राजनीति

न करें राजनीति के लिए धर्म का दुष्प्रचार

डाॅ.बचनसिंह सिकरवार

गत दिनों काँग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘सन राइज ओवर अयोध्याः नेशनहुड इन आवर टाइम्स’’में ‘द सैफ्रान स्काई’ शीर्षक से लिखे अध्याय में जिस तरह ‘हिन्दुत्व’ की दुनिया के सबसे खूंखार कट्टरपन्थी इस्लामिक आतंकवादी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’(आइ.एस.) तथा ‘बोको हरम’से तुलना करना और काँग्रेस के ही नेता राशिद अल्वी द्वारा कल्कि महोत्सव में ‘जय श्रीराम’ बोलने वालों का कालनेमि निशाचर बताया गया है, वह पूर्णत‘ अनुचित और बेतुका है। ये टिप्पणियाँ हिन्दुओं की धार्मिक भावना के लिए आघातकारी और हिन्दू धर्म पर प्रहार है। ये किसी भी दशा में क्षम्य नहीं हंै। क्या सलमान खुर्शीद ऐसे किसी हिन्दू संगठन का नाम बतायेंगे, जिसके सदस्य दुर्दान्त कट्टरपंथी इस्लामी संगठन ‘आइ.एस.’की तरह एक से एक घातक हथियार लेकर बड़े पैमाने पर गैर हिन्दुओं का खून बहाने के साथ उनके इबादतगाहों को नेस्तनाबूद कर रहे हांे। या फिर जो नाइजीरियाई कट्टरपंथी मुसलमानों के संगठन ‘बोको हराम’ (जिसके माने ‘यूरोपीय शिक्षा हराम’ है), की तरह इसने बड़ी तादाद में छात्राओं का अपहरण कर उनका सिर्फ हर तरह का उत्पीड़न करता आया है। यह जम्हूरियत और सेक्यूलरिज्म की मुखालफत करता है। इसका मकसद पूरी दुनिया में शरिया लागू करना है,जो गैर मुसलमानों के नरसंहार मंे लगा हो।यह हजारों लोगों को अब तक क्रूरता मार चुका है। वैसे सलमान खुर्शीद को हिन्दुत्व में आइ.एस.,बोकोहराम और राशिद अल्वी का जयश्रीराम के नारे लगाने वाले राक्षस दिखायी देते हैं,क्या
वैसे इन दोनों द्वारा ‘हिन्दुत्व’ की ‘आइ.एस.’,’बोको हराम’ से तुलना और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने वालों को राक्षस बताना अनजाने या अज्ञानतावश किया हो, ऐसा नहीं है, बल्कि काँग्रेस की सोची-समझी चुनावी रणनीति के तहत की है। इसकी पुष्टि स्वयं काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा ‘हिन्दुत्व’ को ‘हिन्दू’ से अलग साबित करने से कर दी है। अब प्रश्न राहुल गाँधी से है वह यह बतायें कि ऐसा कौन-सा शब्दकोश है जिसमें ‘हिन्दुत्व’ को ‘हिन्दू धर्म’ से पृथक बताया गया है। जहाँ तक हमारी जानकारी है तो ‘हिन्दू’ फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ प्रत्यक्ष या परोक्षतः वेदोक्त विचारों के आधार पर बने आचार-व्यवहार ,रीति-नीति, समाज व्यवस्था आदि में किसी रूप में विश्वास करने और उन पर चलने वाला भारतीय और ‘हिन्दुत्व’ से आशय हिन्दू होने का भाव या गुण, हिन्दुओं के आचार-विचार, हिन्दू धर्म का भाव है। अब राहुल गाँधी बतायें कि ‘हिन्दुत्व ’हिन्दू धर्म’ से अलग कैसे हुआ?सच्चाई यह है कि ‘हिन्दुत्व’ का समस्त आधार ही हिन्दू धर्म है और यही ‘हिन्दू संस्कृति’ को परिभाषित भी करता है। इससे स्पष्ट है कि स्वयं को जनेऊ कश्मीरी पण्डित, शिवभक्त, उपनिषदों का अध्ययन करने का दावा करने वाले राहुल गाँधी हिन्दू धर्म के मूल से भी परिचित नहीं हैं। उन्हें न तो ‘हिन्दू धर्म का सही ज्ञान है और न उसके गुणों/विशेषताओं और उसकी प्रकृति यानी ‘हिन्दुत्व’ का ही। ऐसे लोगों द्वारा ‘हिन्दुत्व’ को हिंसा और घृणा का पर्याय बताना एक तरह से हिन्दू धर्म पर और उसे बदनाम करना नहीं, तो क्या है? फिर हिन्दुत्व में धार्मिक/मजहबी कट्टरता, दूसरे धर्म, सम्प्रदाय, मत, विचारों के प्रति असहिष्णुता और उन्हें अपने धर्म/मत से कमतर मानने की मानसिकता कहाँ से आ गयी ? इसके विपरीत एकेश्वर और एक मजहबी किताब में यकीन /मानने वाले मजहबों में ऐसा है। वैसे काँग्रेस अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति पर चलते हुए हिन्दुओं के साथ दोयम दर्जे के बर्ताव करती आयी है। अब तक देश में हुए तमाम बम विस्फोटों में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं हैं और उससे अधिक घायल भी हुए हंै, उन सभी में किसी मजहब के लोग पकड़ गए हैं? यह दहशतगर्द/आतंकवादी किन मजहबी कट्टरपन्थी संगठनों/तंजीमों से जुड़े हुए हैं और उन संगठन किसके नाम पर हैं ? यह किसी को बताने/जताने की जरूरत नहीं है। फिर काँग्रेस यह कहती आयी है कि दहशतगर्दों का कोई मजहब नहीं होता, लेकिन काँग्रेस की संप्रग सरकार के केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने हिन्दुओं को बदनाम करने की नीयत सबसे पहले ‘भगवा आतंकवाद’राग अलापा। बाद में म.