राजनीति

कब तक छुपायेंगे इस हकीकत को ?

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों केरल के एक गिरजाघर के बिशप जोसफ कल्लरैंगाट द्वारा अपने राज्य में युवतियों को बड़े पैमाने पर ‘लव और नार्कोटिक जिहाद’ के जाल में फँस कर गैर मुस्लिमों को तबाह किये जाने का जो आरोप लगाया है, वह अत्यन्त गम्भीर, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला और देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी बहुत खतरनाक है। इस साहसिक सच्चाई को उजागर करने के लिए वह बधाई के पात्र हैं। उनके सत्साहस की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम ही होगी। केरल सरकार को उनके इस आरोप को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इस मामले की बगैर किसी राजनीतिक नफा-नुकसान की परवाह किये पूरी ईमानदारी से गहरी से जाँच करायी जानी चाहिए। वैसे अक्सर ऐसे आरोप देश के अलग-अलग प्रदेशों में हिन्दूवादी संगठनों द्वारा लगाये जाते रहे हैं, जिन्हें राजनीतिक दल और उनकी सरकारें सच्चाई को जानते हुए भी सियासी वजहों से नाकारा/खारिज किया जाता रहा है। अब इस मुद्दे को बिशप जोसेफ कल्लरैंगाट ने उठाया है। उनका बयान भी अत्यन्त विचारणीय है, जो तथ्य और सत्य आधारित है। जिहादियों को लेकर उनका कथन है, सर्वथा सही है। जिहादी यह जानते हैं कि भारत जैसे लोकतंात्रिक देश में हथियार उठाना और दूसरों को तबाह करना आसान नहीं है, इस वजह से उन्होंने गैर मुस्लिमों को शिकार बनाने के विभिन्न तरीके अपना लिए हैं। वे दो हथियार को इस्तेमाल कर रहे हैं। ‘लव जिहाद’ और नार्कोटिक जिहाद’। बिशप कल्लरैंगाट के मुताबिक जिहादी, लव या दूसरे तरीके से अपना कर दूसरे धर्मों की महिलाओं का मतान्तरण कराते हैं और आतंकवादी गतिविधियों के या आर्थिक लाभ के लिए उनका दुरुपयोग करते हैं। जिहादी वह है, जिन्हें युवतियों को फँसाने और उन्हें अपने माता-पिता ,धर्म एवं आस्था को छोड़ने के लिए ब्रेनवाश करने का प्रशिक्षण दिया गया हैं। यह एक युद्ध रणनीति है। इसका हम विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी (एनआईए) की पूछताछ में 2महिलाओं ने ‘लव जिहाद’ और धर्म परिवर्तन की आपबीती बतायी है,जो केरल के कासरोड की रहने वाली अथिरा उर्फ आएशा तथा लाक्कड की अथिरा नम्बियार ने उनके बहकावे में आकर धर्मपरिवर्तन किया था। केरल सरकार ने कहा कि यूँ तो उसने मामले की जाँच एनआईए को सौपने के अदालत के निर्देश का पालन किया,लेकिन पुलिस को अब तर्क किया कि ऐसे अपराध का पता नहीं चला, जिसका वैधानिक तौर पर मामले के केन्द्रीय एजेन्सी के हवाले किया जा सके।
अब बिशप कल्लरैंगाट के आरोप ने सूबे की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। क्षोभ की बात यह है कि हमेशा की तरह अब जहाँ काँग्रेस ने बिशप के इस बयान की यह कहते हुए आलोचना की है, इससे ईसाई-मुस्लिम सौहार्द को क्षति पहुँचेगी, वहीं बिशप के बयान से नाराज मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का कहना है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को साम्प्रदायिक बयान