देश-दुनिया

क्या है तब्लीग जमात की हकीकत ?

डाॅ.बचनसिंह सिकरवार
हाल में सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात को समाज के लिए खतरा और दहशतगर्दी/आतंकवाद के प्रवेशद्वार में से एक बताते हुए उसे प्रतिबन्धित करने को जो निर्णय लिया है, वह अत्यन्त साहसिक और सामयिक है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम ही होगी। उनके इस फैसले से इस्लामिक कट्टरपन्थियों का नाराज लाजिमी है, लेकिन वर्तमान में दुनिया भर में इस्लाम को बदनाम होने से बचाने के लिए ऐसा किया जाना बहुत जरूरी था। हैरानी की बात यह है कि सऊदी अरब के इस फैसले पर अपने देश के कथित सेक्युलर सियासी पार्टियाँ खासतौर पर विभिन्न सियासी पार्टियों जैसे काँग्रेस राशिद अल्बी, दिग्विजय सिंह, गुलाम नबी आजाद ,सपा के सांसद शकीलउर्रहमान बर्क और एस.टी.हसन, बसपा, एआइएमआइएमके असदुद्दीन औवेसी,टी.एम.सी.,राकांपा के नवाब मलिक,पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती,नेकाॅ.के डाॅ.फारुक अब्दुल्ला, फिल्मी गीत लेखक,शायर जावेद अख्तर, शायर मुनव्वर राणा,अभिनेता नसीरूद्दीन शाह, अभिनेत्री तापसू पन्नू,स्वरा भास्कर, निर्देशक अनुराग कश्यप आदि का खामोश रहे। इससे क्या यह जाहिर नहीं होता है कि उन्हें सऊदी अरब सरकार के तब्लीगी जमात पर पाबन्दी लगाने का फैसला पसन्द नहीं आया है।
तब्लीग जमात मजहब के प्रचार-प्रसार के नाम पर दूसरे मजहबों के लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने और उन्हेें मिटाने को उकसाने में लगी है। इसके रहनुमां मुसलमानों को पूरी दुनिया को ‘दारुल इस्लाम’ तब्दील कर उस पर मुसलमानों की हुकूमत कायम होने का ख्वाब दिखाती आये हैं। अपने इस मकसद में यह हद तक कामयाब रहे हैं। अपने देश में विशेष रूप से मेवात इलाके के मुसलमानों को भारतीय सभ्यता-संस्कृति से जुदा कर उन्हें अरबी, ईरानी सभ्यता-संस्कृति में ढाल चुके हैं। आज यही इलाका तब्लीगी जमात का सबसे मजबूत और बड़ा गढ़ बना हुआ है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में गाँव हिन्दू विहीन हो गए है और जिन गाँवों में थोड़े बहुत हिन्दू बचे हैं,उनका जीना इन्होंने दुश्वार किया हुआ है। इनका रसूख इतना है कि राजस्थान और हरियाणा में सत्ता बदलने पर भी इनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। तब्लीग जमात के जमाती पाकिस्तान,बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मालद्वीव, इराक, ईरान, दक्षिण-पूर्वी एशियाई मुल्कों इण्डोनेशिया, मलेशिया आदि मुल्कों के मुसलमानों को भी मजहबी रूप से कट्टर बनाने में लगातार जुटे हुए हैं। हाल में तब्दीली जमात मार्च, 2020में चर्चा आयी,जब देश में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा था,तब दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित तब्लीग के मरकज में हजारों की संख्या में देश-विदेश के मुसलमानों को इकट्ठा किया था। इनमें से 24 जमाती कोरोना संक्रमित पाए गए। 228संदिग्ध मरीज दिल्ली के दो अस्पतालों में भर्ती किये गए। उस समय तब्दीलीगी जमात को देश में कोरोना फैलाने का दोषी ठहराया गया था। फिर भी विपक्षी सियासी नेताओं,मुस्लिम रहनुमाओं, कुछ समाचार पत्रों,टी.वी.चैनलों,द वायर से पार्टल उनके बचाव में आगे आए थे।
