खिलाफ पुलिस ने हत्या के प्रयास धारा 307 और बेअदबी धारा-295ए का मामला दर्ज कर लिया, किन्तु उसकी हत्या करने वालों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और गृहमंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा रविवार 19 दिसम्बर को श्री हरिमन्दिर साहिब पहुँचे। सच्चाई का पता करने को खुफिया एजेन्सियों को सर्तक कर दिया गया है। इसके पीछे काम करने वालों को बेनकाब किया जाएगा। हो सकता है कि देश विरोधी शक्तियाँ चुनावों को प्रभावित करने के लिए साजिश कर रही हों, ऐसी साजिशों को पंजाब सरकार नहीं सफल नहीं होने देगी। इधर पंजाब के काँग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने मालेर कोटला में अपनी पार्टी की रैली में धार्मिक ग्रन्थों की बेअदबी करने वालों के बीच चैराहों पर लोगों के सामने फँदे पर लटकाने का की हिमायत की है, लेकिन ये ही सन्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अपना बड़ा भाई बताते हुए इस मुल्क के साथ व्यापार करने का समर्थन करते हैं, जबकि पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपन्थियों द्वारा हिन्दुओं, सिखों, ईसाइयों का किस तरह उत्पीड़न और मन्दिरों दूसरे उपासना स्थलों में तोड़फोड़ की जाती है, उससे वह भी अच्छी तरह वाकिफ हैं। हाल में अफगानिस्तान में जब तालिबानियों द्वारा सिखों और गुरुद्वारों के साथ कैसा सुलूक किया गया , इसकी भी उन्हें जानकारी होगी। इसकी वजह से अब उन्हें श्री गुरुग्रन्थ साहिब सहित अफगानिस्तान छोड़कर भारत आने को मजबूर होना पड़ा है, पर तब भी नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी जुबान नहीं खोली। आखिर क्यों? । उधर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आएसएस)ने श्री हरिमन्दिर साहिब में श्री गुरुग्रन्थ साहिब की अवमानना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसके पीछे समाज में अशान्ति पैदा करने के षड्यंत्र की आशंका जतायी है। सह सरकार्यवाह दत्रात्रेय होसबोले ने घटना की निन्दा करते हुए कहा कि श्री गुरुग्रन्थ साहिब व श्री गुरु परम्परा सबकी सांझी विरासत तथा श्रद्धा का विषय है।समाज को आपस में लड़वाने वाली ताकतें अवमानना का षड्यंत्र कर रही है। ऐसे षड्यंत्रकारियों का पर्दाफाश करके उन्हें कड़ा दण्ड देना चाहिए। समाज को भी ऐसी घटनाओं के कारण आपसी सद्भाव में कोई बाधा नहीं आने देना चाहिए,किन्तु ऐसा न होकर भीड़ की हिंसा के मामलों में पीड़ित/मरने वाले का धर्म/मजहब,जाति,सम्पद्राय को देखकर खामोश रहते हैं,या प्रतिक्रिया जताते हैं।ऐसे पूर्वग्रह रखने वालों का कुछ नहीं किया जा सकता,पर देश में कानून के शासन की रक्षा हेतु यह जरूरी ही नहीं,अपरिहार्य है,कि किसी को भी कानून को अपने हाथ में नहीं लेने दिया जाए। जो ऐसा करे,उसे कानून के मुताबिक दण्डित किया जाए। वैसे सभी धर्मों/मजहबों/सम्प्रदायों के अनुयायियों से प्रश्न हैं, क्या उनका लगता है कि ईश्वर/अल्लाह/गुरु/मसीहा ऐसे उनके द्वारा इन्सान को मारने से खुश होता होगा?
अगर ऐसा यदि ऐसा नहीं किया जाता,उस हालत कानून का राज नहीं रह जाएगा। अपने देश में थोक वोट की राजनीति/अल्पसंख्यक तुष्टीकरण,जातिवादी सियासत की वजह से भीड़ की हिंसा के कुछ मामलों में अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की जाती। सरकार का रुख देखकर पुलिस भी अपना काम करती है। ऐसी हालत में इन मामलों में सर्वोच्च न्यायालय को स्वयं संज्ञान लेकर कानून को अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ स्वतं संज्ञान लेकर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। वैसे अपने देश में धार्मिक भावनाओं को आहत/आस्था को चोट करने वालों के विरुद्ध कानूनी प्रावधान है। ऐसे अपराध करने वालों को ं के तीन साल तक सजा भी हो सकती है। फिर भी कुछ धार्मिक संगठन ईशनिन्दा के दोषियों को आजन्म कारावास या मृत्युदण्ड चाहते हैं। इस तरह का कोई कानून तो भारत को पाकिस्तान सरीखा बना देगा। वैसे पंजाब में सिखों और गैर सिखों में दूरी बढ़ाने की कोई सुनियोजित षड्यंत्र है। ऐसे सिखों और हिन्दुओं को समय रहते इस षड्यंत्र को विफल करने में लग जाना चाहिए। सम्पर्क-डाॅ.बचनसिंह सिकरवार, 63ब गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054

 

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