राजनीति

कब तक आँखें मूँदे रहेंगे ?

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
हाल में भारतीय प्रशासनिक सेवा(आइएएस)अधिकारी मुहम्मद इपितखारुद्दीन द्वारा मण्डलायुक्त आवास पर अपने हममजहबियों के बीच मतान्तरण कराने को लेकर तकरीर देते हुए, जो अब तक 77 वीडियो वायरल हुए हैं,इनमें नौ वीडियो में एस.आई.टी.को कट्टरता के सुबूत मिले हैं, निश्चय ही यह गम्भीर मामला है। इससे पहले हजारों की तादाद में लोगों का मतान्तरण कराने के आरोपी मौलाना कलीम सिद्दीकी और उसके 14 मददगारों की गिरपतारी भी हो चुकी है। इनमें कलीम सिद्दीकी की संस्था‘ वलीउल्ला ट्रस्ट’ के खाते में 20 करोड़ रुपए की फडिंग हुई है,जिसका मतान्तरण में इस्तेमाल किये जाने का सन्देह है। इन मसलों की गहनता जाँच किया जाना बहुत जरूरी है। ये कोई मामूली मसले नहीं हंै। ये देश की आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा से जुड़ा हुए मसले हंै। ऐसे लोग का मजहबी मतान्तरण कराने के पीछे मकसद महज मजहबी न होकर सियासी है। इनमें से कुछ इस देश की जनसांख्यिकीय /डेमोग्राफिक चेंज कर इसे ‘दारूल इस्लाम’ बनाना चाहते हैं, तो वहीं कुछ इसे ईसाई मुल्क। अफसोस की बात यह है कि हमेशा की तरह इन दोनों मामलों में कथित पंथनिरपेक्ष सियासी मुस्लिम नेता उनके बचाव में यह कहते हुए उतर आए हैं, ऐसा केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकारें अपनी पार्टी भाजपा को चुनावी फायदे के लिए कर रही हंै। वैसे ऐसे मामले में गत18सितम्बर का केन्द्रीय मंत्री के.जे.अल्फोंस का यह आरोप उल्लेखनीय है जिन्होंने केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा(एल.डी.एफ.)और विपक्षी संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा(यू.डी.एफ.) पर कट्टरपन्थी संगठनों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य का ‘तालिबानीकरण’ किया जा रहा है। अगर ऐसे ही चलता रहा,तो अगले पाँच-दस सालों में दूसरा अफगानिस्तान बन जाएगा। गत माह केरल के एक गिरजाघर के बिशप जोसफ कल्लरैंगाट ने अपने राज्य में युवतियों को बड़े पैमाने पर ‘लव और नार्कोटिक जिहाद’ के जाल में फँस कर गैर मुस्लिमों को तबाह किये जाने का आरोप लगाया था,लेकिन केरल के मुख्यमंत्री पिनाई विजयन ने उनके आरोपों पर गम्भीरता से विचार करने की बजाय उनका यह कह कर प्रतिवाद किया,‘ जो लोग जिम्मेदार पदों पर हैं,उन्हें समाज में विभाजन पैदा करने वाले बयान देने से बचना चाहिए।’ अब इसी 2अक्टूबर को बिशप जोसेफ ने एक बार कहा है कि धर्मनिरपेक्षता भारत की मूल प्रकृति है,लेकिन छद्म धर्मनिरपेक्षता देश को नष्ट कर देगी।उन्होंने छद्म धर्मनिरपेक्षता को बर्बादी की जड़ बताया । वैसे भी भगवान परशुराम की भूमि कहे जाने वाले केरल में अब हिन्दुओं की आबादी 54.7बची है। हाल में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने भी दावा किया है कि उनके सूबे में अवैध घुसपैठियों ने 2050तक राज्य की सत्ता पर कब्जे का ब्ल्यू प्रिण्ट/रूप रेखा तैयार कर लिया है। घुसपैठियों का इरादा है कि तब तक वे राज्य के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रांे में बहुमत वाली संख्या में होंगे। सिपाझार, बोरखोला,लुमडिंग विधानसभा क्षेत्रों में घुसपैठिये 2026 तक अपनी संख्या बढ़ाकर बहुमत बनाने की फिराक में हैं।
