राजनीति

सीमा सुरक्षा पर भी ओछी राजनीति

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आतंकवाद तथ सीमा पार के अपराधों के खिलाफ शून्य सहनशीलता (जीरो टालेन्स)की नीति के तहत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर अन्दर तकं तलाशी लेने, संदिग्धों को गिरफ्तार और जब्ती करने का अधिकार दिया गया है। यह व्यवस्था 10 राज्यों तथा दो केन्द्र प्रशासित प्रदेशों मे लागू होगी, जिसका कुछ राजनीतिक दलों विशेष रूप से काँग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी द्वारा अपने पार्टी की सरकारों के खिलाफ मानते हुए इसकी आलोचना किया जाना अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण और राष्ट्र हित के विपरीत है, जबकि स्वयं उसकी पार्टी के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपने सूबे की सरहद को बेहद संवेदनशील बताते हुए पाकिस्तान द्वारा ड्रोनों के जरिए बार-बार मादक पदार्थ तथा हथियार भेजे जाने की बात कही थी,जिन्हें बरामद भी किया जा चुका है। उन्होंने सूबे में पाकिस्तानी घुसपैठियों के खतरों तथा खालिस्तानियों की गतिविधियों की भी जानकारी दी थी। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केन्द्र सरकार से पंजाब सीमा पर ज्यादा निगरानी बढ़ाने का आग्रह भी किया था। वैसे भी सीमा सुरक्षा बल किसी राज्य की पुलिस नहीं है। यह केन्द्रीय बल है, जिस पर देश की सीमाओं की सुरक्षा का महती दायित्व रहता है। विडम्बना यह है कि जो काँग्रेस अब इस निर्णय का मुखर विरोध कर रही है। सन् 2011 में उसी काँग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र में संप्रग सरकार के तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम् ने बीएसएफ को ज्यादा अधिकार देने की कोशिश की थी, तब इसका भाजपा ने विरोध किया था, लेकिन पंजाब और पश्चिम बंगाल ने चुप्पी साध ली थी। उस समय पी. चिदम्बरम ने राज्यसभा में बीएसएफ संशोधन विधयेक प्रस्तुत किया था।तब उनका कहना था कि विधेयक पेश करने पहले सभी 29राज्यों की राय ली गई है। इनमें से केवल सिक्किम ने बीएसएफ को अत्यधिक शक्ति देने को राज्य के अधिकार क्षेत्र में दखल करार दिया है। इसके तहत बीएसएफ को 15किलोमीटर के दायरे में राज्य में कहीं भी तलाशी लेने, जब्ती करने और गिरफ्तार करने का अधिकार दिया था। इससे स्पष्ट है कि अपने देश के राजनीतिक दलों पक्ष बदलते ही उनकी नीति, सिद्धान्त और दृष्टि परिवर्तित हो जाती है,भाजपा भी इस माने में दूसरी सियासी पार्टियों से कतई अलग नहीं है।
लेकिन अब जहाँ काँग्रेस बीएसएफ को अधिक अधिकार देने को सांविधानिकता के खिलाफ लिया गया फैसला बता रही है। उसके पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तथा उपमुख्यमंत्री सुखजिन्दर सिंह रन्धावा इस फैसले को तुरन्त वापस लेने को कह रहे हैं। पंजाब के ही मंत्री परगट सिंह इसे संघवाद पर हमला बता रहे हैं तो वहीं, तृणमूल काँग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (शिअद), आम आदमी पार्टी (आप) भला कैसे पीछे रहती? ये भी अपनी तरीकों से इस फैसले को देश के संघीय ढाँचे को कमजोर करने और राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण करने की कोशिश बता रहे हैं। पश्चिम बंगाल सीमा पर गोवंश की तस्करी, और बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ की समस्या विकट है। इससे निपटने के लिए तमाम तरीके अपनाये जाने के बाद भी न गोवंश की तस्करी रुक पा रही है और न अवैध घुसपैठ ही। इस वजह से पश्चिम बंगाल के सीमान्त जिलों में बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी लगातार तेजी से बढ़ रही है। इसे पहले तृणमूल काँग्रेस की नेता ममता बनर्जी अपने राज्य के हितों के लिए खतरनाक मानते हुए इसे रोकने को आन्दोलनरत रहती थीं, पर सत्ता में आने के बाद ये बांग्लादेशी उनके थोक वोट बैंक बन गये हैं। अब सत्ता के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही उनकी सबसे बड़ी पैरोकार बन गई हैं, जो देर सबेर देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए घातक साबित होेंगे।
