कारोबार

बरबरी नस्ल की बकरी पालन कर बढ़ाये आमदनी


मथुरा नवम्बर। अपने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगामी पाँच वर्ष में ग्रामीणों की आय दोगुनी करने की घोषणा की है। इसी उद्देश से ‘केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान’ (सी.आई.आर.जी.),फरह, मथुरा ने अपने आसपास के गाँवों किसानों और पशुपालकों को अपनी आय दोगुनी करने के लिए बकरी पालन के लिए प्रोत्साहित किया है। यूँ तो फरह कस्बे के व्यापारी मुहल्ला निवासी नईम कुरैशी पुत्र श्री रशीद अहमद का बकरियों की खरीद-फरोख्त और माँस का पैतृक व्यवसाय है जिसमें वह अपने पिता का बचपन से ही हाथ बँटाते आए हैं। उत्तर भारत के विभिन्न राज्यो से बकरी पालन शुद्व नस्ल की बरबरी बकरियो की भारी माँग आ रही थी। चूँकि बरबरी बकरियाँ घर पर (स्टाॅल फीडिंग) आसानी से पाली जा सकती हंै तथा इनके गोश्त की भी भारी माँग रहती है। यह देखते हुए हाईस्कूल तक पढाई कर बडे होकर नईम ने अपने पैतृक व्यवसाय को विस्तार देते हुए उत्तर प्रदेश के कई राज्यों तक फैला दिया। पिछले चार-पाँच साल से सालों से उन्होंने सी.आई.आर.जी. में ए.आई.सी.आर.पी. बरबरी इकाई द्वारा चलाये जा रहे मल्टी प्लायर फ्लाॅक स्कीम के कुछ फार्म का भ्रमण किया। उन फार्म को देखकर नईम कुरैशी ने भी अपना फार्म शुरू करने की प्रेरणा मिली। इसी दौरान सी.आई.आर.जी. के प्रधान अन्वेषक डाॅ. मनोज कुमार सिंह ने उनको बरबरी बकरी के मल्टीप्लायर फ्लाॅक स्कीम का सदस्य बनने और राष्ट्रीय बकरी प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। इसके बाद नईम कुरैशी ने 66 वीं बैच में राष्ट्रीय बकरी प्रशिक्षण मई, 2015 में प्राप्त किया। उसके लगभग एक वर्ष में फरह, मथुरा में बरबरी के लिये बकरी आवास का निर्माण कराया। इस स्कीम की शर्तों के अनुरूप बडी बकरी, बच्चों और नर बकरांे के लिए अलग-अलग शैड का प्रावधान है। फरह में नईम ने ‘बरबरी गोट फार्म’फरह स्थापित किया। नईम को सी.आई.आर.जी. द्वारा बरबरी मल्टीप्लायर फ्लाॅक स्कीम के तहत 6 वयस्क बकरी, 6 नर (3-6 माह), 6 मादा (3-6 माह) और 2 प्रजनक नर बकरा वर्ष 2018 में प्रदान किये गए। इसके अलावा नईम 15 अन्य वयस्क बरबरी मादा में अलीगढ, हाथरस, एटा से लाए। नईम ने स्कीम की शर्तों के अनुसार मंे समय पर पी.पी.आर, ई.टी एवं एफ.एम.डी का टीकाकरण कराया। फिर बरसात से पहले और बरसात के बाद पेट के कीड़ों को मारने की दवा पिलायी। स्कीम की शर्तों के अनुसार नईम ने प्रत्येक तीन माह के बाद बकरियों की वजन वृ़ि़द्ध, बच्चे पैदा होने, बकरियों ग्याविन होने आदि का रिकाॅर्ड प्रधान अन्वेषक को उपलब्ध कराया। वर्तमान में उसके पास 60 वयस्क मादा, 33 बच्चे (3-9 माह) एवं 2 प्रजनक नर हैं। अब नईम कुरैशी का इरादा इस फार्म को 100 वयस्क बकरियांे तक पहुँचाने का है। इस बीच नईम कुरैशी ने 3 नर बकरे, 12000 रुपए प्रति नग और 7 मादाएँ 9000 रुपए प्रति नग के हिसाब से अन्य किसानांे को भी बेची हैं। इस व्यवसाय की शुरू करने में नईम कुरैशी को कई चुनौतियों का सामना करना पडा। सबसे पहले तो बकरी फार्म के लिए शुद्ध नस्ल और उच्च गुणवत्ता के बरबरी नर और मादा की क्षेत्र में उपलब्धता नहीं थी। दूसरी इनके नवजात मेमनांे (0-3 माह) में मृत्यु दर करीब 25-30 प्रतिशत तक थी। तीसरे छोटे बच्चे (3-6 माह) मंे वजन वृ़द्धि दर कम थी।लेकिन शुद्ध नस्ल और उच्च गुणवत्ता के जानवर ए.आई.सी.आर.