उत्तर प्रदेश राजनीति

व्यवस्था पर प्रश्न उठाने का दण्ड?

डाॅ.बचन ंिसंह सिकरवार


गत दिनों उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित भाजपा सरकार द्वारा एक बार फिर भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टालरेन्स’ की नीति पर चलते हुए उत्तर प्रदेश संवर्ग (कैडर) के ‘भारतीय पुलिस सेवा’(आइ.पी.एस.) अधिकारियों को आइ.जी.अमिताभ ठाकुर,डी.आइ.जी.राकेश शंकर और पी.ए.सी.में सेनानायक राजेश कृष्णा को, जो अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी है, वह अत्यन्त सराहनीय कदम है। निश्चय ही इससे वर्तमान में भ्रष्टाचार में लिप्त नौकरशाहों में भय उत्पन्न होगा और इस धतकरम को करने से पहले वे अब सौ बार सोचने को विवश होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सत्यनिष्ठा, कत्र्तव्यशीलता, जनहित और राष्ट्रहित में निरन्तर कार्य करने को लेकर उनका अथक परिश्रम , भ्रष्टाचार और अपराध उन्मूलन को लेकर उनके अटल इरादे पर तनिक भी शक-सन्देह नहीं हैं।
विगत चार साल के उनके शासनकाल में अपराध तथा भ्रष्टाचार से सम्बन्धित मामलों की पुष्टि होने पर 2100 अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। इसी जद में 94 पीपीएस अधिकारी आ गए हैं। पिछले दो साल में 480पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई हुई है। इनमें से अनेक दोषी जेल में सजा भी काट रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में 1648 सरकार कर्मचारियों के खिलाफ न्यायालयों में उन्हें सजा दिलाने को उनकी सरकार ईमानदारी से पैरवी भी कर रही है। यही कारण है कि अब तक 42 प्रतिशत मामलों में दोषियों को सजा दिलाने में सफलता मिल चुकी है , लेकिन यह भी सच है कि जो कारण और आरोप डी.आइ.जी.राकेश शंकर और पी.ए.सी.में सेनानायक राजेश कृष्णा के लिए सत्य हैं, वही अमिताभ ठाकुर के बारे में अक्षरशः सत्य नहीं माने जा सकते हैं। उन पर घूसखोरी का कोई आरोप नहीं है, बल्कि वह स्वयं भ्रष्टाचार के सख्त विरोधी हैं। इसके लिए अपने सेवाकाल शुरू होते ही सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार और राजनीतिक नेताओं/मंत्रियों के कदाचरणा/भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने के लिए वे और उनकी उच्च न्यायालय की अधिवक्ता पत्नी नूतन ठाकुर ‘सूचना के अधिकार अधिनियम’(आर.टी.आइ.)और उच्चतम/उच्च न्यायालय में जनहित याचिका(पी.आइ.एल.)लगाते आए हैं। ऐसा करने के कारण अमिताभ ठाकुर राज्य में सत्तारूढ़ विभिन्न राजनीतिक दलों की तत्कालीन सरकारों के कोप के भागी भी बनते आए हैं,पर वे उससे जरा भी भयभीत नहीं हुए। परिणामतः राज्य सरकारें द्वारा न केवल इन्हें हर तरह से प्रताड़ित किया गया, वरन् उनकी प्रोन्नति में भी बाधा उत्पन्न की। सन् 1992 के बैच के आइ.पी.एस. अधिकारी अमिताभ ठाकुर वर्तमान में आइ.जी. नागरिक सुरक्षा(सिविल डिफेन्स) के पद पर तैनात थे। उनके विरुद्ध लगभग आधा दर्जन जाँच चल रही थीं। उनके ही कारण अमिताभ ठाकुर की पदोन्नति भी रुकी हुई थी। अमिताभ ने सेवा में रहते हुए मुख्यमंत्री आवास के धरना दिया था। एक मामले को लेकर स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अमिताभ ठाकुर को धमकाते हुए कहा था, ‘‘सुधार जाओ।याद है, हमने एक बार तुम्हारी जान बचायी थी।’’दरअसल, मुलायम सिंह यादव अमिताभ ठाकुर को उस घटना की याद दिला रहे थे,जब अमिताभ ठाकुर ने एक छोटे जिले के एस.पी.रहते हुए अनुचित धन्धे में लिप्त उनके निकट सम्बन्धी के काले धन्धे को बन्द करने की हिम्मत दिखायी थी। तब एक कार्यक्रम में उस निकट सम्बन्धी ने उन पर हथियार तान कर जान लेने की कोशिश की थी। उस कार्यक्रम में उपस्थित मुलायम सिंह यादव ने अपने सम्बन्धी को ऐसा करने से रोका था,जो उनके बूते ही पुलिस अधिकारी पर हथियार तानने की जुर्रत कर रहा था। मुलायम सिंह यादव की धमकी देने की घटना के वक्त उ.प्र. में उनके बेटे अखिलेश यादव की सरकार थी। तब साजिश के तहत अमिताभ ठाकुर के विरुद्ध बलात्कार का मुकदमा भी दर्ज कराया गया था, लेकिन बाद में वह फर्जी साबित हुआ। विडम्बना यह है कि आज तक भाजपा समेत सपा की राजनीतिक विरोधी किसी भी सियासी पार्टी ने अमिताभ ठाकुर के पक्ष में खड़ा मुनासिब नहीं समझा। इनमें से किसी ने भी सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की एक आइ.पी.एस. अधिकारी को धमकाने की आलोचना तक नहीं की? ऐसा क्यों है?अनुमान लगाना कठिन है।
