डाॅ.बचन ंिसंह सिकरवार
गत दिनों इण्डोनेशिया के संस्थापक और प्रथम राष्ट्रपति सुकर्ण की सबसे छोटी पुत्री और पूर्व राष्ट्रपति मेगावती की छोटी बहन सुकमावती सुकर्णोपुत्री का इस्लाम मजहब का परित्याग कर हिन्दू(सनातन) धर्म अंगीकार करने की घटना कोई सामान्य/साधारण नहीं है, सबसे बड़ी बात यह है कि सुश्री सुकमावती सुकर्णोपुत्री को न तो मतान्तरण करने के लिए किसी हिन्दू धर्म प्रचारक ने प्रेरित किया है और न ही यह निर्णय उन्होंने किसी तरह के भावावेश में लिया।उनके हिन्दू धर्म अपनाने के लिए पीछे कोई प्रलोभन हो,ऐसा भी नहीं है। वैसे भी ऐसा सोचना ही फिजूल है। सच्चाई यह है कि सुश्री सुकमावती स्वयं हिन्दू धर्म के सभी सिद्धान्तों और परम्पराओं से भली भाँति परिचित हैं। उन्होंने हिन्दू धर्म का गहन अध्ययन तथा निरन्तर उसके अनुयायिओं को अवलोकन करने के पश्चात् खूब सोच विचार करने के बाद ही हिन्दू धर्म अंगीकार किया है। गत 26 अक्टूबर को बाली में सुकर्णो हेरिटेज सेण्टर में आयोजित सुधी वडानी समारोह में जब सुकमावती ने हिन्दू धर्म अंगीकार किया। उस समय के एक वीडियो में सुकमावती धार्मिक रीति-रिवाज का पालन करती हुई दिखायी दे रही थीं। पुजारी मंत्र पढ़ते हुए सुश्री सुकमावती के ऊपर पवित्र जल छिड़कते जा रहे थे। उनकी परम्परागत ढंग से आरती भी उतारी गई। इसके अलावा उनसे दूसरी मान्यताओं का पालन भी कराया गया। प्राचीन काल में इण्डोनेशिया में बृहत्तर भारत का हिस्सा रहा है, जिसमें कम्बोडिया, लाओस, मलेशिया आदि देश रहे हैं। यहाँ बड़ी संख्या में हिन्दू रहते थे। ईसा पूर्व चैथी शताब्दी से ही इण्डोनेशिया द्वीप समूह एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र रहा है। बुनी अथवा मुनि सभ्यता इण्डोनेशिया की सबसे पुरानी सभ्यता है। चैथी शताब्दी ईसा पूर्व तक ये सभ्यता काफी उन्नति कर चुकी थी। ये हिन्दू और बौद्ध धर्म को मानते थे और ऋषि परम्परा का अनुकरण करते थे। आगामी दो हजार साल तक इण्डोनेशिया एक हिन्दू राजाओं का राज रहा था। किर्तानेगारा और त्रिभुवन जैसे राजा यहाँ सदियों पहले राज करते थे। श्री विजय के दौरान चीन और भारत के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे। स्थानीय शासकों ने धीरे-धीरे भारतीय सांस्कृतिक ,धार्मिक और राजनीतिक प्रारूप को अपनाया और कालान्तर में हिन्दू और बौद्ध राज्यों का उत्कर्ष हुआ। इण्डोनेशिया का इतिहास विदेशियों से प्रभावित रहा है, जो क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के कारण खिंचे चले आए। तब यहाँ के लोगों ने भारतीय व्यापारियों और हिन्दू धार्मिक महापुरुषों से प्रभावित होकर बिना किसी भय और प्रलोभन के पहले हिन्दू तथा बाद कुछ ने बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया था। कालान्तर में मुसलमान व्यापारियों ने अपने मत का प्रचार किया। इस्लामिक हमलावरों ने उन्हें तलवार के जोर पर इस्लाम में मतान्तरित किया और पारम्परिक हिन्दू और बौद्ध संस्कृति को नष्ट कर दिया। इण्डोनेशिया के एक द्वीप बाली बस्ती के निवासी आज भी हिन्दू है। बाली में हिन्दू धर्म से जुड़े कई मन्दिर बने हुए हैं,जिन्हंे देखने और तीर्थाटन को बड़ी संख्या में पर्यटक तथा हिन्दू तीर्थयात्री आते हैं।
निश्चय ही सुश्री सुकमावती के इस निर्णय से उन सभी मजहबों के कट्टरपन्थियों/प्रचारकों को भारी आघात लगा होगा, जो हिन्दू धर्म के विषय में तमाम भ्रन्तियाँ फैला कर और उन्हें अनेकानेक प्रलोभन देकर भारत समेत दुनियाभर में षड्यंत्र के तहत लोगों का मतान्तरण अपने राजनीतिक इरादे पूरे करने में जुटे हुए हैं। हालाँकि इण्डोनेशिया विश्व का सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला देश है, लेकिन प्रसन्नता की बात यह है कि जब सुकमावती सुकर्णोपुत्री के हिन्दू धर्म ग्रहण कर रही थी, तब न उनका किसी मुल्ला-मौलवी ने विरोध किया है और न ही राजनीतिक स्तर पर । यह दुनियाभर में अचरज का विषय है।
