राजनीति

दहशतगर्दों की दरिन्दगी पर फिर खामोशी

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में आतंकवादी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ के हिट स्क्वाड -‘रजिस्टेन्स फ्रण्ट जम्मू-कश्मीर’ के दहशतगर्दों द्वारा 7 अक्टूबर को ईदगाह स्थित गवर्मेण्ट हाईस्कूल की प्रिंसिपल 45वर्षीय सतिन्दर कौर तथा कश्मीरी हिन्दू शिक्षक दीपक चन्द की तीन दहशतगर्दों ने गोली मार कर हत्या कर दी। उनका कसूर बस इतना था कि उन्होंने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की तैयारी बढ़चढ कर की और खूब जश्न मनाया था। इससे पहले इसी गिरोह के दहशतगर्दो ने 5अक्टूबर को कुछ ही समय में एक के एक बाद दवा विक्रेता कश्मीरी हिन्दू मक्खन लाल बिन्दरु, फिर मिर्जा कामिल चैक, लालबाजार में ठेले पर गोल गप्पे बेचने वाले भागलपुर,बिहार के रहने वाले दलित विरेन्द्र कुमार पासवान, उत्तरी कश्मीर के बाडीपोरा के शाहगुंड नाइखेई में टैक्सी यूनियन के प्रधान मुहम्मद शफी लोन उर्फ सोनू की निर्ममता से गोली मार कर हत्या,फिर वीरेन्द्र कुमार पासवान की हत्या का वीडियो जारी करने की घटना की अत्यन्त दुःखद है जिसकी जितनी निन्दा की जाए, वह कम ही मानी जाएगी। इन हत्याओं के जरिए ये दहशतगर्द मक्खनलाल बिन्दरु, राकेश पण्डित, जैसे हिन्दुओं, सिखों को कश्मीर घाटी छोड़ने का पैगाम देना चाह रहे, जो 1990 की उनकी तमाम हैवानियत, दहशतगर्दी, धमकियों के बावजूद यहाँ डटे रहे। इन दहशतगर्दों की इस कायराना हरकत से उनकी कश्मीर के सुधरते हालात, ग्राम पंचायतों के निष्पक्ष चुनाव, बड़े पैमाने पर विकास कार्यों, पहले से बेहतर तथा पारदर्शी, प्रशासनिक व्यवस्था, केन्द्रीय मत्रियों के दौरे और उनमें स्थानीय लोगों की सहभागिता से पैदा खीज और बौखलाहट जाहिर ही होती है। इससे घटना से कुछ दिन पूर्व ही इन दहशतगर्दों ने अनन्तनाग के मट्टन पर्वत पर स्थित बेघरशेखा देवी माता के मन्दिर में तोड़फोड़ की थी। पिछले कई महीनों में ये कश्मीरी हिन्दू-मुस्लिम, सिख सरपंचों, सैन्य-पुलिस कर्मियों, हिन्दू नेताओं की जान ले चुके हैं। उनके लिए वह हर शख्स उनका दुश्मन है, भारत के साथ हमदर्दी रखता और इसे अपना ही मुल्क मानता है। इन वारदातों की सबसे बड़ी ताजा वजह गत 17 सितम्बर को केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्वानन्द सोनेवाल द्वारा बारामूला के ख्वाजा बाग में 40.32 करोड़ रुपए की लागत से 337 में विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं के परिवारों के लिए आवास काॅलोनी नींव रखा जाना है। इससे इस्लामिक कट्टरपन्थी बेहद नाराज हंै। यह अलग बात है कि अपने असल मकसद इस सूबे को ‘दारूल इस्लाम’ में तब्दील करने को एजेण्डे को छुपाने को यहाँ की सियासती पार्टियों के रहनुमा कश्मीरियत, इन्सानियत, जम्हूरियत का राग जरूर अलापते आए हैं। अक्सर वे विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं को घाटी में वापस आकर बसने का खैरमकदम करने की बात भी करते आए हैं, पर दिल से ये कश्मीर घाटी में बचे-कुचे गैर मुसलमानों को भी भगाना चाहते हैं। इसलिए गैर मुसलमानों को तरह -तरह से परेशान कर उन्हें पलायन करने को मजबूर करते आ रहे हैं। उनका इस सूब को ‘दारूल इस्लाम’ बनाने का ख्वाब 5 अगस्त, 