नतीजा यह है कि आज दुनिया में ज्यादातर दहशतगर्द और उनके संगठन/तंजीम में किसी मजहब के लोग यह बताने-जताने की जरूरत नहीं है। सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री डाॅ. अब्दुल्लातीफ अल अलशेख ने मस्जिदों के इमामों को शुक्रवार/जुम्मा की नमाज के दौरान लोगों को तब्लीगी जमात और दावाह (अल अहबाब)से न जुड़ने की चेतावनी जारी करने का निर्देश दिया है। इसके मुताबिक लोगों को बताएँ कि तब्लीगी जमता किसी प्रकार समाज के लिए बड़ा खतरा है। जमात और दावाह की खामियों को उजागर करते हुए बताया जाना चाहिए कि ये समाज के लिए खतरनाक हैं। निश्चय ही सऊदी अरब के फैसले के बाद तब्लीगी जमात दुनियाभर में धीरे-धीरे सिमटने लगेगा, क्योंकि उसे सबसे ज्यादा आर्थिक मदद खाड़ी के मुल्क की संस्थाओं से मिलती थी। करीब 100 साल पहले भारत में ही शुरू किये गए इस कथित आन्दोलन के खिलाफ कई अन्य देश भी कदम उठा सकते हैं। हालाँँकि ,पाकिस्तान,बांग्लादेश ,मलेशिया, इण्डोनेशिया जैसे देशों को ऐसा करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है,क्योंकि वहाँ तब्लीगियों की आबादी बड़ी है।
तब्लीग जमात यानी मुस्लिमों में ऐसे लोगों का समूह जो धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित हो। फिर इस तब्लीग जमात की स्थापना सन् 1927में एक सुधारवादी धार्मिक आन्दोलन के तौर पर मोहम्मद इलियास कान्धलवी ने की थी। यह धार्मिक आन्दोलन इस्लाम की देवबन्दी विचारधारा से प्रभावित और प्रेरित है। मोहम्मद इलियास का जन्म मुजफ्फर नगर जिले के कान्धला गाँव में हुआ था। उनके जन्म की ठीक तारीख पता नहीं है। इतना पता है कि 1303हिजरी यानी 1885/1886 में उनका जन्म हुआ था। कान्धला गाँव में जन्म होने की वजह से ही उनको कान्धलवी लगता है। उनके पिता मोहम्मद इस्माइल थे और माता का नाम सफिया था। एक स्थानीय मदरसे में उन्होंने एक चैथाई कुरान को मौखिक तौर पर याद किया। उसके बाद अरबी और फारसी की शुरुआत किताबों को पढ़ा। बाद में रशीद अहमद गंगोही के साथ रहने लग। सन् 1905 में रशीदी गंगोही का इन्तकाल हो गया। सन् 1908 में मोहम्मद इलियास ने दारुल उलूम में दाखिल लिया। तब्लीगी जमात की शुरुआत मेवात में ही क्यों शुरू हुई। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हरियाणा के मेवात इलाके में बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों ने काफी बाद में इस्लाम मजहब कबूल किया था। बीसवीं सदी में इस इलाके में ईसाई मिशनरी ने मतान्तरण शुरू कर दिया। बहुत से मेव मुसलमानों ने मिशनरी के प्रभाव में आकर इस्लाम मजहब छोड़ दिया। यहीं से इलियास कान्धलवी ने मेवाती मुसलमानों के बीच जाकर इस्लाम को मजबूत करने का ख्याल आया था। उस समय तक वह सहारनपुर के मदरसा मजाहिरुल उलूम में पढ़ा रहे थे। वहाँ से पढ़ाना छोड़ दिया और मेव मुसलमानों के बीच का इस्लाम का प्रचार शुरू कर दिया। सन् 1927 में तब्लीगी जमात की स्थापना की। ,क्योंकि गाँव-गाँव जाकर लोगों के इस्लाम की शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया।
तब्लीगी जमात के लोग पूरी दुनिया में फैले हुए हैं।बड़े-बड़े शहरों में उनका एक सेण्टर/केन्द्र
होता है, जहाँ जमात के लोग जमा होता है। उसे ही ‘मरकज’ कहा जाता है। वैसे भी उर्दू ‘मरकज’ जो है वह इंग्लिश के सेण्टर और हिन्दी के केन्द्र के लिए इस्तेमाल होता है। उर्दू में इस्तेमाल होने वाले शब्द का मतलब किसी एक खास मकसद के लिए इकट्ठे होने वाले लोग का समूह है। तब्लीग जमात का सम्बन्ध में बात करें, तो यहाँ जमात ऐसे लोगे के समूह को कहा जाता है जो कुछ दिनों के लिए खुद को पूरी तरह से तब्लीगी जमात को समर्पित कर देते हैं। उस दौरान उनकी अपने घर, कारोबार और सगे-सम्बन्धियों