राजनीति

बांग्लादेश में भी हिन्दू मन्दिरों में तोड़फोड़

डॉ. बचन सिंह सिकरवार
पड़ोसी देश बांग्लादेश के खुलना जिले के उपजिले रूपसा के शियाली गाँव में इस्लामिक कट्टरपन्थियों की उन्मादी भीड़ द्वारा चार हिन्दू मन्दिरों पर हमला कर उनकी दस प्रतिमाओं को तोड़े जाने के साथ श्रद्धालु हिन्दुओं के साथ जमकर मारपीट और उनके घरों और दुकानों में लूटपाट की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनमें और पाकिस्तानी इस्लामिक कट्टरपन्थियों में न किसी तरह का कोई फर्क है और न ही उन्हें पुलिस की कार्रवाई का डर ही। जहाँ इसी 5 अगस्त को ऐसे ही धर्मान्धों की भीड़ ने पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रहीम यार जिले भोंगल शरीफ गाँव में महासिद्धि विनायक में भारी तोड़फोड़ की थी। इसकी वजह अदालत द्वारा 28 जुलाई को मदरसे के पुस्तकालय के फर्श पर पेशाब किया जाने के जुर्म में गिरपतार एक आठ साल के हिन्दू बालक को जमानत पर रिहा किया जाना था। दरअसल, इस्लामिक कट्टरपन्थियों को अदालत का यह फैसला बेहद नागवार लगा। इसीलिए कट्टरपन्थियों ने उसकी सजा मन्दिर को ध्वस्त कर हिन्दुओं को दी। वहीं अब इसी 8 अगस्त को बांग्लादेश के शियाली गाँव के हिन्दू महिला श्रद्धालुओं का कसूर बस इतना था कि वे कीर्तन -भजन करते हुए मस्जिद के सामने से गुजर थीं, जो उन्हें गंवारा नहीं हुआ। बस फिर क्या था कि वे हिन्दुओं को उनकी हिमाकत की सजा देने निकल पड़े। इन कट्टरपन्थियों की भीड़ ने उन पर हमला कर पहले तो उन्हें जमकर मारपीटा। उसके बाद मन्दिरों को तहस-नहस करने के साथ उनके घरों और दुकानों में लूटपाट की। लेकिन भारत समेत दुनिया के किसी भी मुल्क के मजहबी रहनुमाओं ने इन दोनों वारदातों की मजमम्मत नहीं की। वजह साफ है कि वे इन धर्मान्धों को हमेशा की तरह ‘मुजाहिद’ समझते-मानते हैं। हाँ, अगर ऐसा कुछ उनके हममजहबियों के साथ दुनिया के किसी भी मुल्क में हो गया होता, तब ये लोग आग उगलते हुए दूसरे मजहब के लोगों और उनकी सम्पत्तियों को बेखौफ होकर बर्बाद करने निकल पड़े होते। वैसे भी अपने देश समेत दुनियाभर में कोई भी ऐसे मजहबियों से पूछने वाला नहीं है, क्या 21वीं सदी में सिर्फ उन्हें ही मजहबी आजादी है, किसी दूसरे मजहब को मानने वाले को नहीं? फिर भारत में तो उन्हें खास दर्जे और दूसरे मुल्कों में बराबरी के हक की दरकार क्यों होती है? क्या उनका मजहब -मजहब है और दूसरों का कुछ नहीं?
पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश में भी अल्पसंख्यक हिन्दुओं का न केवल धार्मिक उत्पीड़न होता आया है, बल्कि उनके साथ दोयाम दर्ज का बर्ताव भी किया जाता है। वैसे भी मजहबी बिना पर देश के बँटवारे के बाद यह इलाका जब से पूर्वी पाकिस्तान बना , तब से ही यहाँ हिन्दुओं के साथ धार्मिक भेदभाव और उनका उत्पीड़न होता था। लेकिन 16 दिसम्बर, 1971 बांग्लादेश के रूप में पाकिस्तान से अलग होकर यह आजाद मुल्क बना था। तब यह सोचा गया था कि अब ये बंगाली मुसलमान हममजहबी पाकिस्तानियों के भारी जुल्म सह चुके हैं, इन्हें उनसे निजात हिन्दू बहुल भारत ने दिलायी है। ऐसे में इनका मजहब को लेकर नजरिये में फर्क आएगा, पर अफसोस की बात यह है कि इनकी मजहबी कट्टरता कोई कमी नहीं आयी। अयोध्या स्थित श्रीरामजन्मभूमि/बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय भी मजहबी बदले की कार्रवाई में बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपन्थियों ने अपने यहाँ सैकड़़ों हिन्दू मन्दिरों को तोड़ा डाला था और हिन्दुओं पर भारी अत्याचार किये थे। यहाँ तक कि बड़ी संख्या में हिन्दुओं की हत्याएँ और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार भी किये गए । तब अक्टूबर, 1990के अन्तिम सप्ताह से शुरू होकर नवम्बर,1990के पहले सप्ताह तक बड़े पैमाने पर दंगाइयों ने ढाका में ‘ढाकेश्वरी मन्दिर’, लालबाग मार्ग स्थित ‘दुर्गा मन्दिर’, पुष्पराज साहा लेने के ‘गोवर्द्धन मन्दिर, चटगाँव आदि नगरों में मन्दिरों को तोड़ा और लूटा था। इनका उल्लेख जब लेखिका/साहित्यकार डॉ. तस्लीमा नसरीन ने अपने उपन्यास ‘लज्जा ’में किया, तो उन्हें कट्टरपन्थियों अपना मुल्क छोड़ने को मजबूर कर दिया, जो वर्तमान में भारत निर्वासित होकर अपनी जिन्दगी बसर कर रही हैं।पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश में भी हिन्दुओं पर हमलों और उनके मन्दिरों में तोडफोड़ करने की वारदातों की लम्बी फेहरिस्त है। इसी साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बांग्लादेश की स्वतंत्रता की पचासवीं वर्षगाँठ के समारोह में सम्मिलित होने को 26मार्च को दो दिवसीय यात्रा पर ढाका पहुँचे थे, तब वह अपने साथ 12मिलियन कोविड वैक्सीन की खुराक लेकर भी गए थे। उनके लौटते ही इस्लामी समूहों ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी मुसलमानों के साथ भेदभाव करते हैं। उनके विरोध में कट्टरपन्थी संगठन ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ के लोगों ने हिन्दू मन्दिरों और रेल गाड़ियों पर हिंसक हमले किये। प्रदर्शनकारियों और पुलिस की हिंसक झड़पों में 10लोग मारे गए। एक रेल की सभी बोगियाँ जल गईं। इससे पहले अक्टूबर, 2016में फेसबुक पर एक व्यक्ति इस्लाम मजहब के खिलाफ पोस्ट डाले जाने के विरोध में इस्लामिक कट्टरपन्थियों द्वारा बांग्लादेश के नसीर नगर जिले के ब्राह्मणबरिया में 15 हिन्दू मन्दिरों को अपवित्र, मूर्तियों को तोड़ा और 100 से ज्यादा हिन्दुओं के घरों मंे लूटपाट की। इस मुल्क में हिन्दुओं की हत्याओं/नरसंहार की लम्बी सूची है-तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में1950 में हिन्दुओं की दंगे में हत्या, फिर 1964 मंे हिन्दुओं का नरसंहार, 1971में पाकिस्तानी सेना और कट्टरपन्थियों द्वारा बड़े स्तर हिन्दुओं का नरसंहार तथा महिलाओं से बलात्कार, ढाका स्थित प्रसिद्ध ‘रामना काली मन्दिर’ का विध्वंस, 1989में हिन्दुओं की हत्या, 1992 और 2012में हाथाजारी में हिन्दुओं की हत्या, 2012में फतेहपुर तथा चिरीरबन्दार ,2013 में कैनिंग दंगे, 2015में नादिया के दंगे, 2017में कालियाचक में नरसंहार प्रमुख हैं। सन्1988 में तत्कालीन राष्ट्रपति हुसैन मुहम्मद इरशाद ने संविधान में संशोधन का बांग्लादेश को ‘इस्लामिक मुल्क’ घोषित कर दिया। उसके बाद अक्टूबर,1989में अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि/बाबरी मस्जिद से जुड़ी झूठी खबरों को लेकर बड़े पैमाने पर दंगाइयों ने हिन्दू मन्दिर में तोड़फोड़ की और हिन्दुओं पर हमले किये गए। इस्लामी कट्टरपन्थियों की प्रतिक्रिया स्वरूप अब बंगाली हिन्दू भी कई संगठनों जैसे-होमलैण्ड मूवमेण्ट, श्यामाप्रसाद मुखर्जी युनाइटेड बंगाल,बंगाभूमि, बंगा सेना आदि के तहत संगठित हो रहे हैं। सन् 1971में बांग्लादेश में इस मुल्क में 14प्रतिशत हिन्दू थे,जो वर्तमान में 8 प्रतिशत रह गए हैं।उनकी आबादी से स्पष्ट है कि यहाँ की सरकार और इस्लामिक कट्टरपन्थियों के डर से हिन्दू पलायन कर भारत आ गए हैं या फिर मतान्तरण कर मुसलमान बन गए हैं।इस सम्बन्ध में 2016में ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्दुल बरकत ने कहा था कि आगामी 2030 तक एक भी उनके मुल्क में नहीं बचेगा।इस मुद्दे पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है। इस सच्चाई को जानते हुुुुए काँग्रेस,तृणमूल काँग्रेस,सपा,रांका,वामपन्थी दलों,अकालीदल आदि ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’(सीएए)का विरोध किया जाना समझ में नहीं आता,जो पड़ोसी मुल्कों में -पाकिस्तान,बांग्लादेश, अफगानिस्तान में इस्लामिक कट्टरपन्थियों द्वारा हिन्दू, सिख, बौद्ध, ईसाइयों मजहबी के कारणों से सताये नागरिकता देने के लिए पारित किया गया था। इन सियासी पार्टियाँ की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति नहीं, तो क्या है? यही कारण है कि इस्लामिक कट्टरपन्थियों द्वारा पाकिस्तान, बांग्लादेश,अफगानिस्तान में हिन्दू,सिख,बौद्ध,ईसाइयों के उत्पीड़न और उनके धार्मिक स्थलों के अपवित्र, प्रतिमाओं को खण्डित और तोड़फोड़ किये जाने पर अक्सर खामोश ही रहते हैं। बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपन्थियों की मजम्मत किये जाने से पहले अपने देश सियासी पार्टियों और उनकी गन्दी सियासत की निन्दा/भर्त्सना जरूरी है,जिनके लिए इन्सानियत से बढ़़कर सत्ता है।
उस समय
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार, 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.न.9411684054

 

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