राजनीति

पंजाब सरकार की अक्षम्य भूल

साभार सोशल मीडिया

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

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हाल में पंजाब के तरनतारन जिल के भिखीविण्ड में खालिस्तानी आतंकवादियों से मुकाबला करने वाले शौर्य चक्र विजेता कामरेड बलविन्दर सिंह की गोली मार कर हत्या किये जाने की घटना अत्यन्त दुःखद और वर्तमान पंजाब की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार की असंवेदनशीलता तथा अदूरदर्शिता का परिचायक है, जिन्होंने उनके चार शौर्य चक्र से सम्मानित इस देशभक्त और इन्सानियत की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान करने को हमेशा तैयार रहने वाले परिवार पर सम्भावित हमले के खतरे को नजर अन्दाज करते हुए उन्हें दी गई सुरक्षा कम करते -करते पूरी तरह हटा ली , जबकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि यह परिवार खालिस्तानियों के निशाने पर है। इस परिवार की उनसे और दूसरे पुलिस अधिकारियों से सुरक्षा देने की माँग करने पर सुरक्षा नहीं लौटायी सुनवायी । परिणामतःदेश ने एक देशभक्त का असमय गंवा दिया। वैसे पंजाब सरकार ने न जाने कितने अपने विधायकों और पार्टी के नेताओं बगैर किसी खतरे के सिर्फ रौब गाँठने तथा रुतबा दिखाने को सुरक्षा उपलब्ध करायी हुई है। यह शर्मनाक स्थिति केवल पंजाब में ही नहीं, अपने देश के दूसरे राज्यों में भी दिखायी देती है। इन सियासी नेताओं के लिए उन आम आदमियों की जान का कोई मोल नहीं, जो अपनी और अपने परिवार की जान की परवाह न करते हुए अपने मुल्क और इन्सानियत की हिफाजत के लिए अपना सबकुछ दाँव पर लगाते रहते हैं। यहाँ तक कि राज्य सरकार ने कामरेड बलविन्दर सिंह की मौत के बाद भी अपनी वादा खिलाफी से बाज नहीं आयी।उनके परिवार को उन्हें राजकीय सम्मान देने की वादा करने के बाद भी यह सम्मान नहीं दिया जाना बेहद अफसोसजनक है। अब पंजाब सरकार ने बलविन्दर सिंह की हत्या की एस.आइ.टी.जाँच कराने का आदेश अवश्य दिया है, किन्तु अब उसकी एक देशभक्त परिवार को सुरक्षा न देने की भूल की भरपाई किया जाना असम्भव है। हालाँकि कामरेड बलविन्दर सिंह की हत्या किसने की अभी यह कहा जाना सम्भव नहीं हैं,लेकिन उनकी मौत पर देश के सभी कथित पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दलों के नेताओं तथा असहिष्णुता का राग अलापने और अवार्ड वापसी गिरोह की खामोशी बहुत ही शर्मनाक है।

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जहाँ तक कि कामरेड बलविन्दर सिंह, उनकी पत्नी जगदीश कौर, उनके भाई रंजीत सिंह और उनकी पत्नी समेत परिवार के दूसरे सदस्यों एवं रिश्तेदारों की बहादुरी और साहस को सराहा जाना चाहिए,जिन्होंने सन् 1980 से 1995 के दौर में पंजाब में खालिस्तानियों के आतंक के दौर में खुलकर उसका मुकाबला किया। इसके लिए सन् 1987 में बलविन्दर सिंह ने अपनी सरकारी स्कूल के शिक्षक और उनके भाई रंजीत सिंह ने रोडवेज की नौकरी छोड़ दी। इन्होंने अपने घर में बंकर बनाकर बकायदा सीमा प्रहरियों की खालिस्तानियों से जंग लड़ी। एक बार तो इस परिवार ने कोई दो सौ से अधिक खालिस्तानियों का भी डटकर सामना किया। पंजाब के आतंकवाद के उस दौर उनके परिवार पर 42 बार हमले हुए, क्यों कि ये आतंकवाद के सताये हिन्दू परिवारों को अपने यहाँ आश्रय देकर उनकी सुरक्षा करते थे, जबकि खालिस्तानी दहशतगर्द पंजाब को हिन्दू विहीन करना चाहते थे। इस कारण यह परिवार हमेशा

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खालिस्तानियों के निशाने पर था। पिछले कुछ सालों में इन बचे-कुचे खालिस्तानियों की पंजाब और दूसरे देशों में कुछ अनुचित गतिविधियाँ दिखायी दे रही हैं। इसके कुछ दहशतगर्द समय-समय पर गिरपतार भी किये जाते रहे हैं। खासतौर पर ये खालिस्तानी अमृृतसर के स्वर्ण मन्दिर में ऑपरेशन ब्ल्यू स्टॉर की बरसी के दिन उपद्रव करने,अपने झण्डे लहराने के साथ देश विरोधी नारेबाजी करते आए हैं। फिर भी पंजाब में शिरोमणि अकाली दल या फिर काँग्रेस की सरकारें इनके खिलाफ नरम रवैया दिखाती आयी हैं। अब जहाँ तक खालिस्तानियों की गतिविधियों का सवाल है, ये अब भी कहीं छिपकर तो कहीं खुल कर अपनी भड़काऊ अलगाववादी गतिविधियाँ करने के साथ नौजवानों को भड़काने-भटकाने में लगे हुए हैं,पर पंजाब सरकार उनकी बेजां हरकतों की बराबर अनदेखी करती आयी है।ये अब भी जगह-जगह अपने नारें या फिर झण्डे लगाकर अपनी मौजूगी जताते रहते हैं। फिर भी इस राज्य की खुफिया एजेन्सियों उनके पता करने में नाकाम नजर आती हैं।
फिलहाल, पंजाब सरकार द्वारा सम्भावित खतरे की अनदेखी करते हुए जिस तरह कामरेड बलविन्दर सिंह के परिवार की सुरक्षा हटायी गई थी,उसकी यह भूल अक्षम्य है। राज्य सरकार को कामरेड बलविन्दर सिंह के परिवार की सुरक्षा के बेहतर इन्तजाम के साथ उनके हत्यारों को गिरपतार सख्त से सख्त सजा दिलाने की पूरी कोशिश करने चाहिए। उसे पंजाब में खालिस्तानियों के कार्यकलापों पर कठोर नजर रखते हुए उनके संगठन का खात्मे के लिए ठोस कार्रवाई करनी चाहिए,ताकि पंजाब में खालिस्तानियों की फिर वापसी की कोई गंुजाइश ही न बचे।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054

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