वृन्दावन। रतनछत्री क्षेत्र स्थित गीता विज्ञान आश्रम में हरिद्वार के 108 वर्षीय सन्त महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा रचित ग्रंथ “कर्मयोग विज्ञान” का विमोचन ब्रज साहित्य सेवा मण्डल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विज्ञानानंद जी महाराज “श्रीमद्भगवत गीता” के विश्व प्रसिद्ध प्रकाण्ड विद्वान हैं। वे अपनी 108 वर्ष की आयु में भी इस ग्रंथ के प्रचार – प्रसार के लिए क्रत संकल्पित हैं। उन्होंने इस हेतु दिल्ली, हरिद्वार, जयपुर, चंडीगढ़, अंबाला, फर्रूखाबाद एवं वृन्दावन आदि स्थानों के अलावा विदेश में भी अपने “गीता विज्ञान आश्रम” की शाखाएं खोली हुई हैं। इनसे न केवल पुरानी पीढ़ी अपितु नई पीढ़ी भी सुसंस्कृति, संस्कारवान व ऊर्जावान बन रही है।
महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ” श्रीमद्भगवत गीता” के अध्ययन, वाचन और चिंतन से हमें इस बात का बोध होता है कि इस नश्वर संसार में अविनाशी सुख की प्राप्ति कैसे हो सकती है। यह ग्रंथ प्रत्येक व्यक्ति के सभी भ्रमों, शंकाओं व जिज्ञासाओं का समाधान करने वाला ग्रंथ है। आज के विज्ञान पर आत्ममुग्ध इंसान ने जब कहीं थाह पाने की कोशिश की है तो उसे इसी ग्रंथ से दिशा मिली है।वस्तुतः यह ग्रंथ विज्ञान से भी बहुत आगे है।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने गीता साधना केंद्र एवं स्वामी विज्ञानानंद संस्कृत विद्यालय का भी शुभारंभ किया। जिससे न केवल वृंदावन वासी अपितु देश के अन्य स्थानों के व्यक्ति भी लाभान्वित हो सकेंगे।
कार्यक्रम में स्वामी लोकेशानंद महाराज, हरिकेश ब्रह्मचारी, पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ,हर्ष गुप्ता, डॉ विमल वर्मा, आचार्य विष्णुमोहन नागार्च, चित्रकार द्वारिका आनंद, हरीश राघव,राधाकांत शर्मा, शिवा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कर्मयोग विज्ञान” का विमोचन

Add Comment