देश-दुनिया

पाकिस्तान में फिर हिन्दू मन्दिर पर हमला

डाॅ. बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में इस्लामिक कट्टरपन्थियों की अगुवाई में बेखौफ होकर हजारों की भीड़ द्वारा एक बार फिर हिन्दू मन्दिर को बर्बाद करने और उसकी सभी मूर्तियों को खण्डित करने की घटना अत्यन्त दुःखद है।इसके साथ इस मुल्क में अल्पसंख्यकों के साथ हर रोज होने वाले मजहबी भेदभाव और जुल्मों को दर्शाने भी वाली है, जिन्हें यहाँ की सरकार बार-बार छुपाने की तमाम नाकाम कोशिश करती आयी है। इस बार कट्टरपन्थियों की नाराजगी की वजह गत 28 जुलाई को अदालत द्वारा ईश निन्दा के कानून के तहत गिरपतार एक आठ वर्षीय हिन्दू बालक को जमानत पर रिहा किया जाना रहा है, जिसने नासमझी में इसी 23जुलाई को अनजाने अपने गाँव के मदरसे की लाइब्रेरी में एक जगह लघुशंका कर दी थी। अदालत ने भी उसकी छोटी उम्र और दुनियादारी की समझ न होने की वजह से उसे जमानत पर रिहा कर दिया था।
इस बार अच्छी और राहत की बात यह रही कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर इस मामले के उठने के साथ-साथ पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुुलजार अहमद ने भी स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार का फटकार लगाते हुए मन्दिर पर हमले के गुनाहगारों को जल्दी गिरपतार कर सलाखों के पीछे भेजने के साथ-साथ तुरन्त मन्दिर की मरम्मत करने का निर्देश दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ही निर्देश खैबर पख्तूनख्वा के प्रान्त के कड़क टेरी में 100 साल पुराने ‘कृष्णद्वारा मन्दिर’ के मामले में दिया था, जब दिसम्बर, 2020 में कट्टरपन्थियों ने उसका हाल भी भोंग शरीफ के मन्दिर जैसा ही कर दिया था। अब इसी जुलाई में पाक सरकार ने उस मन्दिर की तोड़फोड़ करने के 350 गुनाहगारों के खिलाफ चल रहे मुकदमे को इस दलील के साथ वापस ले लिया है कि हिन्दुओं ने उन्हें माफी दे दी है। अब पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी इस मामले की मजम्मत की। उन्होंने इस मन्दिर को फिर से बनवाने का वादा जरूर किया है, किन्तु उनके कहे पर ऐतबार करना बहुत मुश्किल है। इसकी वजह यह है कि उनकी सरकार के रहते न तो अल्पसंख्यकों की लड़़कियों का अपहरण कर उनका मतान्तरण कर उनके साथ उम्रदराज मुसलमानों से जबरदस्ती निकाह कराने की घटनाएँ रुक पा रही हैं और न ही मन्दिरों पर हमलों में किसी तरह की कमी आयी हैं। इसके विपरीत कोरोना महामारी और लाॅक डाउन में ऐसी वारदातों में बढ़ोत्तरी हुई है।। इसका एक बड़ा कारण है कि कट्टरपन्थियों के खिलाफ अभी तक नमूने की सख्त कार्रवाई न किया जाना है। नतीजा यह है कि ऐसे कट्टरपन्थियों को कानून तोड़ने का डर न होना है।
वैसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान समेत दूसरे नेता हर अन्तर्राष्ट्रीय और दूसरे मुल्कों के दौरों के वक्त भारत खासतौर पर कश्मीरी मुसलमानों पर कथित जुल्मों का रोना रोते फिरते हैं, लेकिन उन्हें अपने मुल्क में अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, ईसाइयों पर होने वाले जुल्म नजर नहीं आते। अब दुनिया पाकिस्तानी हुकुमरानों के इस दोगले रवैये को अच्छे जान और समझ गई है, इसलिए वह उनके कहे पर तवोज्जों नहीं देती। यूँ तो पाकिस्तान में हिन्दुओं के मन्दिर तोड़े जाने की फेहरिस्त बहुत लम्बी है, जिन्हें तोड़े जाने का सिलसिला उसके जन्म 14अगस्त,1947 से शुरू हो गया था।
