डॉ.बचन सिंह सिकरवार

गत दिनों गुलाम कश्मीर के गिलगिट-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान ने इस इलाके के लोगों के विरोध के बाद भी जबरन बन्दूक की नांेक पर जिस इरादे से विधानसभा चुनाव कराये थे, लेकिन चीन के दाबव और उसके मंसूबे पूरा करने के लिए उठाया गया उसका यह दाँव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। इस चुनाव ने पाकिस्तान के जुल्मों, नाराजगी, बेइन्साफी, गैरबराबरी, खिलाफ सालों से भड़की चिंगारी को हवा दे दी है। इस चुनाव के बाद सियासी पार्टियाँ और स्थानीय लोग एकजुट होकर जिस तरह बड़े पैमाने पर पाकिस्तान की मुखालफत कर उससे अपनी आजादी की माँग कर रहे हैं, उससे चुनाव कराने का उसका मकसद ही नाकाम होता दिखायी दे रहा है। इससे इमरान सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। यह देखते हुए उसके गिलगिट-बाल्टिस्तान को पाँचवाँ सूबा बनाने का मंसूबा आसानी से पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसा करके पाकिस्तान इस इलाके का कानूनी चरित्र बदलना चाहता है, क्यों कि पाकिस्तान के संविधान में पी.ओ.के. और गिलगिट-बाल्टिस्तान उसके भू-भाग नहीं हैं, जबकि वह इसके एक बड़े भू-भाग पर चीन का 99 साल का पट्टा देने की सोच कर रहा है। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, जो भारत को रूस और अफगानिस्तान से जोड़ता है और यह नॉर्दन फ्रण्टियर एरिया(फाटा) के नाम से मशहूर है। यदि प्रधानमंत्री इमरान खान गिलगिट-बाल्टिस्तान को पाँचवाँ सूबा बनाने में कामयाब हो जाते हैं, उस दशा में न केवल भारत की विधिक स्थिति कमजोर हो जाएगी, बल्कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की सीमाएँ भी सदैव के लिए असुरक्षित हो जाएँगीं। वैसे भी जब प्रधानमंत्री इमरान खान ने गत 2 नवम्बर को यहाँ चुनाव कराये जाने की घोषणा की थी, तब भारत ने यह कहते हुए विरोध किया था कि सेना के जरिए कब्जा किये गए इस इलाके की स्थिति में बदलाव करने का पाकिस्तान को कोई कानूनी अधिकार नहीं है। पाकिस्तान भारत के आन्तरिक मामलों में दखल करने कोई हक नहीं है। हमारा रुख पूरी तरह से स्पष्ट है कि सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा।

अब स्थानीय लोगांे समेत सभी विपक्षी सियासी पार्टियाँ पाकिस्तान की प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पर इन चुनावों में भारी धांधली कराये जाने का इल्जाम लगाया है। इसकी मुखालफत में ये सभी जबरदस्त विरोध के साथ हजारों की संख्या में निकलकर रैलियाँ, प्रदर्शन और जुलूस निकाल रहे हैं। इनमें लोग ये नारे लगा रहे थे, ‘‘खाकी वर्दी की सरकार नहीं चलेगी-नही चलेगी’’ ‘‘ये जो दहशतगर्दी है,उसके पीछे वर्दी है’’ ‘मारेंगे,मारें जाएँगे’’। इन्हें रोकने के लिए सरकार के आदेश के बाद भी उन पर वे रुक नहीं पा रहे हैं, एक तरह से ये आदेश पूरी तरह बेअसर साबित हो रहे हैं। गत 14 नवम्बर को 24 विधानसभा के चुनाव हुए थे। इनमें जम कर धांधलियाँ की गईं। यहाँ तक कि मतदान केन्द्रों पर कब्जा कर लिया और मतपेटिकाओं की भी चोरी कर ली गईं। इसके विरोध में विपक्षी सियासी पार्टियों के साथ हजारों लोगों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। इस मुद्दे पर जहाँ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी(पी.पी.पी.) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि इमरान सरकार ने जनादेश की चोरी की है,वहीं पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज(पीएमएलएन)की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने भी हजारो की भीड़ के सामने कहा कि सरकार ने चुनाव के जरिए अवैध कब्जा किया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने आरोप लगाते हुए इसे बड़ा घोटाला करार दिया है। गुलाम कश्मीर के स्कर्दू और गिलगिट क्षेत्र हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं।उन्होंने सैकड़ों में टायरों में आग लगा कर सड़कें जाम कर दी गई हैं। सन् 2010 के चुनाव सुधार के बाद ये तीसरा विधानसभा चुनाव है। परम्परागत रूप से जो पार्टी इस्लामाबाद में सत्ता में होती है, वही पार्टी गिलगिट -बाल्टिस्तान का चुनाव जीतती है। सबसे पहला चुनाव पीपीपी ने जीता था। उसे 15 सीटें हुए चुनाव में पीएमएल-एन का बहुमत मिला था। उसे 16सीटें मिली थीं। वैसे तो चुनाव परिणामों की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन विभिन्न मीडिया संस्थान द्वारा एकत्र की गई सूचना के तहत पी.