श्रद्धांजली

बहुत याद आते हैं, सभी के प्यारे-दुलारे रामकुमार अग्रवाल

प्रथम पुण्य तिथि 28 सितम्बर पर विशेष
डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
देह छुटने के बाद राख हो जाने पर प्राणी अपने यश से वैसे ही जाना जाता है, जैसे कपूर अपनी सुगन्ध से ’राजतरंगिणी ग्रन्थ का उक्त वाक्य सभी के प्यारेे-दुलारे, बहुआयामी व्यक्ति के धनी,निर्भीक, राष्ट्रवादी, धर्मप्रेमी, मृदुभाषी, उत्साही, हँसमुख, निस्वार्थ सेवाभावी, मेरे प्रिय अनुज रामकुमार अग्रवाल पर सटीक उतरता है, जो गत 28 सितम्बर को एक दुर्घटना में गम्भीर रूप से घायल होने के बाद इस दुनिया को छोड़कर प्रभु के धाम चले गए। अपने सेवा कार्यों और बिना किसी स्वार्थ के दूसरों के लिए सहायता के लिए सदैव तत्पर रहने के कारण उन्होंने विभिन्न संगठनों में उनकी अपनी विशिष्ट पहचान थी। इकहरा बदन,मध्यम कदकाठी,सांवला रंग, सीना ताने, शरीर पर रंगीन कमीज/बुशर्ट,पेण्ट,पाँवों में चप्पलें पहने,इधर-उधर निगाहें दौड़ाते हुए सभी को यथायोग्य अभिवादन करते हुए मस्तीभरी चाल से गुजरने वाले इस शख्स पर हर किसी की दृष्टि कुछ देर के लिए टिक जाती थी और उन्हें देखकर वह आनन्द का अनुभव करता था।दरअसल, रामकुमार अग्रवाल कुछ ऐसे ही थे,जिनकी सहज आत्मीय मुस्कान सभी का दिल खुश कर देती थी। रामकुमार अग्रवाल ने कभी किसी से अपने लिए कोई पद नहीं माँगा, फिर भी अनेक संगठनों ने उनकी कार्यक्षमता, दक्षता,कुशलता, लगन, संगठन शक्ति, तन्मयता से सेवा करने को देखते हुए उन्हें पदाधिकारी बनाया। रामकुमार अग्रवाल उन बिरले लोगों में से एक थे, जिन्हें अपना नाम और चित्र खिंचवाने और समाचार पत्रों में छपने से कहीं अधिक दिलचस्पी अपने दायित्व के निर्वहन में होती थी। वह सही माने ऐसे स्वयं सेवक थे, जिन्हें किसी कार्य को करने के लिए किस के कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। उन्हें जहाँ कहीं भी कुछ कमी दिखायी देती थी, उसे वह स्वयं दूर करने में जुट जाते थे। वे अपने दुकान पर आने वाले हर उम्र ग्राहकों के साथ अत्यन्त आत्मीयता पूर्ण व्यवहार करते थे। अक्सर वह छोटे-बड़े, बच्चे, महिला, हमउम्र, वृद्ध हर किसी से प्रेम से मुन्ना, मुन्नी,भाइया जी भाई साहब, बहन जी, भाभी जी, माताजी, चाचाजी, ताऊ जी आदि से प्यार से सम्बोधित कर उनकी जरूरतों के मुताबिक सामान उपलब्ध कराते थे। ग्राहक के सामान न खरीदने या खरीदा हुआ सामान वापस करने पर उसके प्रति कभी भी कठोर शब्दों या नाराजगी नहीं दिखाते थे। दुकान पर ही नहीं, राह चलते हुए भी वह अपने व्यवहार से रिश्ते बना लेते थे। रामकुमार अग्रवाल रिश्ते बनाना ही नहीं,उन्हें निभाना अच्छे से आता था। अपने गुणों के कारण वह अपने सगे-सम्बन्धियों और परिचितों में वह ‘रामभाई’ के नाम से मशहूर थे। मेरा उनसे सम्पर्क में राजामण्डी निवासी एक मित्र ने नब्बे के दशक में दैनिक आज,आगरा में कार्य करते समय कराया। उसके बाद वह मेरे अनुज ही नहीं, पूरे परिवार के सदस्य बन गए। वह राजनीतिक रूप से काफी जागरूक थे। इसलिए मैंने उनसे समाचार पत्र के जानकारियाँ उपलब्ध कराने कहा।इस वह मेरे संवाद सूत्र बन गए। इस कार्य को वह बखूबी करते रहे। उनकीजब मैंने सन् 1995 में पाक्षिक राष्ट्रवन्दना की शुरुआत की,तब उन्हें इस पत्र से भी जोड़ा दिया। इस पत्र के प्रचार-प्रसार में उन्होंने बहुत योगदान दिया है।