अब जहाँ तक इसी 5अगस्त की घटना का प्रश्न है, तो यह मामला पंजाब के रहीमयार खान जिले के भोंग शरीफ गाँव में स्थित भव्य सिद्धि विनायक मन्दिर में घुसकर उन्मादी कट्टरपन्थियों ने डण्डे, ईंटें,राॅडों से सभी मूर्तियों को तहस-नहस करने के साथ सजावट के लिए झूमर, काँच के सामान को नष्ट कर दिया । यहाँ तक कि आगजनी की, खिड़कियाँ और दरवाजे तोड़ दिये। घण्टों चली इस तोड़फोड़ के दौरान पुलिस गायब रही, जो इस साजिश में शामिल बतायी जा रही है। प्रधानमंत्री इमरान खान की ‘तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी के सांसद डाॅ.रमेश कुमार वंकवानी ने मन्दिर पर हमले के वीडियो ट्वीट पर साझा किया, जिसमें कट्टरपन्थी मुस्लिम भगवान की मूर्तियों को निशाना बना कर तोड़ रहे हैं। मन्दिर परिसर में आग लगी दिखायी दे रही है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर कार्रवाई करने का आग्रह भी किया और कहा कि भोंग शरीफ में हालत बेहद खराब हैं। इससे स्पष्ट है कि सत्तारूढ़ पार्टी के एक हिन्दू सांसद भी कितने बेबस हैं? पाक में हिन्दू मन्दिर तोड़ने की घटना को लेकर भारत सरकार ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के सबसे वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया और अपने रोष से अवगत कराया। इसके बाद पाक सरकार ने पुलिस को मन्दिर में तोड़फोड़ के गुनाहगारों के खिलाफ सख्त कदम उठने के निर्देश दिये , तब उसने 150 कट्टरपन्थियों के खिलाफ 6विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर 7अगस्त तक 50को गिरपतार कर जेल भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश गुलजार अहमद ने स्थानीय एस.एच.ओ.को निलम्बित के स्थान पर उसे बर्खास्त करने का भी निर्देश दिया, जिसने महज आठ साल के बच्चे को गिरपतार करने का गुनाह किया है,क्या उसे इतना भी इल्म नहीं था कि इतने छोटे बच्चे को मजहबी जानकारी होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
इधर इस मामले को लेकर विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप)के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री स्वामी विद्यानन्द ने संयुक्त राष्ट्र संघ (यू.एन.ओ.)के महासचिव एण्टोनियो गुटेरेस,यू.एन.मानवाधिकार आयोग प्रमुख तथा यूरोपीय यूनियन(इ.यू.) समेत अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
पाकिस्तान के गठन के समय सिन्ध प्रान्त में 428 बड़े हिन्दू मन्दिर थे। धीरे-धीरे मुस्लिम कट्टरपन्थियों और भू माफियों ने उन पर कब्जा कर उनकी जगहों पर दुकानें होटल,रेस्टोरेण्ट, मदरसे, सरकारी स्कूल,दपतर बना दिये हैं। वर्तमान में वहाँ केवल 20 बड़े मन्दिर ही बचे हैं। इनमें से कुछ को हिन्दू संगठन संचालित कर रहे हैं, तो बाकी खण्डहर बने हुए हैं। फिर भी इस्लामिक कट्टरपन्थियों की आँखों में वे हमेशा खटकते रहते हैं। इसी साल मार्च में रावलपिण्डी के किला क्षेत्र में स्थित 100 साल पुराने मन्दिर की मरम्मत के दौरान एक दर्जन से अधिक कट्टरपन्थियों ने उसमें घुसकर तोड़फोड़ की। उसके मुख्यद्वार तथा दूसरी मंजिल की सीढि़यों को तबाह कर दिया।