देने से बचना चाहिए। सदैव की भाँति सिर्फ भाजपा ने उनके बयान को गम्भीर मुद्दा माना है। उसने काँग्रेस और और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) पर जिहादियों का समर्थन करने का भी आरोप लगाया है। इधर स्यारा-मालाबार चर्च ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि बिशप का इरादा किसी को चोट पहुँचना नहीं था और उनकी टिप्पणी किसी खास समुदाय के खिलाफ नहीं है। राज्य की कैथोलिक चर्चों की शीर्ष संस्था ‘केरल कैथोलिक बिशप काउसिंल’(केसीबीसी) भी पाला बिशप के समर्थन में आ गई है। उसका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि डग्स की तस्करी से होने वाली कमाई का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया गया है। वैसे भी सन् 2007से यह कैथोलिक चर्च इस मुद्दे का उठाता आया है।
केरल में हिन्दू-ईसाई युवतियों के धर्मान्तरण का आरोप कोई पहली बार नहीं लगाया गया है।नवम्बर, सन् 2009 में केरल के पुलिस महानिदेशक जैकब पुन्नोज ने कहा था कि कोई ऐसा संगठन है जिसके सदस्य केरल की लड़कियों का मुस्लिम बनाने के लिए प्यार करते हैं। दिसम्बर, 2009 में न्यायमूर्ति के.टी.शंकर ने पुन्नोज रिपोर्ट स्वीकार कर लिया। तब बताया गया कि इस तरह के केरल में 3,000 से 4,000 से अधिक मामले हैं। केरल उच्च न्यायालय ने ही एक मामले की सुनवाई के दौरान ‘लव जिहाद’ शब्द का प्रयोग करते हुए इस एक गम्भीर समस्या भी बताया था, पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीतिक के कारण इसके खत्म करने की दिशा में किसी तरह की कोशिश नहीं की गई है।वैसे ‘लव जिहाद’कहने शुरुआत सन् 2007से केरल और उसके पड़ोसी राज्य कर्नाटक से हुई है,जहाँ के लोग आपसी बातचीत में मुस्लिम युवकों द्वारा अपनी पहचान छुपाकर गैर मुस्लिम लड़कियों को प्यार के जाल में फँसा कर उनका धर्मान्तरण कराते थे।लव जिहाद को शुरू में ‘रोमियों जिहाद’कहा जाता था। वैसे सबसे पहले सन् 2010में दिग्गज वामपन्थी नेता वी.एस.अच्युतानन्दन ने ऐसे मामलों को उठाया था।फिर सन् 2012 में केरल के काँग्रेस के मुख्यमंत्री ओमान चण्डी ने विधानसभा में बताया कि गत छह वर्षों में 2,661 लड़कियों को इस्लाम कुबूल कराया गया है। केरल का ‘हादिया प्रकरण’ काफी चर्चित रहा है जिसमें हिन्दू युवती अखिला अशोकन को ब्रेनवाश कर मुस्लिम बनाया गया, जो हिन्दू मेडिकल बीडीएस छात्रा थी। इस धर्मान्तरण में इस्लामिक संगठन ‘पी.एफ.आई.ने मुकदमे के लिए धन एकत्र कर दिया था।तब यह आरोप अखिला के सैन्यकर्मी पिता ने लगाया था। केरल इस्लामिक कट्टरपन्थियों को केन्द्र बना हुआ है,जहाँ बड़ी संख्या में हिन्दू और ईसाई युवतियों को मुसलमान युवक अपनी पहचान छुपा कर प्यार के जाल में फँसा लेते हैं।फिर उनका धर्मान्तरण इस्लामिक मुल्कों में भेज देते हैं। वर्तमान में इनमें से कई युवतियाँ इस्लामिक कट्टरपन्थी दहशतगर्द संगठनों के लिए काम कर रही है। केरल के डेढ़ दर्जन युवक भी दुनिया के सबसे खूंखार इस्लामिक दहशतगर्द संगठन ‘आइ.एस.आइ.एस.के सदस्य बने हुए हैं।इनमें से इस समय अफगानिस्तान में तालिबान के साथ हैं।

