उत्तर प्रदेश

कमलेश तिवारी के कत्ल पर अब कैसा सन्नाटा कैसा?     

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

गत दिनों हिन्दू महासभा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष तथा हिन्दू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की राजधानी लखनऊ में उनके आवास पर दिनदहाड़े गुजरात के सूरत से आए दो मुस्लिम कट्टरपन्थियों द्वारा नृशंस हत्या किया जाना उनकी हिन्दुओं के प्रति नफरत रखने वाली जेहादी मानसिकता और देश विरोधी ताकतों की दुस्साहसिक हरकत का नमूना  है, जिनका जितना जल्दी हो समूल विनाश जरूरी है,जो इस देश में किसी भी तरह से साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़़ कर बड़े पैमान पर साम्प्रदायिक दंगे-फसाद कराने की फिराक में लगी रहती हैं। इन दोनों कट्टरपन्थियों ने एक बड़ी साजिश के तहत बहुत ठण्डे दिमाग से  कमलेश तिवारी की बेरहमी हत्या कर अपनी दहशतगर्दी से यह पैगाम देने की कोशिश की है कि उनके मजहब के खिलाफ कोई भी कुछ  कहने की हिमाकत न करे। अगर करेगा,तो उसका अंजाम कमलेश तिवारी जैसा होगा।

वैसे इतनी बड़ी दहशतगर्दी की वारदात होना उत्तर प्रदेश मंे कानून के शासन और पुलिस व्यवस्था के इकबाल पर सवाल खडे करता है, क्योंकि यह सरकार की बहुत बड़ी चूक है,जो किसी तरह क्षम्य नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि हिन्दूवादी नेता तथा अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि के विवाद में हिन्दू महासभा की ओर से पक्षकार कमलेश तिवारी की जान को खतरे की पूरी जानकारी होते हुए उन्हें अपेक्षित सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने में विफल रही। वह भी तब जब वह बार-बार अपनी सुरक्षा बढ़ाने की गुहार लगाते आ रहे थे। उयहाँ तक कि इस वारदात से पहले 13 अक्टूबर को अपनी सुरक्षा बढ़ाने को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ट्वीट भी किया था। यहाँ अफसोस की बात यह है कि हमारी सरकारें हिन्दू विरोधियो,ं अलगाववादियों, आतंकवादियों, इस्लामिक कट्टरपन्थियों की सुरक्षा के जितने इन्तजाम और फिक्र करती हैं,उतनी ही लापरवाही अब तक हिन्दू या देशहित की बात करने वालों के मामलों में बरतती आ   रही है। अब जबकि हिन्दुत्व और हिन्दुओं के हर तरह के सम्मान का दावा करने वाली केन्द्र और राज्य सरकार हैं,फिर भी उनकी मानसिकता और कार्यप्रणाली  लगभग पूर्वी सरकारों से जैसी ही बनी हुई है, बल्कि उनसे भी खराब है। यही कारण है कि तत्कालीन  मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सपा सरकार में कमलेश तिवारी को जित

नी सुरक्षा प्राप्त थी, उसे घटाया नहीं जाता। यह भी तब जब करीब एक साल  पहले गुजरात में पकड़े गए आतंकवादी संगठन आइ.एस.के सक्रिय सदस्य मुहम्मद उबैद मिर्जा तथा कासिम ने पूछताछ में उनके द्वारा कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश रचने की बात का उल्लेख किया। इसके बाद भी  केन्द्र और उ.प्र. सरकार ने उनके कहे को गम्भीरता से नहीं लिया। इसी मानसिकता के कारण बांग्लादेश की जिस साहित्यकार, लेखिका तस्लीमा नसरीन ने  अयोध्या में विवादित श्रीरामजन्मभूमि/बाबरी मस्जिद ढाँचा तोड़ने जाने के बाद  बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपन्थियों द्वारा बदले की कार्रवाई में हिन्दुओं के कत्ल, बलात्कार और मन्दिरों के तोड़े जाने को लेकर‘ लज्जा’ नामक उपन्यास लिखा था। उससे खफा होकर इस्लामिक कट्टरपन्थी उनके खून के प्यासे हो गए। तब उन्हें अपनी जान बचाकर कोलकाता आना पड़ा, पर वहाँ तत्कालीन वामपन्थी सरकार ने मुल्ला-मौलवियों की नाराजगी देखते हुए उन्हें पश्चिम बंगाल में रहने नहीं दिया। तब उन्हें स्विट्रजरलैण्ड समेत कई दूसरे देशों की नागरिकता लेनी पड़ी। उन्हें भारत सरकार ने अब तक नागरिकता नहीं दी है। इतना ही नहीं, उनकी अस्थायी नागरिकता की अवधि भी पहले से कम कर दी गई। लेकिन वह भारत को अपना वतन मानकर दिल्ली में रहती हैं, किन्तु भारत सरकार से किसी किस्म की मदद नहीं मिली है। अपने देश में तस्लीमा नसरीन तथा पाकिस्तान से निष्कासित और कनाडा की नागरिकता प्राप्त लेखक/पत्रकार, इस्लाम की  बेबाक व्याख्या और टिप्पणियाँ करने वाले तारिक फतेह को भी कई बार कट्टरपन्थियों की हिंसा का शिकार होना पड़ा। तब भी पुरस्कार वापसी गिरोह के सदस्य शान्त बने रहते हैं,ये तब भी बोलते हैं, जब किसी हिन्दू,गो भक्षक, गौ तस्कर, भारत विरोधी के खिलाफ  कोई घटना घटती है।

