डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों काँगे्रस समर्थित निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा द्वारा अपने समर्थकों के संग जयपुर में गलता जी स्थित आमागढ़ पर लगे भगवा ध्वजा को फाड़ने और उतराने की जिस घटना को अंजाम दिया है, वह सिर्फ निन्दनीय ही नहीं, बल्कि उन्होंने हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात पहुँचाने साथ-साथ राष्ट्रीयता के प्रतीक का अपमान करने का दुष्कृत्य भी है। यहाँ तक कि उसने मीणा समुदाय को हिन्दू मानने से ही इन्कार कर देशभर में विशेष रूप से झारखण्ड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि में संचालित उस राष्ट्रव्यापी षड्यंत्र को उजागर किया, जिसके तहत आदिवासियों, जनजातियों, अनुसूचित जातियों के लोगों को भरमाकर, प्रलोभन,डरा-धमका कर उनका धर्मान्तरण कराया जा रहा है। रामकेश मीणा का यह कोई सामान्य अपराध न होकर अत्यन्त गम्भीर है, जो किसी भी दशा में क्षम्य नहीं है। उनके इस दुष्कृत्य से पूरे देश हिन्दुओं और देशभक्तों में आक्रोश व्याप्त हैं और वे आन्दोलित हैं। क्षोभ की बात यह है कि इसी 21जुलाई की इतनी बड़ी घटना के समाचार को अधिकतर समाचार-पत्रों और टी.वी.चैनलों से प्रकाशित और प्रसारित करने से परहेज किया,क्योंकि यह अल्पसंख्यकों या दलितों से सम्बन्धित न होकर पूरे हिन्दू समाज से जुड़ा था।
वैसे क्या विधायक रामकेश मीणा और उनके समर्थकों को इतना भी ज्ञान नहीं कि भगवा ध्वजा धार्मिक ध्वज होने के साथ-साथ यह रंग त्याग, बलिदान, वीरता, शौर्य का भी प्रतीक है, जिसके सम्मान के लिए सदियों से भारत के वीर योद्धा अपने प्राणों का उत्सर्ग करते आए हैं। वस्तुतः रामकेश मीणा ने अपने सियासी फायदे यानी पार्टी की कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गाँधी को प्रसन्न करने के लिए भगवा ध्वजा का अपमान कर पूरे देश के हिन्दुओं को ललकारा है, जिसकी देर सबेर उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी भी पड़ेगी। हैरानी की बात यह है कि इतना सब होने के बाद भी सूबे में सत्तारूढ़ तथा पंथनिरपेक्षता की सबसे बड़ी झण्डाबदार काँग्रेस समेत दूसरे सियासी दलों में से किसी ने भी विधायक रामकेश मीणा के इस कुकृत्य के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर, उसकी भत्र्सना तक नहीं की है। इससे लगता है कि देश की अधिकतर राजनीतिक पार्टियों को हिन्दुओं की कोई परवाह नहीं है। उनकी पंथनिरपेक्ष का शाब्दिक अर्थ भले ही सभी धर्म/पंथ के साथ समान व्यवहार करना है, किन्तु हकीकत में ये सभी राजनीतिक देश के स्वतंत्र होने के बाद से ही अल्पसंख्यक तुष्टिकरण, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद की सियासत करते आए हैं। इनमें से शायद ही किसी ने हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं और हितों पर ध्यान देने की आवश्यकता अनुभव की हो। इसका कारण हिन्दुओं का असंगठित होना रहा है, जो अपने हिन्दू धर्म/मजहब के आधार पर वोट न देकर जाति, क्षेत्र, भाषा और निजी स्वार्थ को देखकर वोट देते आए हैं,जबकि दूसरे मजहबों के अनुयायी अपने मजहब आधार पर। रामकेश मीणा भी उसी साजिश का हिस्सा है, इसी कारण वह स्वयं को हिन्दू नहीं मानते। वैसे उनकी झूठ का सबसे बड़ा सुबूत उनका खुद का नाम ‘रामकेश मीणा’ होना है। अगर उनके अभिभावक हिन्दू नहीं थे, तो उनके नाम में ‘राम’ क्यों जुड़ा है। अगर वह मुसलमान या ईसाई हैं, तो उनके अभिभावकों ने उनका नाम उसी मजहब के मुताबिक क्यों नहीं रखा है? वैसे रामकेश मीणा और उनके समर्थकों से एक प्रश्न यह है कि क्या उन्होंने राजस्थान का इतिहास पढ़ा है या उसका ज्ञान है? सच्चाई यह है कि ये जानबूझकर सियासी फायदे के लिए इतिहास को झुठलाने की कोशिश कर रहे हैं। उसका हर पन्ना मीणाओं के हिन्दू होने का प्रमाण दे रहा है।
राजस्थान/राजपूताने का इतिहास राजपूतों/क्षत्रियों के मीणाओं की वीरगाथा से भरा पड़ा है। इनके उल्लेख बगैर पूरा नहीं होता। इन राजपूतों और मीणाओं ने न केवल साथ -साथ कई इलाकों पर शासन किया, बल्कि मुगल सम्राट अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुई हल्दी घाटी की लड़ाई समेत अनेक युद्धों में मुगलों और दूसरे मुसलमान हमलावारों के विरुद्ध राजपूतों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर युद्ध किया है। मीणा समुदाय दूसरे हिन्दुओं की तरह हिन्दू हैं। यही कारण है कि ज्यादातर मीणा समुदाय के लोगों के नाम के साथ ‘राम’ जुड़ा होता है, यथा -कालूराम मीणा, भोलारााम मीणा आदि। अब जिस ‘आमागढ़‘ पर लगे भगवा ध्वजा को उन्होंने हटाया है, वहाँ सैकड़ों सालों से मीणाओं की कुलदेवी ‘आमादेवी का मन्दिर’ है। इसके अलावा भगवान शिवजी का मन्दिर भी रहे हैं, जिन्हें कुछ अराजक तत्त्वों और जिहादियों ने बर्बाद कर दिया है। ढूँढार क्षेत्र के शासक कुशवाह राजपूतों ने इन्हीं आमादेवी के नाम पर ‘आमेर दुर्ग’ नामकरण किया था। इस विधायक और उसके समर्थकों का आरोप है कि हिन्दू संगठन मीणाओं की कुलदेवी को ‘आमादेवी’ को ‘अम्बादेवी’/’दुर्गा’नाम दे रहे हैं,जबकि उनकी आमा देवी अम्बा देवी से कोई नाता नहीं है,वह केवल आदिवासियों की माता हैं।सोचने वाली यह है कि क्या आदिवासियों के कुल देवता या स्थानीय देवी-देवताओं तो हो सकते है,पर मूर्ति पूजक तो मूलतः हिन्दू ही हैं। फिर एक स्थानीय पुजारी परिवार का कहना है कि उनका परिवार कोई डेढ़ सौ साल से आमादेवी/अम्बादेवी मन्दिर का पुजारी का दायित्व निभाता आया है।
यह सब देखते हुए सत्तारूढ़ काँग्रेस को अपने समर्थित निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा को उनकी गलती को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने को आगे आना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करती, तो हिन्दू उसे कभी क्षमा नहीं करेंगे और आगामी विधानसभा और लोकसभा के चुनावओं में उसके विरुद्ध मतदान कर सबक सिखायेंगे।
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054
किसे चिन्ता है हिन्दुओं की ?

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