विडम्बना यह है कि फिर भी जब से केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अगुवाई ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन’(राजग) सत्तारूढ़ हुई है, तब से देश के विभिन्न सियासी पार्टियों के मुस्लिम नेताओं और मुल्ला-मौलवियों द्वारा अलग-अलग जन संचार माध्यम में अक्सर मुल्क में मजहबी कट्टता बढ़ने, डर का माहौल होने और मुसलमानों के साथ भेदभाव, संविधान से छेड़छाड़ के आरोप लगाते हुए खुद को पंथ निरपेक्षता, संविधान में अटूट भरोसा जताते आए हैं, लेकिन हकीकत में ऐसे आरोप लगा कर वे हिन्दुस्तान को ‘दारूल इस्लाम’ बनाने के अपने एजेण्डा से देश के लोगों तथा सरकारों का ध्यान भटकाना चाहते हंै। इसके लिए ये लोग अपनी आबादी में इजाफा करने के लिए हिन्दुओं, ईसाइयों, सिखों को तरह-तरह के प्रलोभन देकर धर्मान्तरण कराना, लव जिहाद के जरिए युवतियों को फँसाना, गैर मुसलमानों को भयभीत करके उन्हें इस्लाम कुबूल कराने को मजबूर करना, रोहिंग्या, बांग्लादेशी मुसलमानों के फर्जी कागजात बनवाकर उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील इलाकों में बसा कर वहाँ की जनसांख्यिकीय में बदलाव कराना, विदेशी धन की मदद से मतान्तरण कराने, कश्मीर घाटी के इस्लामिक कट्टरपन्थियों , अलगाववादियों, दहशतगर्दों के बचाव में लगे हुए हैं। अब आइ.ए.एस. इपितखारुद्दीन तक मतान्तरण कराने की मुहिम से जुड़े पाए गए हैं। इससे पहले जम्मू-कश्मीर के एक मुस्लिम युवक ने भारतीय प्रशासनिक सेवा’ के लिए चुने जाने के कुछ समय बाद अपने साथ ही भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित पंजाब की एक हिन्दू अनुसूचित जाति की युवती से निकाह किया। फिर उसने ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ से इस्तीफा देकर सियासत से जुड़ने का फैसला कर लिया। क्या वह आइ.ए.एस. रहते हुए समाज सेवा नहीं कर सकता था? यह आप स्वयं समझ सकते हैं? अब पता चला है कि नेपाल से सटे कई जिलों में उत्तराखण्ड के ऊधम सिंह नगर, चम्पापत, पिथौरागढ़ में बहुत तेजी से जनसांख्यिकीय/डेमोग्राफिक चेंज हो रहा है। सन् 2011 की जनगणना में ही एक समुदाय विशेष की आबादी में ढाई गुना से ब़ढ़ोत्तरी हुई है। कमोबेश, कुछ ऐसी हालत पड़ोसी देश नेपाल की है, वहाँ की अन्दरूनी हाल तें तेजी बदलाव हुआ है। इससे उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं है। इसके बहराइच, बस्ती, गोरखपुर मण्डल से लगी नेपाल सीमा पर सिर्फ दो साल में ही 400 से अधिक एक धर्म विशेष के मदरसे (शिक्षण संस्थान) और मस्जिद (धर्मस्थल) बन गए हैं। सुरक्षा एजेन्सियों ने उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट जारी किया था। पिथौरागढ़ के दो कस्बों धारचूला और जौलजीबी को अति संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। यह तब जब गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन (एन.जी.