देश-दुनिया

माली में फिर सैन्य विद्रोह

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
अन्ततः पश्चिमी अफ्रीकी देश माली के सैन्य प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ(ए.यू) , अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं और अमेरिका के अन्तरिक सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री आदि नेताओं की रिहाई की माँग के बाद इन सभी के दबाव में उसने गत 27 मई को रिहा जरूर कर दिया, लेकिन ऐसा करने से पहले इन सभी से जबरन त्यागपत्र ले लिए। सैन्य प्रशासन के इस कदम का उसका दुस्साहस माना जाएगा, जिसे वैश्विक संस्थाओं की नाराजगी का कोई डर नहीं है। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने अन्तरिम सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तत्काल असैन्य सरकार बहाल किये जाने के साथ सेना को बैरकों में लौट जाने की माँग की है। उसने आरोप लगाया गया है कि अन्तरिम सरकार के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री से जबरदस्ती इस्तीफा लिया गया है।
वैसे माली में सेना द्वारा बार-बार तख्त पलट किये जाने के लिए इसकी मुल्की काफी बदनामी हो चुकी है। फिर भी सेना ऐसी बेजां हरकत करने से बाज नहीं आती। इसी 25 मई को उसने एक बार फिर इस मुल्क में तख्ता पलट कर दिया। इसके बाद अन्तरिम सरकार के राष्ट्रªपति बाह नदाव, प्रधानमंत्री मोक्टर ओअने और रक्षामंत्री सुलेमान डोकोरे को हिरासत में ले लिया गया है। इन तीनों को राजधानी बामाको के बाहर सैन्य मुख्यालय काटी में हिरासत रखा गया है, जहाँ पहले भी सैन्य विद्रोह समय बन्दी नेताओं को ले जाया गया था। तख्ता पलट के बाद अन्तरिम सरकार के उपराष्ट्रपति असीमी गोइता ने सैन्य विद्रोह की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि इन लोगों ने उनसे परामर्श किये बगैर सरकार में फेरबदल किया। ऐसा किया जाना, ट्राॅन्जिशनल चाॅर्टर के लिहाज से गलत था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों को हटा दिया गया है। उस वक्त यह आशंका जतायी जा रही थी कि सैन्य विद्रोह से इस पश्चिम अफ्रीकी देश के हालात बिगड़ सकते हैं। इसे लेकर दुनियाभर में चिन्ता व्याप्त हो गई। वस्तुतः उपराष्ट्रपति कर्नल असीमी गोइता की नाराजगी का कारण मंत्रिमण्डल में परिवर्तन में दो अहम सैनिकों को शामिल न करना रहा है। इन्होंने ही पिछले साल सैन्य तख्ता पलट की अगुवाई की थी। वैसे भी इस अन्तरिम सरकार में सेना के लोग ही मुख्य भूमिका में थे। इस कारण सेना पर सरकार के कामकाज में दखलदांजी के लगातार आरोप भी लगते आ रहे थे। अब सामान्य से फेरबदल से नाराज उपराष्ट्रपति असीमी गोइते ने चाॅर्टर उल्लंघन की आड़ लेते हुए सैन्य विद्रोह कर सत्ता हथिया ली है। शासकों के क्षुद्र स्वार्थों का खामियाजा वहाँ लोगों का भुगतना पड़ता है।
अगस्त, 2020 को माली में सैन्य अधिकारियों ने भ्रष्टाचार और देश के उत्तरी इलाके में सशस्त्र विद्रोह से निपटने का इरादा जताते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति कीटा की सरकार का तख्ता पलट कर दिया था। उनसे भी सेना ने जबरन इस्तीफा लिया था। तत्पश्चात् अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबन्धों के बाद भी यहाँ अन्तरिम सरकार का गठन किया गया। यह सरकार संविधान में सुधार के पक्ष में थी। इसने 18महीने में चुनाव कराने का वादा भी किया था। लेकिन इससे पहले मई में यहाँ की अदालत ने संसदीय चुनावों के नतीजों का पलट दिया। सन् 2012 में भी सेना ने अमादौ तौमाती तोरे की सरकार का तख्ता पलट दिया, तभी से इस मुल्क में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है।
