राजनीति

फिर भी तालिबान की तरफदारी ?

डॉ. बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों अफगानिस्तान में खूंखार कट्टर इस्लामिक दहशतगर्द संगठन ‘तालिबान’ में काबिज होने पर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क, ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’(एमपीएलबी)के पूर्व प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी, शायर मुनव्वर राणा समेत द्वारा खुलकर तालिबानियों को स्वतंत्रता सेनानी बताते हुए उन्हें ‘सलाम – ए- मुहब्बत’ और उनकी तथाकथित कामयाबी पर मुबारकबाद दिया जाना बेहद शर्मनाक है, जिसकी हर हाल में मजम्मत की जानी चाहिए। इनके साथ-साथ देश की विभिन्न सियासी पार्टियों के नेताओं, कुछ पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, कलाकारों के परोक्ष रूप से तरफदारी, हमदर्दी या फिर इस पूरे घटनाक्रम पर उनकी खामोशी ने एक बार फिर अपने मुल्क के तालिबानी विचारधारा के हिमायतियों को बेनकाब कर दिया है, जिन्हें मामूली-सी घटनाओं पर कुछ सालों से भारत में न सहिष्णुता दिखाई देती है और न ही जम्हूरियत। यहाँ तक कि उन्हें यह मुल्क अब रहने लायक भी नजर नहीं आ रहा है। अब ये लोग ही इन्सानियत के दुश्मन, खूनी हत्यारों, बेकसूरों को बेरहमी से मार डालने वाले इन जिहादी जल्लाद तालिबानों को इन्सानियत के फरिश्ते और आजादी के जंगजू साबित करने में जुटे हुए हैं। क्या ये लोग तालिबानों और उनके कारनामों को जानते नहीं है? क्या उन्हें तालिबानों द्वारा भारत को दिये गए जख्मों की भी जानकारी नहीं है? ये सब कुछ जानते हैं, क्योंकि तालिबानों की असली पहचान दुनियाभर में अब किसी से भी छुपी नहीं है। पश्तो भाषा में ‘तालिबान’ के माने ‘विद्यार्थी’है, पर इनका तालीम से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। तालिबान जहाँ अपने विरोधियों, गैरमजहबियों के लिए हैवानों से कम नहीं है, वहीं औरतों, युवतियों, बच्चों के लिए भी बेहद खौफनाक हैं। शरियत कानून के हिमायती तालिबान जहाँ मर्दों के लिए दाढ़ी अनिवार्य मानते हैं,वहीं औरतों के बगैर बुर्का,हिजाब और अकेले बाहर निकलने तथा नौकरी करने के सख्त खिलाफ हैं। ये युवतियों की पढ़ाई-लिखाई के सख्त खिलाफ हैं। इनकी हुकूमत में सिनेमा,टी.वी.,संगीत आदि पर सख्त पाबन्दी है। आपराधिक मामलों में शरिया कानून के मुताबिक सजा दी जाती है। यही वजह है कि तालिबानों के सत्ता में आने के बाद इनसे खौफजदां लोग अपना सब कुछ छोड़ कर मुल्क छोड़ने को मजबूर हैं और लाखों लोग अब तक पलायन कर भी चुके हैं। ऐसे में इन लोगों द्वारा अफगानिस्तान पर तालिबानों के कब्जे का खैरमखदम और उन्हें मुबारकबाद पेश करने पीछे खास मकसद है। दरअसल, इन तालिबानों के अफगानिस्तान पर कब्जे से ये बहुत उत्साहित हैं। अब उनको लग रहा है कि जैसे तालिबान ने पाकिस्तानी सेना और उसकी जासूसी एजेन्सी आइ.एस.आइ. और दूसरे दहशतगर्द संगठन ‘अलकायदा’, ‘जैश-ए-मुहम्मद’‘लश्कर -ए-तैयबा’,‘ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान’ की इमदाद और चीन के समर्थन से अफगानिस्तान में फतेह हासिल कर ली है, वैसे ही ये सभी मिलकर जल्दी ही जम्मू-कश्मीर फिर ये पूरे हिन्दुस्तान पर भी कब्जा कर लेंगे। इस तरह उनका ‘गजवा-ए हिन्द’ का ख्वाब पूरा होने में अब देर नहीं लगेगी।
अफगानिस्तान में तालिबान का सत्ता पर काबिज होना भारत के लिए बेहद खतरनाक है,क्योंकि ये अपने जन्म से ही भारत विरोधी और उसके दुश्मनों का मददगार रहा है। जब सन् 1999 में ‘इण्डियन एयरलाइन्स’ के आइ.सी.-814 विमान का आतंकवादियों ने अपहरण(हाइजैक)किया था, तब वे उसके लेकर कन्धार गए थे। उस वक्त तालिबानों की अफगानिस्तान में सरकार थी। तालिबानों से उन आतंकवादियों को पूरा संरक्षण था। उनकी माँग पूरा होने के बाद ही तालिबानों ने उस विमान और यात्रियों को भारत आने दिया था। फिर 7 जुलाई ,2008को काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए आत्मघाती हमले में 28लोग मारे गए और 141 घायल हुए थे। 23मई,सन् 2014में चार आतंकवादियों ने हेरात में भारतीय महावाणिज्य दूतावास पर हमला किया। पिछले 20सालों में भारतीय प्रतिष्ठानों और उसके हितों को तालिबान नुकसान पहुँचाते आए हैं। यही कारण है कि भारत तालिबानों से रिश्ते कायम करने से बचता आया है, क्योंकि उसे वह एक दहशतगर्द संगठन मानता आया है। भविष्य में यह है कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान का मददगार बन सकता है।