वैसे अगर यही सब किसी इस्लामिक कट्टरपन्थी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मलेशिया,सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात,तुर्की, यमन, सीरिया, लीबिया, इराक, ईरान,बांग्लादेश आदि के शासक खानदान से सम्बन्धित शख्स न किया होता, तो न सिर्फ उनकी जमकर मजम्मत की गई होती, बल्कि उसे ‘ईशनिंदा’ का गुनाहगाह भी ठहराया जाता। उनके विपरीत इण्डोनेशिया में उनका धर्मान्तरण बगैर किसी विरोध के हो गया। वैसे सुकमावती के इस धर्मान्तरण को एक प्राचीन भविष्यवाणी से जोड़ा जा रहा है। उसके अनुसार जिसमें कहा गया था कि सबपदापलोन नामक एक रहस्यवादी पुजारी वापस आएगा और हिन्दुओं की महिमा की पुनरस्र्थापित करेगा। वैसे भी इण्डोनेशिया के अधिसंख्य लोग इस्लाम के मानते हैं, किन्तु यहाँ आज भी हिन्दू धर्म समाप्त नहीं हुआ है। यहाँ इस्लामी संस्कृति पर हिन्दू प्रभाव दिखता है। लोगों और स्थानों के नाम आज भी अरबी और संस्कृत में रखे जाते हैं। यहाँ आज भी ‘पवित्र कुरान’ को संस्कृत भाषा में पढ़ा और पढ़ाई जाती है। यूरोपीय शक्तियों इण्डोनेशिया के मसालों के व्यापार पर एकाधिकार को लेकर एक-दूसरे से लड़ीं।
इण्डोनेशिया दक्षिण-पूर्व एशिया और ओशिनिया में स्थित एक विशाल बहुद्वीपीय देश है, जिसमें 13,000से अधिक द्वीप हैं। इण्डोनेशिया की जमीनी सीमा पापुआ गिनी, पूर्वी तिमोर और मलेशिया के साथ मिलती है,जबकि अन्य पड़ोसी देशांे में सिंगापुर, फिलीपीन्स, आस्टेªलिया, तथा भारत के अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र सम्मिलित हैं। इण्डोनेशिया के 6000 द्वीपों में आबादी है। पाँच मुख्य द्वीप जावा, सुमात्रा, कालीमर्तन (इण्डोनेशियाई बोर्नियो),सुलवेसी और इरियन जाया(वेस्ट न्यू गिनी )है। इनके साथ 30छोटे द्वीप- समूह भी हैं। इस देश की राजधानी -जकार्ता है,इसका प्राचीन नाम-बराविया है,जो यह जावा द्वीप है। यह देश 27 प्रान्तों में विभाजित है। इसके मुख्य नगर- सुराबाला, बांडुंग, सेमरांग, सूरकर्ता, मकासर, मेदां। इण्डोनेशिया का क्षेत्रफल- 1,904,569 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या- 27करोड़ से अधिक है। इस देश के लोग इस्लाम,ईसाई, हिन्दू, बौद्ध धर्म मानते है और वे ब्रह्मसा, इण्डोनिशियन, डच, अँग्रेजी और अन्य आस्ट्रोनेशियन भाषाएँ बोलते हैं। इसके एक द्वीप बाली बस्ती के निवासी आज भी हिन्दू है। यहाँ अनेक हिन्दू मन्दिर हैं,जिन्हें देखने बड़ी संख्या मंे पर्यटक तथा तीर्थयात्री आते हैं।
इण्डोनेशिया की मुद्रा-रुपया है। यहाँ 92प्रतिशत साक्षरता है। यह देश 17अगस्त,सन् 1945 को स्वतंत्र हुआ। नीदरलैण्ड की सेना के समर्पण के बाद जापानी सेना का इण्डोनेशिया पर सन् 1942से 1945 तक कब्जा रहा। इण्डोनेशिया के लोगों 17 अगस्त, सन् 1947 को अपनी स्वाधीनता की घोषणा कर दी। स्वाधीनता की लड़ाई के बाद नीदरलैण्ड ने 27 दिसम्बर 1949 को इण्डोनेशिया का सत्ता सौंप दीं। 17अगस्त, 1950 को यह एक गणतंत्र देश बना और डाॅ.सुकार्नो राष्ट्रªपति बने। सन् 1968 में सेना प्रमुख जनरल सुहार्तो राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किये गए। सन् 1996 में डाॅ. सुकर्णों की पुत्री मेगावती सुकर्णोपुत्री प्रमुख विपक्षी नेता के रूप में उभरी। प्राकृतिक संसाधनों सबसे धनी देशों में से एक है। यहाँ टिन, तेल बहुतायत से निकाला जाता है। बाक्साइट, तांबे, निकल, सोने ,चाँदी के काफी बड़े भण्डार है। प्रमुख उद्यम कृषि है। दूसरे महायुद्ध से पहले दुनिया भर की क्यूनीन यहाँ पैदा होती थी । चावल मुख्य भोजन और मुख्य फसल है। दूसरी मुख्य फसलें – तम्बाकू, काफी, रबर, काली मिर्च, सेमल की रुई,नारियल ,ताड़ तेल,चाय ,गन्ना, सिनकोना आदि हैं। वन उत्पादन विदेशी मुद्रा अर्जित करने का प्रमुख साधन है। 100 बिलियन डालर से अधिक विदेशी कर्ज के कारण इण्डोनेशिया विश्व का सबसे बड़ा कर्जदार देश है। अब इस भविष्यवाणी के बारे में ठीक से कुछ कह पाना सम्भव नहीं है, किन्तु यह सच है कि हिन्दू धर्म के अनुयायियों ने दूसरे मजहब वालों की तरह अपने धर्म को ही सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को कमतर कभी नहीं बताया है। यह अच्छी बात है कि सुश्री सुकमावती सुकर्णोपुत्री ने अपने पूर्वजों के धर्म को अंगीकार करना उचित समझा। अब देखना यह है कि इस देश में दूसरे कितने लोग उनका अनुसरण करते हैं?
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार, 63 ब,गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर- 9411684054
इण्डोनेशिया में पूर्व राष्ट्रपति पुत्री बनी हिन्दू

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