डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों आल इण्डिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बाराबंकी में आयोजित सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उ.प्र.के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकारों पर मुसलमानों के उत्पीड़न और देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का जो आरोप लगाया है, वह पूर्णतः निराधार, असत्य और विभाजनकारी है। इसकी जितनी निन्दा की जाए, वह कम ही होगी। अब बगैर अनुमति के जनसभा करने, धार्मिक भावनाएँ भड़काने, धारा 144 और कोविड-19, महामारी अधिनियम के तहत असदुद्दीन ओवैसी और जनसभा के आयोजक के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज कर लिया है। इसे भी वे मुसलमानों का उत्पीड़न बताते प्रशासन को कोसे बगैर नहीं रहेंगे।
वैसे ऐसे झूठ आरोप उन्होंने कोई पहली बार नहीं लगाया है। उनकी सारी-सारी सियासत ही हिन्दुओं के संगठनों और उनके खिलाफ जहर उगल कर मुसलमानों को भड़का कर उन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा से अलग करने की रही है।वैसे भी उन्हें रजाकारों का वारिस बताया जाता है,जिन्होंने हैदराबाद को पाकिस्तान में मिलाने के लिए बाकायदा जंग लड़ी थी। वैसे खुद की उनकी पार्टी के नाम के साथ मुस्लिमीन जुड़ा हुआ है, पर स्वयं को पंथनिरपेक्षता औ जम्हूरियत का सबसे बड़ा झण्डाबरदार बताते नहीं थकते। भाजपा पर हिन्दू राष्ट्र बनाने की तोहमत लगाते आए है, जबकि हिन्दू और हिन्दुस्तान का नामकरण उनके पुरखों फारसियों (जो हकीकत में नहीं हैं) ने किया था, जो सिन्धु नदी को ‘हिन्दू’नदी और उसके आसपास की जमीन/इलाके को ‘हिन्दुस्तान’ कहा करते थे। आज भी अरब, फारस, ईरान मुल्कों के लोग भारतीयों को ‘हिन्दी’ कहते हैं। असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरउद्दीन ओवैसी एक बार अपनी तकरीर/भाषण में कह चुके हैं कि अगर पुलिस/सेना को रोक दिया जाए,तो 20 करोड़ मुसलमान एक अरब हिन्दुओं को पन्द्रह मिनट में काट डालेंगे।
वैसे विडम्बना यह है कि असदुद्दीन ओवैसी भी अपने देश कुछ उनमें मुसलमानों में शामिल हैं, जो दिखावे के लिए भारत में जम्हूरियत, इन्सानियत, पंथनिरपेक्षता, संविधान में अपने अटूट यकीन होने का राग अलापते हैं, किन्तु हकीकत में शरियत कानून के न वे सिर्फ हामी हंै,उसके मुताबिक ही भारतीय मुसलमानों को रहने-जीने की आजादी चाहते हैं। ये भी उन चन्द हिन्दुस्तानी मुसलमानों में से एक हैं जिन्हें तालिबानी तौर-तरीकों में कुछ भी गलत नजर नहीं आता है। इन्होंने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान और इस्लामिक स्टेट के झण्डे लहराते पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने वालों की कभी भी मजम्मत नहीं की। इस्लामिक कट्टरपन्थी कश्मीरी आतंकवादियों द्वारा बन्दूक की नोंक पर हिन्दुओं को पलायन को मजबूर करने और देश में जगह-जगह बम फोड़ कर बेकसूरों की जान लेने वालों की परोक्ष हिमायत खड़े दिखाई देते हैं। ये लोग जम्मू-कश्मीर में ही नहीं, पूरे देश में ‘निजाम-ए-मुस्तफा’ कायम होने की रात-दिन अपने खुदा से दुआ माँगते हैं। अगर ऐसा नहीं है,तो ओवैसी यह हरगिज न कहते कि बाबरी मस्जिद थी, है और आगे भी रहेगी, जबकि वर्तमान में वहाँ श्रीरामजन्मभूमि के मन्दिर का निर्माण हो रहा है। उनके ऐसा कहने से साफ है कि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के फैसला मंजूर नहीं है। उन्हें उ.प्र.सरकार के फैजाबाद की जगह उसका नाम अयोध्या किया जाना भी स्वीकार नहीं है।
अब जहाँ तक असदुद्दीन ओवैसी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर रामसनेहीघाट तहसील परिसर में स्थित सौ साल पुरानी मस्जिद गिराने को आरोप का सवाल है, तो उसकी वजह वह नहीं है, जो ओवैसी बता रहे हैं। ओवैसी हर जगह यह भी आरोप लगाते हुए है कि भाजपा और आर.एस.एस.के लोग मुसलमानों की ‘माॅब लीचिंग’ यानी भीड़ की हिंसा यानी एकजुट होकर उन्हें मार रहे है। अपने इस आरोप के सुबूत के तौर पर अखलाक, पहलूखान आदि का नाम भी लेते हैं, इनमें क्रमशः अखलाक को गाय को मार कर उसका माँस खाने और पहलूखान को गो तस्कर के आरोप में भीड़ की हिंसा में मौत हो गयी थी। वैसे उन्हें मुसलमानों की मौतें तो याद रहती हैं, पर शादी से इन्कार करने पर निकिता तोमर की मुसलमान युवक द्वारा गोली मार कर जाने लेने, दिल्ली में कई हिन्दू युवकों की विभिन्न घटनाओं में मुसलमानों की भीड़ द्वारा मार डालना याद नहीं आता। बलरामपुर में मुसलमान युवकों द्वारा दलित युवती की बलात्कार के बाद मार डालने पर मुसलमानों समेत सपा, बसपा, काँग्रेस खामोश बने रहे,जबकि मुसलमान नेता खुद को दलितों और पिछड़ों को सबसे बड़ा हमदर्द होने का दावा करते हैं,किन्तु कश्मीर में मुसलमान शासकों ने दलितों को सात दशक तक नागरिकता तक नहीं दी और अब भी अनुच्छेद 35ए को हटाये जाने का रोना रोते हैं,जो उन्हें नागरिकता,आरक्षण तथा दूसरी सुविधाएँ देने में बाधक बनी हुई थी। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद से हिन्दुओं की ज्यादातर हत्याओं और बलात्कार के लिए मुसलमानों को जिम्मेदार बताया जा रहा है,पर उस ओवैसी खामोश हैं।
अब असदुद्दीन ओवैसी सपा, बसपा पर हमलावार होते हुए उन पर मुसलमानों को उचित प्रतिनिधित्व न देने का आरोप लगा रहे हंै,क्या शफीकुर्रहमान बर्क,आजम खान,टी.हसन आदि सांसद और मुख्तार अंसारी आदि विधायक नहीं हैं?क्या ये लोग सिर्फ मुसलमानों के वोटों से सांसद और विधायक बने हैं? उनका यह भी आरोप है कि देश की सभी सियासी पार्टियों ने मुसलमानों को जरखरीद समझते हुए उनके वोट तो लिए पर वाजिब हक नहीं दिया। अब देखना यह है कि जहरीले बोलों के जरिए असदुद्दीन ओवैसी उ.प्र.में अपने सियासती खेल में कितने कामयाब हो पाते हैं?
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.न.9411684054
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