उसी दौरान रामकुमार अग्रवाल को ‘उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसियेशन(उपजा) का सदस्य बनाया। फिर इनके सक्रिय योगदान को देखते हुए इन्हें उपजा की आगरा इकाई का सचिव चुना गया। उपजा के विभिन्न आयोजनों विशेष रूप से 30मई को ‘हिन्दी पत्रकारिता दिवस’ में बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाने के साथ जलपान की व्यवस्था रामकुमार अग्रवाल ही सम्हालते रहे। वह मेरे साथ ‘नेशनल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट्स’(एन.यू.जे.) के अयोध्या में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने गए। वहाँ पधारे ‘विश्व हिन्दू परिषद्’ के राष्ट्रीय अशोक सिंहल जी से भेंट की और उनके साथ चित्र भी खिंचवाया। उस सम्मेलन की समाप्ति के बाद रामकुमार अग्रवाल अपने पत्रकार साथी विनीत कुमार सिंह, मुकेश रावत के साथ नेपाल यात्रा पर चले गए। वैसे रामकुमार अग्रवाल वैश्य परिवार में पैदा जरूर हुए थे,लेकिन उनमें क्षत्रित्व के सभी गुण थे।वह अन्याय, अत्याचार होते नहीं देख पाते थे और प्रतिकार के लिए खड़े हो जाते थे।भले ही ऐसा होने पर उन्हें कितनी ही आर्थिक या किसी अन्य प्रकार की क्षति उठानी पड़े। सच कहूँ ,तो वह मेरे लिए वह बहुत कुछ थे,जो संकेत पाते ही मेरे लिए कुछ भी करने को सदैव तत्पर पर रहते थे। मेरे फोन करते ही उसके प्रत्युत्तर में ,‘‘पाय लागू भाईसाहब!’’से उनसे मेरा संवाद शुरू होता था। यहाँ तक कि मेरी पत्नी रेखा सिंह या कोई भी सम्बन्धी राजामण्डी या किसी दूसरे बाजार से किसी वस्तु को खरीदने से पहले रामकुमार अग्रवाल को याद करते थे,क्योंकि उनका कई बाजार के बड़े दुकानदारों से निजी सम्बन्ध थे । मेरे दोनों बेटों अनुज कुमार सिंह सिकरवार और अपूर्व सिंह सिकरवार की शादी में रामकुमार अग्रवाल ने खरीदारी करायी। यहाँ तक कि छोटे बेटे अपूर्व सिंह सिकरवार की दावत की सारी व्यवस्था भी उन्होंने ही सम्हाली।
राम कुमार अग्रवाल का जन्म एक मध्यमवर्गीय अग्रवाल वैश्य परिवार में 17 अक्टूबर,सन् 1953को हुआ।उनके पिता जी का नाम जगदीश प्रसाद अग्रवाल तथा माता का नाम श्रीमती बिरमा देवी अग्रवाल था,जो अत्यन्त धार्मिक विचारों की महिला थीं। रामकुमार अग्रवाल पर भी उनका गहरा प्रभाव पड़ा।
उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा अपनी माता जी से प्राप्त की। वह अपने छह भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।इसके कारण सभी के दुलारे भी रहे।उनके सबसे बड़े भाई श्यामसुन्दर अग्रवाल, दूसरे बड़े भाई शिवकुमार अग्रवाल,तीसरे बड़े बड़े भाई गणेश प्रसाद अग्रवाल तथा श्रीमती स्नेह अग्रवाल, श्रीमती मीरा अग्रवाल बहनें हैं। उनका विवाह आगरा के ही मुहल्ले बुन्दूकटरा, सदर निवासी रूपा अग्रवाल पुत्री चोखेलाल अग्रवाल के साथ 30नवम्बर,सन् 1987 को हुआ था।