अब जहाँ तक सम्भल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के बयान का सवाल है तो सियासत का लबादा ओढ़े के कट््टर इस्लामिक पंथी विचारधारा के हैं। इन्होंने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की तुलना भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की है। इससे पहले बर्क ने देश में कोरोना महामारी के वजह शरिया कानून का पालन न करना बताया था। संसद में राष्ट्रगीत वन्देमातरम् की धुन बजने पर खड़े होकर सम्मान देने से बचने के लिए ये बाहर निकल आते हैं। लेकिन बसपा और सपा ने उनकी इस बेजां हरकत पर कभी ऐतराज नहीं किया, क्योंकि उन्हें सत्ता हासिल करने के लिए ऐसे कट्टरपंथियों की ही जरूरत है। अब भी कथित पंथनिरपेक्ष सियासी पार्टियाँ इनके बयान पर खामोश हैं, क्योंकि इससे उनकी अल्पसंख्यक वोट बैंक को चोट पहुँच सकती। ऐसे ही ‘ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के पूर्व प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी के अफगानिस्तान पर कब्जे को जायज ठहराने वाले बयान पर हैरानी नहीं होनी चाहिए, जिनका संगठन शरियत कानून का झण्डाबरदार है। यही संगठन तीन तलाक कानून की मुखालफत से लेकर बाबरी मस्जिद की पैरोकारी कर चुका है। ऐसा ही मुखौटा मुनव्वर राणा शायर का लगाया हुआ था, जो पिछले कुछ समय से उतर गया है। इसलिए तालिबान की तारीफ करना, उन्हें बधाई देने पर चौंकने की जरूरत नहीं है। कुछ लोग उनकी माँ पर लिखी शायरी पर फिदा थे और उन्हें महिलाओं को सम्मान देने वाला समझ बैठे थे। अब मुनव्वर राणा का कहना है कि ‘काम करके पैसा कमाते मर्द अच्छे लगता है,और औरतें पर्दे में ही ठीक हैं। मुनव्वर राणा की बेटी ने ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’(सी.ए.ए.) विरोधी आन्दोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था और अब वह सपा की प्रवक्ता हैं। कुछ समय पहले मुनव्वर राणा ने बयान दिया कि इस बार योगी की सरकार बनी,तो वह यू.पी. छोड़ देंगे।
अब जब सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के बयान देने पर उनके खिलाफ आइ.पी.सी.की धारा 124ए देशद्रोह, 153ए साम्प्रदायिक तनाव फैलाने, 295ए धार्मिक भावना आहत करना आदि के तहत मुकदमा दर्ज हो गया,तो तो वह अपने बयान पर सफाई देने लगे हैं। इन्हीं धाराओं में महासचिव फैजान चौधरी ,मुहम्मद मुकीम के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। ऐसे ही ‘एमपीएलबोर्ड’ ने अपने पूर्व प्रवक्ता के बयान से खुद को अलग कर लिया है। वैसे ये सभी लोग मुस्लिम युवकों द्वारा अपनी पहचान छुपाकर हिन्दू युवतियों का मतान्तरण कराने के आरोपों पर चुप्पी साध लेते हैं,पर जब किसी गो तस्कर, किसी मजहबी गुनाहगार के साथ पुलिस सख्ती करती है, तो अपनी कौम पर जुल्म का इल्जाम लगाने से पीछे नहीं रहते। इनमें से आज तक किसी ने भी उन कश्मीरी अलगाववादियों, आतंकवादियों द्वारा हममजहबियों पुलिस या सैन्य अधिकारियों की हत्या करते रहते हैं, क्योंकि ये लोग इन्हें मुजाहिद मानते हैं। यही कारण है कि इनकी निगाह में तालिबानी मुजाहिद हैं। इनके बारे में उ.प्र.के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कहना सर्वथा उचित है कि जो लोग औरतों और बच्चों पर जुल्म ढहाने वाले तालिबानियों की हिमायत करते हैं, इनके चेहरे को बेनकाब किया जाना चाहिए, ताकि अभिव्यक्ति की आजादी के बहाने इस्लामिक कट्टरपन्थियों की हिमायत करने वालों और उनके असल मकसदों को सभी अच्छी तरह से जान लें।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार, 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.न.9411684054

 

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