हाल में अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर ़द्वारा भाजपा के एक विधायक के चुनाव के दौरान रुपए बाँटने तथा खनन माफिया, पुलिस, विधायक की साठगाँठ का आडियो प्रसारित किया गया, तभी लगने लगा था कि उनके साथ कुछ अनर्थ हो सकता है? अब हकीकत में वैसा ही हो गया। यह देखकर यही साबित होता है कि भाजपा भी दूसरे राजनीतिक दलों से किसी माने में अलग नहीं है। अधिकांश राजनीतिक दल चुनावों के समय भ्रष्टाचार उन्मूलन का वादा करते हैं, पर उनके इसका निवारण अपने पैमाने के अनुसार करते आए है। दूसरे शब्दों में कहें, जो उनके अनुकूल नहीं है, वह भ्रष्ट,कदाचार,कमचोर ,आलसी, निकम्मा है,जो अनुकूल है,वह सदाचारी,कर्मठ और कुशल है। अब अमिताभ ठाकुर को अपने दूसरे अधिकारियों से जुदा होने और वर्तमान सत्तारूढ़ सियासी पार्टी के अनुकूल न होने की सजा मिली है।वैसे ऐसा सम्भव नहीं है कि योगी जी देशभर में अमिताभ ठाकुर के विख्यात या कुख्यात होने की वास्तविकता से परिचित न हों?
अब जहाँ 2002बैच के आइ.पी.एस.अधिकारी राकेश शंकर का प्रश्न है, तो वह पी.पी.एस.संवर्ग से पदोन्नति हुए थे और वर्तमान में डीजीपी स्थापना के पद पर कार्यरत थे। सन् 2018 यह एस.पी.देवरिया के पद तैनात थे। उनकी भूमिका देवरिया शेल्टर होम की अन्तःवासियों के यौन उत्पीड़न और शोषण के प्रकरण में भूमिका संदिग्ध रही थी। इस मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आयी थी। उनके विरुद्ध विभागीय जाँच चल रही थी, वहीं 2005 बैच के आइ.पी.एस.अधिकारी राजेश कृष्णा वर्तमान में बाराबंकी स्थित 10वीं बटालियन पीएसी में सेनानायक थे और वह भी पीपीएस संवर्ग से पदोन्नति पाकर आइपीएस अधिकारी बने थे। राजेश कृष्णा पर आजमगढ़ में एएसपी के पर तैनात रहने के दौरान पुलिस भर्ती में धांधली करने का गम्भीर आरोप था। सन् 2006 में राजेश कृष्णा और अन्य आरोपित पुलिसकर्मियों की गिरपतार कर जेल भेजा गया था। उनके निवास से मोटी रकम भी बरामद हुई थी। इसी मामले में उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही थी। उनकी डीआइजी के पद पर पदोन्नति नहीं हो सकी थी। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के भ्रष्ट आइ.पी.एस.अधिकारियों को सेवानिवृत्ति दिये जाने पर शायद किसी को आपत्ति/ऐतराज हो, पर आइ.पी.एस.अधिकारी अमिताभ ठाकुर को लेकर संशय अवश्य है, क्यों कि अभी तक उन पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है और ऐसे किसी आपराधिक मामले में उनकी कोई अनुचित भूमिका ही पायी गई है । वह न कमचोर अधिकारी भी हैं और न ही अयोग्य। यह अलग बात है कि किसी भी सरकार ने उन्हें अपने अनुकूल ही नहीं पाया/समझा। इसलिए उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार पदस्थ करना ही जरूरी नहीं समझा। ऐसे में अमिताभ ठाकुर की कार्य क्षमता पर प्रश्न उठना ही निरर्थक/फिजूल है। अब कम से कम योगी जी से यह अपेक्षा थी कि वह व्यवस्था/कुव्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाने वालों की असल मंशा को समझते हुए उनके साथ न्याय करेंगे, पर ऐसा हो नहीं सका। इससे यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या ईमानदार, निर्भीक ,जनहित,राष्ट्रहित में आवाज उठाना अपराध है? अगर यह सच है तो अमिताभ ठाकुर सचमुच बहुत बड़े गुनाहगार हैं,जो यह जानते हुए कि सत्ता के माध्यम से जनकोष और प्राकृतिक संसाधनों की लूट में सभी शामिल हैं, उन्हें उन सवाल उठाना नहीं चाहिए था,बल्कि उनका सहयोग करते हुए उसमें सम्मिलित होकर दूसरे नौकरशाहों की तरह अपनी आगामी सात पीढ़ियों के लिए धन जमा करना चाहिए था। अब जो कुछ अमिताभ ठाकुर के साथ किया गया है, उसे देखते हुए भविष्य मेें कोई आइ.ए.एस.,आइ.पी.एस.अधिकारी उन जैसा आचरण का करने का कोई क्यों सोचेगा?
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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