अपनी पार्टी में हाशिये पर आ गए काँग्र्रेस के सांसद मनीष तिवारी भी इस मुद्दे पर किसी से पीछे रहना नहीं चाहते। उन्होंने भी पार्टी में अपनी अहमियत साबित करने को अब पीछे नहीं रहना चाहते,सो उन्होंने भी आरोप लगाया है कि केन्द्र का इरादा कुछ और है। धारा-139 को पढ़ने से ज्ञात होता है कि बीएसएफ के पास स्थानीय पुलिस को विश्वास में लिया बिना एकतरफा कार्रवाई करने की शक्ति है। माना जनाब, आप कानून के ज्ञानी हैं, पर एनडीए सरकार में भी आप जैसे कानून के बहुत सारे ज्ञानी हैं। उन्होंने भी आपकी तरह इस कानून को जरूर पढ़ा होगा। उसके बाद ही यह फैसला लिया होगा। वैसे इनके जवाब में भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मादक पदार्थ/ड्रग्स, गोवंश की तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को विस्तार कर 15 से बढ़ा कर 50 किलोमीटर तक कर दिया गया है।यह इसलिए जरूरी था ताकि सीमा से भाग कर गए तस्करों और अवैध घुसपैठियों को अन्दर जाकर पकड़ा जा सके। उन्हें पुलिस के भरोसे न छोड़ जा सकता।वैसे भी ये लोग अक्सर पुलिस से तालमेल बैठा लेते हैं या फिर पुलिस को प्रलोभन देकर कानून की गिरफ्त में आने से बच जाते थे।
वैसेे अपने राजनीतिक फायदों को लेकर ये सियासी पार्टियों कुछ भी कहें, लेकिन हकीकत यह है कि देश काल परिस्थितियों के अनुसार हर देश में नियम-कानून में परिवर्तन होता आया है, अपना मुल्क भी इसका अपवाद नहीं है। इस बार भी जहाँ बीएसएफ के पंजाब, बंगाल, असम में सीमा से 15 किलोमीटर अन्दर तक के अधिकार का विस्तार किया है, वहीं पूर्वोत्तर के पाँच राज्यों- मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैण्ड, मेघालय में इसके अधिकार क्षेत्र में 30 किलोमीटर की कमी की गई है। यहाँ तक कि गुजरात में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 80से घटाकर 50किलोमीटर कर दिया गया है। राजस्थान में उसका क्षेत्राधिकार यथावत यानी 50किलोमीटर बना रहेगा। इससे स्पष्ट है कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार या फिर कमी सरहद की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए लिया गया, न कि किसी राज्य सरकार को हैरान-परेशान करने के लिए।
अब ‘दण्ड प्रक्रिया संहिता’ (सीआरपीसी) के तहत बीएसएफ का सबसे निचली रैंक का अधिकारी अब मजिस्टेªट के आदेश तथा वारण्ट के बगैर अपनी शक्तियों और कर्त्तव्यों के पालन तथा निर्वहन कर सकता है। अब ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार है, जो किसी भी संज्ञेय अपराध में शामिल है, या जिसके विरुद्ध उचित शिकायत की गई है या विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है। यह निर्णय देश हित में लिया गया है। यह किसी से छुपा नहीं है। पाकिस्तान से लगी भारत के सरहदी सूबों जम्मू-कश्मीर से लेकर पंजाब, गुजरात, राजस्थान में मादक पदार्थ, हथियार, घुसपैठिये भेजने की फिराक मंे लगा रहता हैं, जो भारत से प्रत्यक्ष युद्ध न कर पाने की स्थिति में कई दशक से ‘छद्म’ युद्ध लड़ रहा है। अब पाकिस्तान अफगानिस्तान से नशीले पदार्थोे को लाकर तस्करी के लिए ड्रोनों का भी इस्तेमाल कर रहा है। इन नशीले पदार्थों के जरिए पाकिस्तान भारत की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने के साथ भारी कमाई भी करता आ रहा है। इस धन को वह भारत में जासूसी और दहशतगर्दों पर खर्च करता है। अब तक भारत ने पाकिस्तान के कई ड्रोन मार गिराये हैं, उनसे हथियार तथा मादक पदार्थ भी बरामद हुए हैं। अफसोस की बात यह है कि इस हकीकत से ये सियासी पार्टियाँ अनजान नहीं हैं, फिर भी ये सभी सत्ता के लिए वे सारे काम करती आयी हैं, जिनसे मुल्क की सुरक्षा और उसके हितों को नुकसान पहुँचने का पूरा अन्देशा हो। पता नहीं,कब इन्हें छोटी-सी यह बात कब समझ में आएगी कि सत्ता तो आती-जाती है, लेकिन देश और उसके लोगों की हिफाजत सबसे बढ़कर होती है। फिर जब मुल्क ही नहीं रहेगा,तब ये लोग सियासत कहाँ और किस पर करेंगे?
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार, 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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