दहशतगर्दी के इतनी बड़ी घटना पर देश के तथाकथित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहिष्णुता के विरोधी ,मानवाधिकारों के  रक्षकों खामोशी हैरान-परेशान करने वाली हैं। उन्मादी भीड़ की हिंसा की घटनाओं को लेकर देश को ‘लिंचिस्तान‘ कहकर बदनाम करने वाले, गोतस्करों की मौत पर देश में असहिष्णुता फैलने और यहाँ रहने योग्य देश न होने का प्रचार करने वाले अपनी उपाधियाँ, पुरस्कार लौटाने वाले कथित साहित्यकार, कवि, लेखक, पत्रकार, फिल्मी अभिनेता-अभिनेत्रियाँ पता नहीं कहाँ छिप कर बैठ गई हैं, अब वे प्रधानमंत्री को पत्र नहीं लिख रहे हैं। हिन्दू आतंकवाद का राग अलापने वाले भी इस हिन्दू नेता की हत्या पर बेशर्मी से चुप्पी साधे बैठे हैं। अगर ऐसा किसी कट्टरपन्थी हिन्दू ने टेलविजन चैनलों से लेकर दूसरे मंचों पर, फिल्में  बनाकर हिन्दू धर्म और उसके देवी-देवताओं, उसके प्रतीको, आस्था, विश्वासों का मजाक उड़ाने वालों के साथ किया होता, तो उपरोक्त गिरोह के साथ-साथ जनसंचार माध्यम उसकी ही नहीं, उस घटना को अंजाम देने वालों की घोर निन्दा,आलोचना के साथ, पूरे हिन्दू धर्म को बदनाम करने में कोर कसर बाकी नहीं छोड़ते। इसके साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारों की मुखालफत में अब तक धरती-आसमान एक कर देेते। इन फर्जी सेक्यूलर सियासी पार्टियों से पूछा जाना चाहिए कि क्या किसी की अभिव्यक्ति की सजा मौत है? अगर ऐसा है, तो चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन ने किस हैसियत से हिन्दू देवी-देवताओं का अशोभनीय नग्न चित्रण किया था और उसकी हिमायत में क्यों खड़े थे? अब कमलेश तिवारी की कट्टरपन्थियों द्वारा धोखा देकर कत्ल किये जाने पर खामोश क्यों हैं?

इन इस्लामिक कट्टरपन्थियों की यह हरकत उन दहशतगर्दों के याद दिलाती है जिन्होंने पेरिस की एक साप्ताहिक पत्रिका‘शार्ली आब्दो’ के दफ्तर में गोलियाँ बरसा कर खूनखराबा किया था, जिसने पैगम्बर के सम्बन्ध में कार्टून को प्रकाशित किया था। अब अपने देश में ऐसे दहशतगर्दों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। गुजरात के सूरत से लखनऊ आकर इन दहशतगर्दों द्वारा कमलेश तिवारी की जान लेने से स्पष्ट है कि उनसे तिवारी का यह कोई जमीन-जायदाद को तो झगड़ा नहीं था। निश्चय ही उन्होंने यह हरकत मजहबी कारणों से की है।