से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। ये लोग गाँव-गाँव,शहर-शहर जाकर लोग के बीच इस्लाम के विचार को फैलाते हैं और लोगों केा अपने साथ जुड़ने का आग्रह करते हैं। इस तरह घूमने को ‘गश्त’कहा जाता है। जमात का एक मुखिया होता है,जिसे ‘अमीर-ए-जमात’ कहा जाता है। ‘गश्त’ के बाद का जो समय होता है उसका इस्तेमाल नमाज, कुरान की तिलावत और जिक्र(प्रवचन)में करते हैं। जमात से लोग एक निश्चित समय के लिए जुड़ते हैं। कोई लोग तीन दिन के लिए,कोई 40दिन के लिए ,कोई चार महीनों के लिए तो कोई सालभर के लिए शामिल होते हैं। इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही अपने घर को लौटते हैं और इस रोजाना के कामों में लगते हैं।
तालीम और फजाइल-ए-अमाल-फजाइल-ए-अमाल,जिसका मतलब हुआ-अच्छे कामों के फायदे या खासियतें। फजाइल -तब्लीगी जमात के बीच पवित्र किताब है। उस किताब में उनके छह सिद्धान्त से सम्बन्धित बातें हैं। दोपहर की नमाज के बाद तब्लीग जमात से जुड़े लोग एक कोने में जमा हो जाते हैं। वहाँ कोई एक व्यक्ति फजाइल -ए-अमाल पढ़ाते हैं और बाकी लोग ध्यान से सुनते हैं। सालाना इल्तिजा या जलसा रायवण्ड का इल्तिजा ,बांग्लादेश का इल्तिजा।
तब्लीगी जमात के छह सिद्धान्त हैं- 1. ईमान यानी पूरी तरह अल्लाह पर भरोसा करना। 2.नमाज पढ़ाना। 3. इल्म ओ जिक्र यानी धर्म से सम्बन्धित बातें करना। 4.इकराम-ए-मुस्लिम यानी मुसलमानों का आपस में कराना और मदद करना। 5.इख्लास-ए-नीयत यानी नीयत साफ करना। 6. रोजाना के कामों से दूर होना। भारत में दिल्ली के निजामुद्दीन में बंगले वाली मस्जिद में तब्लीगी जमात का मरकज है। दुनियाभर में तब्लीगी के बीच इस मरकज की हैसियत तीर्थस्थल जैसा है। पाकिस्तान में रायवण्ड में मदनी मस्जिद में तब्लीगी जमात का मरकज है। ये दोनों ही मरकज अहम है। इस मामले में बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका/साहित्यकार तस्लीमा नसरीन का कहना है कि सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात का आतंकवादी संगठन बताते हुए प्रतिबन्धित कर दिया,जबकि भारत में जन्मी तब्लीगी जमात के मुकाबले सऊदी अरब में पनपी वहाबी विचारधारा का आतंकवाद से कहीं ज्यादा जुड़ाव है। यह सच है,लेकिन जब सऊदी अरब ने इस पाबन्दी लगा दी गई, तब भारत सरकार का इसके विरुद्ध किसी तरह कार्रवाई करना तो दूर, किसी तरह की प्रतिक्रिया तक न करना चैंकता है।
तब्लीगी जमात और उसके कार्यकलापों को लेकर देश और दुनिया भर के मुसलमानों की खामोशी से यही लगता है कि उन्हें तब्लीगी जमात में कोई खोट नजर नहीं आता है। उनकी इस्लामिक दहशतगर्दों तंजीमों को लेकर खामोशी खटकती है, क्योंकि ये ही लोग हिन्दुओं समेत किसी दूसरे मजहब की थोड़ी से कट्टरता या अपने धर्म की रक्षा में उठाये कोई कदम में तमाम बुराइयाँ और अपने मजहब के लिए खतरा दिखायी देने लगता है। ये ही नेता अपनी मजहबी कट्टरता को कभी शरीयत की मजबूरी, तो कभी सेक्युलरिज्म, कश्मीरियत, गंगाजमुनी तहजीब के फर्जी पर्दे में छुपाने में जुट जाते हैं। अब जो भी सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर पाबन्दी लगाकर उसकी असलियत को उजागर कर दिया है। सऊदी अरब के इस कदम पर चुप रह कर अपने देश के फर्जी सेक्युलर सियासी रहनुमाओं को बेपर्दा कर दिया है। सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार, 63ब गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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