प्र. के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी ‘भगवा आतंकवाद’ के साथ ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (आर.एस.एस.), भाजपा समेत दूसरे हिन्दूवादी संगठनों को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहाँ तक मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सत्ता में रहते हुए साजिश के तहत कई बेकसूरों को सालों जेलों में डाले रखा और उन्हें अमानवीय यातनाएँ देने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ी। यहाँ तक कि मुम्बई आतंकवादी हमले को भी हिन्दू संगठन द्वारा किये जाने का इल्जाम लगाने की कोशिश की। काँग्रेस के नेता राहुल गाँधी को हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाने में खुशी होती है। वह समय-समय अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए हिन्दुओं का दिल दुःखने को कुछ न कुछ बेहूदे बयान देते आए हैं कि एक बार उन्होंने कहा था कि लफंगे मन्दिर जाते हैं।वह एक यह भी कह चुके हैं कि जेहादी संगठनों से कहीं ज्यादा खतरनाक हिन्दू संगठन हैं। राहुल गाँधी का यह कहना कि हिन्दुत्व मतलब ‘सिख या मुसलमान को पीटना? क्या हिन्दुत्व अखलाक को मारने के बारे में हैं?अब उन्हीं नकल करते हुए पीडीपी की अध्यक्ष/जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी यह सवाल उठाया है।इन दोनों से प्रश्न यह कि देशभर बम विस्फोट करना, कश्मीर घाटी में पाकिस्तान जिन्दाबाद,आइ.एस.जिन्दाबाद,हिन्दुस्तान मुर्दाबाद,कश्मीरी हिन्दुओं/पुलिस,सैन्य में मुस्लिमों की हत्याएँ तथा सुरक्षा बलों के जवानों को भीड़ हिंसा/लिचिंग किस मजहब करते आए हैं?क्या इनमें से किसने आजतक किसी निंदा की क्या?
इसी पार्टी के पूर्वकेन्द्रीय मंत्री शशि थरूर हिन्दू पाकिस्तान कह चुके हैं।काँग्रेस ‘भगवान राम’ और ‘रामसेतु’ के अस्तित्व भी प्रश्न चिन्ह लगा चुकी है।उसने श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर/बाबरी मस्जिद के मुकदमों के निस्तारण में भी बाधाएँ खड़ी कीं। कुछ काँग्रेसी नेता ‘हिन्दू आतंकवाद’ तथा ’हिन्दू तालिबान’ जैसे जुमले का प्रयोग कर चुके हैं, लेकिन काँग्रेस ने उनके खिलाफ कभी कार्रवाई नहीं की गई। काँग्रेस के वरिष्ठ नेता, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केन्द्रीयमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है,‘‘ हम भले ही हिन्दुत्व को हिन्दू धर्म की मिलीजुली संस्कृति से अलग एक राजीतिक विचारधारामानकर इससे असहमति जताएँ, लेकिन हिन्दुत्व की तुलना आइएस और जेहादी इस्लामी से करना तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिशयोक्ति है।’’ काँग्रेस के वरिष्ठ नेता,उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत ने हिन्दुत्व की आइ.एस.,बाकोहरम से तुलना से असहमति व्यक्त की है। अब दुर्भाग्य की बात यह है कि सलमान खुर्शीद हिन्दुत्व पर की गई अपनी बेजां टिप्पणी न केवल कायम हैं,उनका कहना है कि हिन्दुत्व ने सनातन धर्म को किनारे लगा दिया है। इसने बोको हरम एवं उसके जैसे दूसरे संगठनों की तरह आक्रामक रुखे अख्तियार कर लिया है। बल्कि एक टी.वी.चैनल पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या और पलायन से भी पल्ला झड़ते हुए कह दिया कि बाहर हो गए तेा हो गए।
हकीकत यह है कि देश के स्वतंत्रता के बाद से काँग्रेस की सत्ता के लिए अपनायी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण नीति अब अधिक कारगर नहीं रह गई,क्योंकि मुसलमान ही नहीं,उसके रह-बचे हिन्दू समर्थक भी उसकी देश और समाज घाती इस नीति के घातक परिणामों को जान गए हैं।इसलिए राहुल गाँधी,उनकी बहन प्रिया गाँधी वाड्रा जनेऊ, तिलक लगाकर पवित्र नदियों में स्नान कर, मन्दिर-मन्दिर जाकर देवी-देवताओं की स्तुति कर स्वयं को भाजपाइयों बड़ा हिन्दू सिद्ध करने में जुटे हैं,पर इतने बात बनती न देख वे फिर अपनी पुरानी अल्पसंख्यक तुष्टी नीति पर लौट आते हैं।लेकिन राहुल गाँधी और दूसरे काँग्रेसियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि फिर से केन्द्र में सत्ता पाने में आड़े आ रही भाजपा,आर.एस.एस.समेत दूसरे हिन्दू संगठनों को बदनाम करने के फेर में हिन्दू धर्म के विरुद्ध दुष्प्रचार करने से बाज आएँ,ऐसा करना न उनके हित में और न देश के ही।

 

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