ओ.) की विदेशों से मिलने वाले धन पर निगरानी की जा रही है। इसके बावजूद देश में मतान्तरण कराने के लिए मदरसों तथा मस्जिदों का बेजा इस्तेमाल बन्द नहीं हुआ है। ये उन जगहों पर बनाये जा रहे हैं, जहाँ मुसलमानों की आबादी बहुत कम है या बिल्कुल नहीं है। अब उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में जिस तरह अल्पसंख्यकों की आबादी में अचानक इजाफा हुआ है, वैसा अपने देश की कई सरहदों पर हो चुका है, पर केन्द्र और राज्य सरकारों की तुष्टीकरण की सियासत की वजह से देश की सुरक्षा को होने वाले गम्भीर खतरे की बराबर अनदेखी की जाती रही है। खास तौर से राजस्थान की पाकिस्तान से लगी सरहदी जिलों बाढ़मेर और जैसलमेर में कौन लोग ऊँट की सवारी कराने में लगे हैं और फेरी वाले एक विशेष समुदाय के सबसे ज्यादा क्यों हैं? कभी जानने की कोशिश नहीं की। पश्चिम बंगाल की बांग्लादेश से लगे सीमावर्ती जिलों में अचानक एक समुदाय की जनसंख्या में कैसे बढ़ोत्तरी हुई है? हिन्दू बहुल जम्मू की जनसांख्यिकी बदलने के लिए किसी तरह यहाँ के मुख्यमंत्रियों ने ‘रोशनी एक्ट’ बनाकर साजिश के तहत वन, नदियों, सिंचाई विभाग की सरकारी जमीनों पर कश्मीर घाटी और रोहिंग्या मुसलमानों को लाकर बसाया गया है। इसी तरह ईसाई मिशनरी सदियों से तरह-तरह के प्रलोभन देकर या शिक्षा, स्वस्थ सेवाओं की आड़ में आदिवासियों, वनवासियों, अनुसूचित/अनुसूचित जनजातियों के लोगों का मतान्तरण कराते आए हैं। इसका नतीजा यह है कि पूर्वोत्तर राज्यों के ज्यादातर लोग ईसाई बन चुके हैं। ये ईसाई मिशनरी ओडिसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब आदि राज्यों में लोगों को बहका कर ईसाई बनाने में जुटे हुए हैं।
ताजुब्ब की बात यह है कि मतान्तरण के इस खेल और उसके मकसद को सभी सियासी पार्टियाँ सालों से परिचित हैं, लेकिन मुसलमानों के एकमुश्त वोटों के तलबगार सबकुछ जानकर होते हुए आँखें मूँदे हुए हैं। इन्हें खुश करने के लिए केरल में मुस्लिम बहुल जिले का नाम ‘मल्लपुरम रखने की माँग आसानी से मान ली। मुस्लिम वोटों के लिए इसी वर्ष साल पंजाब की काँग्रेस सरकार ने ईद को मुस्लिम बहुल तहसील ‘मल्लेर कोटला’ को जिला बना दिया। इन सियासी नेताओं को जम्मू-कश्मीर के शेख अब्दुल्ल्ला, डाॅ.फारूक अब्दुल्ला,उमर अब्दुल्ला, मुपती मोहम्मद सईद, महबूबा मुपती जैसे तमाम नेता,मुल्ला,मौलवी पंथनिरपेक्ष दिखायी देते रहे हैं, जो अनुच्छेद 370 और 35ए केे साथ कश्मीरियत आड़ में इसे सूबे को हिन्दू, सिख, बौद्ध विहीन बनाकर यहाँ दारूल इस्लाम बनाने और इसे पाकिस्तान को सौंपने की कोशिश में लगे थे। केरल में बड़े पैमाने पर ‘एस.डी.पी.आइ’, पी.एफ.आई.जैसे संगठन ‘लव जिहाद’ के जरिए युवतियों को गुमराह कर उनका मतान्तरण कराने में जुटे हैं। ऐसे ही संविधान के हिमायत में लम्बी-लम्बी तकीरें करने वालों मुस्लिम सियासी रहनुमा के राष्ट्रीय गीत समेत दूसरे राष्ट्रीय प्रतीकों की अवमाना करने में कुछ भी गलत नजर नहीं आता। इनमें सियासी नेता ही नहीं, साहित्यकार, कवि, शायर, फिल्मी गीतकार, संवाद लेखक, निर्देशक, बुद्धिजीवी, अभिनेता,अभिनेत्रियाँ शामिल हैं।इस तरह जनसांख्यिकीय बदलाव के जरिए देश का स्वरूप बदलने का षड्यंत्र चला रहा है। फिर भी सत्ता के प्रलोभन में इस हकीकत को बार-बार छुपाने की कोशिश जाती रही है।इस मसले पर बिशप
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.न.9411684054

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