भगवान परशुराम की भूमि कहे जाने वाले केरल में अब हिन्दुओं की आबादी 54.7बची है। यहाँ मुस्लिम और अँग्रेज शासकों ने तरह-तरह के हथकण्डे अपना कर हिन्दुओं का धर्मान्तरण कराया है।
वैसे तो स्वतंत्र होने से पहले और बाद से पूरे देश में अलग-अलग रूपों में बड़े पैमाने पर हिन्दू दलितों, आदिवासियों, वनवासियों आदि का बड़े पैमान पर मतान्तरण कराया जाता रहा है। दरअसल, मुसलमान और ईसाई दूसरे देशों से हमलावर या व्यापारी बनकर आए थे और वे इस मुल्क के शासक बन बैठे।अपनी सत्ता को स्थायी बनाने के लिए उन्हें अपने मजहब को मानने वाली बड़ी आबादी चाहिए। इसके लिए उन्होंने गैर मजहब के लोगों को तलवार और बन्दूक की नोंक या फिर अलग-अलग लालच देकर अपने मजहब को कुबूल कराया। केरल के मुस्लिम जनसंख्या वाले मल्लपुरम के मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू थे, जिन्हें बलपूर्वक मुस्लिम बनाया गया था। तब हजारों की तादाद में उनकी हत्या और महिलाओं के साथ दरिन्दगी की गई थी।
अफसोस की बात यह है कि इससे तत्कालीन केन्द्र और राज्यों की सरकारें भी अनजान नहीं रही हैं।इसका सबसे बड़ा कारण काँग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति रही है, जो उन्हें सत्ता के लिए वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती आयी हैं। इसका अन्य कारण में सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों का यह मान लेना है कि यदि वे मतान्तरण के विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई करते हैं,तो दुनियाभर ईसाई और मुस्लिम मुल्क भारत से नाराज/खफा हो जाएगा। उस स्थिति में वे उसे आर्थिक सहायता और अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर समर्थन देना बन्द कर देंगे।हकीकत भी यही है कि कैथोलिक और प्रोटेस्टेण्ट चर्च ईसाई मुल्कों से धन एकत्र कर अपने गिरजाघरों और गैर सरकारी संगठनों (एन.जी.ओ.) के माध्यम से उसे मतान्तरण पर व्यय करते आए हैं। कमोबेश, इसी तरह इस्लामिक मुल्क विशेष रूप से सऊदी अरब, ईरान आदि मस्जिदों के मुल्ला, मौलवियों, इस्लामिक शिक्षा केन्द्रों को अकूत रुपया मुहैया कराके मतान्तरण कराते आये हैं। इनका तरीका अपनी असली पहचान छुपा कर गैर मुस्लिम यानी हिन्दू, ईसाई, सिख,जैन आदि युवतियों को अपने प्यार के जाल में फँसा कर उनसे इस्लाम कुबूल करा के निकाह करना है।
वैसे ‘लव जिहाद’और ‘नार्कोटिक जिहाद’महज कोरे आरोप नहीं हैं, हकीकत है।अपने देश में मतान्तरण के लिए बड़े स्तर ‘लव जिहाद’ की मदद ली जा रही है। इसे रोकने के लिए उ.प्र.,म.प्र.,हरियाणा, कर्नाटक आदि राज्यों ने अधिनियम/कानून पारित किया है। उ.प्र.कुछ महीनों में ही इस कानून के तहत 77 मुकदमे भी दर्ज किये जा चुके हैं, जबकि ज्यादातर मामलों में रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की जाती है। इसी तरह ‘नार्कोटिक जिहाद’भी एक सच्चाई है। अफगानिस्तान में अफीम की खेती और उससे कई तरह के मादक पदार्थ तैयार कर उन्हें तस्करी के जरिए दुनियाभर के मुल्कों भेज कर मोटी कमाई की जाती है जिसका इस्तेमाल कट्टरपन्थियों की मदद और इस्लाम के विस्तार पर खर्च किया जाता है। धर्मान्तरण से केवल, आस्था, श्रद्धा, संस्कार, संस्कृति, पूजा पद्वति ही नहीं बदलती, बल्कि इससे धर्मान्तरित व्यक्ति के मन- मस्तिष्क में राष्ट्रान्तरण भी हो जाता है।इसलिए समय रहते सरकार को ‘लव और नार्को जिहाद’ की गहराती समस्या को छुपाने के बजाय इसे जड़मूल से समाप्त करने की महती आवश्यकता है।

 

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