जनवरी,2020 में सिन्ध प्रान्त केे चाचरो ,थारपारकर स्थित ‘माता रानी भाटियानी देवी’ की प्रतिमा की तोड़फोड़,कालिख पोती दी। फिर मन्दिर में आग लगाकर हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों को भी जला डाला। पिछले साल ही जुलाई माह में इस्लामिक कट्टरपन्थियों ने इस्लामाबाद में ‘भगवान कृष्ण के बने रहे मन्दिर’ को न सिर्फ बनने से रोका, बल्कि उसके निर्माण के लिए आयी सामग्री को भी उठा ले गए,जबकि यह मन्दिर कैपीटल डेवलमेण्ट अथोर्टी के अनुमोदन और आवण्टित धन से बनाया जा रहा था। बाद में कहा कि मन्दिर को आवण्टित धन को लेकर ‘कौंसिल आॅफ इस्लामिक आइडियोजी’की राय माँगी, जिसने उसे सही नहीं माना। अब हिन्दू पंचायत इस मन्दिर का निर्माण अपने धन से कर सकती है।
16 अगस्त, 2020 को पाकिस्तान के लारी में देश के विभाजन से पहले बने हनुमान जी के मन्दिर को एक बिल्डर ने जमींदोज कर दिया। उसने पहले स्थानीय हिन्दुओं को भरोसा दिया कि वह मन्दिर को नुकसान नहीं पहुँचाएगा, पर उनके जाते ही मन्दिर तबाह कर दिया। इसके बाद 24 अक्टूबर, 2020 को कट्टर पन्थियों ने सिन्ध प्रान्त के नगर पारकर स्थित ‘श्रीराम मन्दिर’ पर हमला कर उसे नष्ट कर दिया। वहाँ पर नवरात्र में भक्त द्वारा स्थापित माँ दुर्गा के मुख को विकृत कर दिया। इस्लामिक कट्टरपन्थियों बलूचिस्तान में स्थित ‘हिंगलाज माता के मन्दिर’ में उनकी प्रतिमा के सिर को तोड़ने के साथ मन्दिर को भी क्षति पहुँचा चुके हैं। ‘इण्डिया टूडे’ की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 365 मन्दिरों में से ‘इवेक्यू ट्रस्ट प्रोपटी बोर्ड’(इ.टी.पी.बी.) सिर्फ 13की देखरेख करता है,इनमें से 65 को कंगाल और हिन्दुओं के लिए छोड़ा हुआ। बाकी को भूमाफिया कब्जे के लिए।इनमें से कुछ कब्जा हो चुका है ,या करने की फिराक में हैं। पाकिस्तान की स्थापना के समय यहाँ हिन्दुओं की आबादी करीब 15प्रतिशत थी,जो यहाँ की सरकारों की मजहबी आधार पर भेदभावपूर्ण और दमनकारी नीतियों के चलते अब सिर्फ 2.14फीसदी रह गई है।ज्यादातर हिन्दू या तो देश छोड़कर हमेशा के लिए भारत या दूसरे देशों में बस गए या फिर मजबूर होकर अपना धर्म छोड़कर मुसलमान या ईसाई बन गए हैं।
पाकिस्तान के अपने यहाँ के अल्पसंख्यक हिन्दू,सिख,ईसाइयों के साथ कैसा सुलूक करता आया है और उसने किन-किन दहशतगर्दों के गिरोहों को पनाह दी हुई है,जो वर्तमान में अफगानिस्तान मे दहशतगर्द संगठन ‘तालिबान’ के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़ रहे हैं। ं अब यह सब दुनियाभर के मुल्कों से छुपा भी नहीं है। अफसोस की बात यह है कि फिर भी ये सभी मुल्क पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी तरह की सख्त कार्रवाई करने से बचते आए हैं, जिसके दुष्परिणाम अमेरिका समेत दूसरे देश भुगत भी चुके हैं।
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार, 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.न.9411684054

 

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