2019 को केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35 ए खत्म करने के साथ केन्द्र प्रशासित राज्य बनाकर हमेशा के लिए तोड़ दिया है। उन्हें उम्मीद थी कि इससे मामले में पाकिस्तान कुछ न कुछ मदद जरूर करेगा, पर वह अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीरी राग अलापने से ज्यादा कुछ नहीं कर पाया। उसके बाद पाकिस्तान की मदद से अफगानिस्तान में खूंखार इस्लामिक दहशतगर्द संगठन ‘तालिबान’ पर कब्जे करने पर पीडीपी अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुपती ,नेकाॅ.के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ.फारूक अब्दुल्ला समेत अलगावदियों, पाक समर्थक देश के मुस्लिम नेताओं, शायर, अभिनेता, अभिनेत्रियों, वामपन्थियों के दिलों में तालिबानों की मदद से जम्मू-कश्मीर में ‘निजाम-ए-मुस्तफा’/शरीयत लागूू होने की उम्मीद जगी,पर भारत की तीनों सेनाओं के अध्यक्षों द्वारा स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान, चीन समेत किसी का भी सामना तैयार होने को है, निश्चय ही इससे उन्हें गहरा निराशा/नाउम्मीदी बढ़ी होगी। इधर दहशतगर्दों के सरगनों के यहाँ एन.आइ.ए. की छापेमारी ने उनकी नींद हराम की हुई, उन्हें अब दूसरे मुल्कों से इमदाद लेने में दिक्कत हो रही है। यहाँ तक कि सुरक्षा बलों की सर्तकता के कारण पाकिस्ताने से भेजी विस्फोटक सामग्री आइईडी भी बार-बार पकड़ी जा रही है। इधर पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर से लगी अपनी सरहद पर युद्धविराम जरूरी किया हुआ है, लेकिन उसने इस सूबे में दहशतगर्दों को ड्रोनों से हथियार तथा मादक पदार्थ तथा घुसपैठिये बराबर से भेजता आया है।फिर उसे मनमाफिक कामयाबी नहीं मिल पा रही है।
अब इतनी बड़ी वारदात पर जहाँ नेशनल कान्फ्रेंस, पी.डी.पी., काँग्रेस, माकपा आदि सियासी पार्टियों के नेताओं की खामोशी या रस्म अदायगी की मजम्मत या फिर इन हत्याओं के लिए दहशतगर्दों की निन्दा के बजाय केन्द्र सरकार को ही दोषी ठहराया है, वहीं डोगरा फ्रण्ट, शिवसेना ने इसका घोर विरोध करते हुए केन्द्र सरकार से पाकिस्तान समर्थक स्थानीय दहशतगर्दों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है। इस दौरान मृतक मक्खन लाल बिन्दरु की बेटी डाॅ. श्रद्धा बिन्दरु के हौसले को दाद दी जानी चाहिए, जिसने परिवार के मुखिया की हत्या से शोकग्रस्त होने के बाद दहशतगर्दों को सामने आने की चुनौती देते हुए कहा , ‘‘कायरों! हिम्मत है तो सामने आओ। फिर तुम्हें पता चलेगा। तुम सिर्फ पत्थर मार सकते हो या पीछे से गोली चला सकते हो। शरीर तो केवल चोला है, तुम इसे मार सकते हो,लेकिन इसके अन्दर जो आत्मा और जज्बा है, वह हमेशा जिन्दा रहता है, जिसने भी मेरे पिता को मारा है,बहस करे। बोल नहीं पाएगा। मुँह से शब्द नहीं निकलेग, तब पता चलेगा। भले नहीं रहा हो, पर उनकी आत्मा नहीं है।’’ निश्चय ही डाॅ.श्रद्धा बिन्दरु की इस हुँकार, हिम्मत, हौसले से उन इस्लामिक दहशतगर्दों और उनके हमदर्दों को धक्का लगा होगा, जो इस सूबे से अपने मजहब के लोगों का बेदखल का ख्वाब अभी तक देख रहे हैं।
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.न.9411684054

 

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