माली में राजनीतिक अस्थिरता के माहौल और सरकार की कमजोरियों का फायदा कट्टरपन्थी मजहबी संगठन उठाते आ रहे हैं,जो चाड,नाइजीरिया आदि कई दूसरे अफ्रीकी मुल्कों में सक्रिय हैं। ये लोगों को अपनी ही सरकार के खिलाफ भड़का कर उसे अपने पक्ष में कर अपना जनाधार बढ़ाने में कामयाब हो जाते हैं, पर सत्ता हथियाने की होड़ में लगे नेताओं और सैन्य अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं है। कमोबेश ऐसे ही हालात इस समय माली के बने हुए हैं, जहाँ इसके मुल्क के एक बड़े उत्तरी इलाके पर ‘अलकायदा’ और ‘इस्लामिक स्टेट’ जैसे खंूखार इस्लामिक कट्टरपन्थी संगठनों से जुड़े इस्लामिक समूह कब्जा जमाये हुए हैं, लेकिन उन्हें खदेड़ने की जगह यहाँ नेता एक-दूसरे को निपटाने में लगे हैं।
वैसे भी तीसरी दुनिया यानी एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका महाद्वीपों के देशों को साम्राज्यवादी यूरोपीय देशों से स्वतंत्रता मिलने के उपरान्त वहाँ स्वतंत्रता सेनानियों ने सत्ता सम्हालने के बाद अपने देश के लोगों को गरीबी, शोषण, अन्याय, अत्याचार, कुशासन, अशिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, बेरोजगारी आदि समस्याओं समेत दूसरी कमियों-खामियों से छुटकारा दिलाने पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया। इसके बजाय उनमें से ज्यादातर सत्ता पाने और उसे हासिल करने के बाद उसे किसी भी तरह अपने कब्जे में रखने में जुट गए। इन देशों ने शुरुआत में लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया जरूर है, लेकिन कुछ समय बाद वहाँ एकदलीय शासन स्थापित हो गया। फिर वही शासक निरंकुश तानाशाह बन गया। उसे किसी सैन्य अधिकारी या किसी दूसरे गुट के राजनेता ने सैन्य या जनविद्रोह कर हटा दिया। यही कारण है कि इनमें देशों में कभी सैन्य विद्रोह तो कभी दलबदल के जरिए सत्ता में फेरबदल की वजह से राजनीतिक अस्थिरता बनी रही। ऐसे में किसी भी सरकार से विकास कार्य कराने कल्पना करना ही व्यर्थ है। नतीजा यह है कि सात दशक से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी इन देशों के राजनेताओं और सैन्य शासकों ने अपनी कमियों-खामियों से कोई सबक नहीं लिया है। कुछ ऐसा ही हालत पश्चिम अफ्रीकी देश माली की है,जो माॅरितानिया, अल्जीरिया,सेनेगल, गिनी से घिर हुआ है,जिसका कोई भी भाग समुद्र से नहीं जुड़ा है। इसका पहला नाम ‘सूडानी गणराज्य’राज्य था। यह पश्चिमी अफ्रीका में एक समय फ्रान्स का उपनिवेश था। सन् 1958में फ्रान्सीसी संविधान ने इसका भी स्वाधीन होन का अवसर दिया। सेनेगल के साथ मिलकर माली संघ की स्थापना 17 जनवरी,सन् 1959में की गई। 20जून,सन् 1960 में की यह पूर्ण स्वाधीन हो गया। इस अवसर पर सेनेगल संघ राज्य से अलग हो गया। फ्रान्स के साथ आर्थिक सन्धि की। घाना और गिनी के साथ मिलकर अफ्रीकी संघ राज्य 29 अप्रैल,सन् 1961 की स्थापना हुई। इस की राजधानी-बामाको और इसका क्षेत्रफल- 12,40,192वर्गकिलोमीटर है। माली की जनसंख्या 1,45,17,176से अधिक है। इस देश की शासकीय भाषा-फ्रेंच और दूसरे भाषाएँ बम्बारा , अन्य अफ्रीकी भाषाएँ हैं।यहाँ के लोग इस्लाम और कबायली धर्म के अनुयायी हैं। इस देश की मुद्रा-माली फ्रेंक है। माली पश्चिमी अफ्रीकी का एक ऐसा देश है जिसका कोई भी समुद्र से मिला हुआ है। माली प्राकृतिक सम्पदा की दृष्टि से अत्यन्त निर्धन है। इसके केवल 20प्रतिशत भूमि पर खेती होती है। मुख्य फसलें चावल,ज्वार, कपास, बाजरा और मंूगफली है। पशु पालन महत्त्वपूर्ण उद्यम है।चमड़े और खालों का उद्योग प्रमुख है। नदियों में मछली पकड़ने का काम बड़े पैमाने पर होता है। बड़े स्तर पर सूखी मछलियों का निर्यात किया जाता है।
अब देखना यह है कि संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ, अमेरिका,दूसरे पश्चिम यूरोपीय देश इस पश्चिमी अफ्रीकी देश माली के सैन्य अधिकारियों पर और कितना दबाव डालने पर सफल हो पाते हैं,ताकि फिर से यहाँ असैन्य सरकार की वापसी सुनिश्चित हो सके। माली में कब तक राजनीतिक स्थिरता आती है और कब वह अपने इलाके से इस्लामिक कट्टरपन्थियों को खदेड़ने में कामयाब हो पाता है?यह आने वाला समय ही बताएगा।
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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