पी बरबरी इकाई से प्राप्त होने से उनका मनोबल बहुत बढ़़ गया। नवजात मेमने (0-3 माह) में मृत्यु का कारण उनका असमय पैदा होना। इसलिए नईम ने ( अप्रैल-मई-जून-जुलाई-अगस्त-दिसम्बर-जनवरी)। स्कीम से जुड़़़ने के बाद बकरियांे को ग्याविन केवल सितम्बर- अक्टूबर-नवम्बर और मई-जून में कराया गया। परिणामतः बच्चे अक्टूबर – नवम्बर तथा फरवरी-मार्च में पैदा हुए। नवजात की देखभाल पर भी विशेष ध्यान दिया गया, जिससे वर्ष 2019-20 मंे एक भी बच्चा नहीं मरा। तीसरे बकरियों के. अवयस्क बच्चांे के वजन मे अपेक्षाकृत कम बढ़ोŸारी का कारण छोटे बच्चांे (2-6 माह) का बडी बकरियांे के साथ रखना या बाडों को अदलते-बदलते रहना है। प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान परियोजना अन्वेषक ने नईम कुरैशी को बताया कि कम आयु के मेमनों को वयस्क बकरियांे के साथ नहीं रखना चाहिए। कम आयु के मेमनों का बाड़ा भी अलग से हो, जिसमंे वयस्क बकरियांे को नहीं रखा जाना चाहिए।
उक्त परियोजना से जुडने के बाद पहले एक वर्ष से नईम कुरैशी के फार्म पर नवजातांे और वयस्क बकरियों में कोई मृत्यु नहीं हुई। 3, 6, 9 एवं 12 माह की आयु पर पैदा हुए बरबरी बच्चों का औसत वजन 7.5, 16, 19 एवं 25 किलोग्राम है। सी.आई.आर.जी. द्वारा दिये गए नर तथा मादा बकरियों का वजन क्रमशः 6, 9, 12 माह पर 15, 19.6, 28 किलोग्राम (नर) एवं मादा का 13, 17, 24 किलोग्राम है। वर्तमान में नईम सी.आई.आर.जी. द्वारा प्रदान बकरियों और उनके बच्चांे को बीज विकास के लिए आगे बढ़ा रहे हैं, किन्तु गाँवांे से खरीदी गई बरबरी बकरी को सी.आईआर.जी. द्वारा प्रदान बकरे से ग्याभिन कराकर उनके बच्चों को अन्य किसानों को औसतन 12000 रुपए मादा 10000 रुपए के हिसाब से बेचता है। अब प्रति जानवर नईम को पाँच से सात हजार रुपए का लाभ होता है। 20 नर मेमनों को खस्सी करके ईद के लिए तैयार करता है। करीब 15 माह पर इनका वजन 45 कि.ग्रा. हो जाता है। इसके बाद नईम कुरैशी 22000 रू प्रति नर के हिसाब से बेचते हंै। ईद के लिए तैयार नर से डेढ़ वर्ष के बाद नईम को लगभग 10000 रुपए की बचत हो जाती है।परियोजना से जुडने के बाद पहले एक वर्ष से मेरे फार्म पर नवजातांे और वयस्क बकरियों में कोई मृत्यु नहीं हुई है। 3, 6, 9 एवं 12 माह की आयु पर पैदा हुए बरबरी बच्चों का औसत वजन 7.5, 16, 19 एवं 25 किलोग्राम है। संस्थान द्वारा दिये गए नर तथा मादा का वजन क्रमशः 6, 9, 12 माह पर 15, 19.6, 28 किलोग्राम (नर) एवं मादा का 13, 17, 24 किलोग्राम है। मंै संस्थान द्वारा प्रदान बकरियों और उनके बच्चांे को बीज विकास के लिए आगे बढ़ा रहा हूँ, किन्तु गाँवांे से खरीदी गई बरबरी बकरी को संस्थान द्वारा प्रदान बकरे से ग्याविन कराकर उनके बच्चों को अन्य किसानो को औसतन 12000 रुपए मादा 10000 रुपए के हिसाब से बेचता हूँ प्रति जानवर मुझे पाँच से सात हजार रुपए का लाभ होता है। 20 नर मेमनों को खस्सी करके ईद के लिए तैयार करता हूँ। लगभग 15 माह पर इनका वजन 45 कि.ग्रा. हो जाता है तथा 22000 रुपए प्रति नर के हिसाब से बेचता हूँ। ईद के लिए तैयार नर से डेढ़ वर्ष में लगभग 10000 रुपए की बचत हो जाती है। नईम कुरैशी ने बकरी पालन की सफलता में जो अनुभव और ज्ञान प्राप्त हुआ है।उसके अनुसार बकरियों के छोटे मेमनों (2-6 माह) का बाडा अलग से हो। उन्हें वयस्क बकरे-बकरियों को इन में न रखंे।. जिन बकरियों के नीचे दूध अधिक हो,तो घर के इस्तेमाल के लिए निकाल लें। इसके अलावा ज्यादा दूध पिलाने से बच्चो को दस्त हो जाते हंै। बकरियों को केवल 15 अप्रैल-मई-जून (गरमी) एवं 15 सितम्बर-अक्टूवर-नवम्बर (शरद ऋतु) में ही ग्याविन करायें। बाडों की साफ-सफाई प्रतिदिन अवश्य करंे। बच्चांे की अच्छी बडवार के लिये लाहोरी नमक बहुत उपयोगी है। यदि बकरी पालन में उक्त निर्देशों का पालन किया जाए,तो इस व्यवसाय की सफलता मिली।

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