टी.आइ ने आठ सीटें जीती हैं। जियो न्यूज के अनुसार निर्दलियों के खाते में 6 सीटें गई हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 5 ,पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज(पीएमएल-एन)-2 ,जमियत उलेमा-ए-इस्लाम फजल और मजलिस वाहदतुल मुस्लमीन ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की है। दुनिया टी.वी.के मुताबिक पीटीआइ ने नौ सीटें जीती है,जबकि सात सीटों पर निर्दलियों ने अपना परचम फहराया है। पीपीपी ने चार, पीएमएल-एन ने दो और एमडब्ल्यूएम ने एक सीट जीती है। वैसे इस चुनाव इस चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्री भी हार गए हैं।
सन् 1947 में पाकिस्तानी सेना जम्मू-कश्मीर पर हमला कर गैर कानूनी कब्जा कर लिया था, जिसे वह ‘आजाद कश्मीर’और भारत ‘गुुलाम कश्मीर’ या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.के.) कहता है। 26 अक्टूबर,सन् 1947को महाराजा हरिसिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय की सन्धि पर हस्ताक्षर किये थे। तब गिलगिट-बाल्टिस्तान के जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था। इसलिए इसका भी भारत में विलय होना चाहिए। लेकिन ब्रिटेन और अमेरिका के पं.जवाहर लाल नेहरू के रूस समर्थक होने की वजह से इस सामरिक महत्त्वपूर्ण के इलाके को भारत में शामिल होने देना नहीं चाहते थे, क्योंकि इससे इस इलाके के देशोें से रूस का प्रभाव बढ़ सकता था। इसलिए ब्रिटिश अधिकारी मेजर ब्राउन ने महाराजा हरिसिंह के अधिकारी गवर्नर घंसार सिंह को गिरपतार कर गिलगिट-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तानी सेना का नियंत्रण कर दिया। हकीकत में इस तथाकथित आजाद कश्मीर को पाकिस्तान ने गुलाम बनाया हुआ है, जहाँ के लोग सन् 1947से गुलामों सरीखी जिन्दगी बसर करते आए हैं। पाकिस्तान इस इलाके के प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर दोहन करता आया है, किन्तु इनके बाशिन्दों हममजहबियों के साथ हर तरह की नाइन्साफी ही नहीं, बल्कि जुल्म,सितम ढहाता आया है। कहने को तो कथित आजाद कश्मीर का अपना हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट है। राष्ट्रपति तथा मुख्यमंत्री, विधानसभा भी हैं,लेकिन असलियत में यहाँ की वास्तविक सत्ता इस्लामबाद स्थित ‘मिनिस्टरी ऑफ कश्मीर अफेयर्स एण्ड गिलगिट-बाल्टिस्तान’नामक मंत्रालय के पास है। इस पर सेना और कुख्यात गुप्तचर एजेन्सी‘आइ.एस.आइ. के अधिकारियों का कब्जा है। इनके खिलाफ कुछ बोलने और करने के माने अपनी जान गंवाना है। पाकिस्तान हर अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर जम्मू-कश्मीर का मसला उठाते हुए वहाँ कश्मीरी मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन का रोना रोता आया है। लेकिन कुछ दिनों पहले गिलगिट के एक पत्रकार ने यहाँ के लोगों के मानवाधिकारों के हनन का सवाल पूछ कर उन्हें खामोश रहने को मजबूर कर दिया। बडी संख्या में यहाँ के नेता सालों से जेलों में बन्द हैं, इनमें कई को वहीं जेलों मंे मौत की नींद सुला दिया गया है। इस इलाके के दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में रह रहे लोग ‘यहाँ के लोगों पर पाकिस्तान द्वारा ढहाये जा रहे जुल्मों को उजागर करते हुए इसकी मुक्ति की माँग करते आए हैं। गिलगिट की नदियों का पानी पाकिस्तान के पंजाब को दिया जा रहा है। इसी इलाके से चीन महत्त्वाकांक्षी परियोजना‘ सीपैक’ का निर्माण हो रहा है, जो चीन शिनजियांग से बलूचिस्तान के ग्वादर बन्दरगाह को जोड़ेगी। इस परियोजना में 60 अरब डॉलर की है। ऐसे में गिलगिट-बाल्टिस्तान की हर घटना भारत के लिए अहम है,क्योंकि यह न केवल जम्मू-कश्मीर का हिस्सा होने के नाते भारत का अविभिन्न हिस्सा है,बल्कि सामरिक तथा रणनीतिक नजरिये से इसका बहुत महत्त्व भी का है।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054
Add Comment