अपनी दुकान के पास ही ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (आर.एस.एस.) तथा ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्’कार्यालय होने के कारण रामकुमार अग्रवाल इन संगठनों की ओर आकर्षित हुए और उनके सम्पर्क में आए। वह बचपन से ही संघ की शाखा में जाने लगे थे। बाद में संघ कार्यालय के देखरेख का दायित्व भी सम्हाला। इस तरह रामकुमार अग्रवाल संघ के लिए कार्य करने लगे। रामकुमार ने माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने पारिवारिक व्यापार को ही आगे बढ़ाने की इच्छा जतायी और राजा मण्डी चैराहे पर स्थित ‘शोभाराम जनरल स्टोर’ कार्य सम्हाला। सनातन धर्म में गहरी आस्था के कारण रामकुमार अग्रवाल बचपन से ही धार्मिक -सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे। कालान्तर में उन्होंने ‘श्रीरामजन्मभूमि आन्दोलन में भी बढ़चढ़ कर भाग लिया। उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ द्वारा गठित हिन्दू युवा वाहिनी की आगरा शाखा के रामकुमार अग्रवाल संस्थापक सदस्य थे। सैकड़ों वर्ष पुरानी श्री दशहरा शोभायात्रा आयोजन समिति ,राजामण्डी क्षेत्र की लम्बे समय तक जिम्मेदारी निभायी।
अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद् के प्रदेश सचिव, श्रीदशहरा शोभायात्रा आयोजन समिति के वरिष्ठ अध्यक्ष, गणगौर मेला कमेटी, गोकुलपुरा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्रीजगन्नाथ भवन कैलादेवी,करौली,राजस्थान-न्यासी, नागरिक सुरक्षा कोर, आगरा(सिविल डिफेन्स)के पोस्ट वार्डन, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसियेशन(उपजा) की आगरा इकाई के सचिव, पाक्षिक राष्ट्रवन्दना के विशेष संवाददाता, महाराजा अग्रसेन यूथ ब्रिगेड(अग्रवाल डायरेक्टरी) -जिलाध्यक्ष , विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट, हरिद्वार की जिला आगरा इकाई के सचिव। राजमण्डी छोटा चैराहा बाजार समिति के संस्थापक, अग्रवाल युवा संगठन- मार्गदर्शक, अग्रसेना-मार्गदर्शक, अग्रवाल महासभा- सदस्य, अखिल भारतीय महासभा के सदस्य, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन-सदस्य। रामकुमार अग्रवाल हनुमान जी के भक्त थे। हर मंगलवार को वह वानरों को केला आदि फल खिलाने लाल किले जाया करते थे। दुर्भाग्यवश अशोक नगर स्थित नये घर की तीसरी मंजिल पर उत्पात मचा रहे वानरों को भगाने खाली हाथ चले गए। उसी दौरान एक वानर ने धक्का देकर गली में उन्हें गिरा दिया,जिससे वह गम्भीर रूप से घायल हो गए।ये ही चोटें ही उनके लिए जानलेवा साबित हुईं।
सन् 2020 में विश्वव्यापी महामारी कोरोना-19 से पीड़ित हुए, लेकिन उपचार के बाद स्वस्थ होकर घर आ गए। रामकुमार का 58 वर्ष की अवस्था में निधन 28 सितम्बर, सन् 2020 को आगरा में हो गया। मरणोपरान्त ‘अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद्’ द्वारा रामकुमार अग्रवाल समाज के प्रति उनकी निष्ठा और कार्यों को देखते हुए उन्हें‘ वैश्य रत्न’ से विभूषित किया गया।वह अपने पीछे तीन पुत्र-अम्बुज-पायल, अम्बर-करिश्मा, अंकुर को छोड़ गए हैं। अब स्वर्गीय रामकुमार अग्रवाल के भतीजे मनीष अग्रवाल ‘अग्रसेना’ अपने चाचा के पदचिन्हों पर चलते पारिवारिक दायित्वों के साथ-साथ उन सभी सामाजिक -राजनीतिक संगठनों में सक्रिय भूमिका निभा रहे है, जिनसे वे जुड़े हुए थे। मैं, उनका परिवार और उनके सभी मित्र यह कामना करते है कि प्रभु उनके सद्कर्मों को देखते हुए उन्हें अपने श्रीचरणों में विशेष स्थान प्रदान करें।
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.न.9411684054

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