यह सच है कि सन् 2015में कमलेश तिवारी ने भी इस्लाम के पैगम्बर के बारे में  खिलाफ कुछ टिप्पणियाँ की थीं, निश्चय ही उनसे इस्लाम मानने वालों की भावनाओं को ठेस लगना स्वाभाविक है। तब उनमें से बहुत से लोग नाराज भी हुए थे। उन टिप्पणियों के गम्भीरता  देखते हुए  उत्तर प्रदेश सरकार ने कमलेश तिवारी को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम‘(रासुका) जैसे कठोर कानून के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। फिर कुछ इस्लामिक कट्टरपन्थियों मुल्ला-मौलानाओं ने कानून को ठेंगा दिखाते हुए कमलेश तिवारी को सजा दिलाने को सड़क पर उतरने के साथ-साथ उनका सिर कलम करने वालों को  लाखोें -करोड़ों रुपए देने का ऐलान तक किया। पर अफसोस की बात यह है कि तब अपने को कथित पंथनिरपेक्ष सियासी पार्टी बताने वाली समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार थी। उसने अपने कट्टर समर्थक अल्पसंख्यकों की नाखुशी देखते हुए  कमलेश तिवारी को तो रासुका के तहत गिरफ्तार किया, लेकिन उनका सिर कलम करने पर 1.11करोड़ रुपए का ईनाम का ऐलान करने वाले बिजनौर के कीरतगढ़ निवासी मोहम्मद मुफ्ती नईम और 51लाख रुपए का ईनाम की घोषणा करने वाले इमाम  मौलाना अनुवारुल हक  के खिलाफ  कुछ नहीं किया, जबकि कानूनन किसी शख्स की हत्या के लिए उकसाना भी बड़ा अपराध है। यह कानून का मजाक नही ंतो क्या है?लेकिन अल्पसंख्यक वोटों की सियासत करने वाले/उनके वोटों के सौदागरों को इससे क्या? जिनके लिए एक हिन्दू की जान की कोई कीमत नहीं है। जब ऐसा होता है तब कानून को चुनौती देने वालों का दुस्साहस बढ़़ता ही है।

हिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी के हत्या की साजिश की गहराई का पता इससे चलता है कि पहले हत्यारों ने फर्जी पहचान से फेस के माध्यम से स्वयं हिन्दू नेता बनकार न केवल सम्पर्क साधा, बल्कि विश्वास अर्जित कर 18 अक्टूबर को उनके लखनऊ में खुर्शीदबाग स्थित हिन्दू महासभा के कार्यालय में आवास आने से फोन किया। फिर भगवे वस्त्र पहन कर हाथ में मिठाई का डिब्बा  लेकर उनसे घर जाकर मिले। उसके बाद उन्होंने एक हिन्दू-मुस्लिम युवती के प्रेम विवाह करने की चर्चा करने साथ दहीबाड़े खाने के साथ चाय पी। फिर पहले सिगरेट उसके बाद पान मसाला मँगाने के बहाने तिवारी के सहायकों को हटाकर मिठाई के डिब्बे में छिपा कर लायी पिस्तौल से जबड़े पर गोली मारने के उपरान्त चाकू से पेट और पीठ पर कई वार किये। उसके पश्चात भाग निकले। फिर उन हत्यारों के खून सने कपड़े एक होटल में मिल गए हैं। अब प्रश्न यह है कि इतने बड़े षड्यंत्रकारी इतने सारे सुबूत क्यों छोड़ गए,क्या उन्हें नहीं पता था कि देर-सबेर फर्जी फेसबुक एकाउण्ट, मिठाई के डिब्बे पर लिखा पता,वहाँ की सीसीटी टीबी के फुटेज में पहचान से पकड़ में आ जाएँगे। फिर बरेली मण्डल के पीलीभीत,बरेली,शाहजहाँपुर में उसके साथियों का होना बहुत बड़ी साजिश का सुबूत है। क्या इससे यह नहीं लगता कि ऐसा उन्होंने अपने बेखौफ दिखाने के लिया किया है।

उक्त सारे तथ्यों से यही लगता है कि देश में इस्लामिक कट्टरपन्थियों की जड़ें कितनी गहरी और देशव्यापी हैं, इन्हें उखाड़ फेंकने के लिए बहुत धैर्य और पराक्रम की आवश्यकता है। ये  फिर से न पनपे उसके लिए अपेक्षित सर्तकत और सावधानी की भी जरूरत होगी। उसके बाद कहीं कट्टरपन्थियों के संजाल से देश को मुक्त किया जाना सम्भव होगा।

सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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