उत्तर प्रदेश

हमदर्दी की यह कैसी सियासत ?

साभार सोशल मीडिया

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

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हाथरस काण्ड को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों द्वारा जिस तरह बढ़चढ़ कर संवेदना जताने और न्याय दिलाने की जिस तरह होड़ लगी, वह बहुत अच्छी बात है और उस पर किसी को आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए। लेकिन हैरानी और ऐतराज तब होता है, जब उसी तरह या उससे ज्यादा भयावह तथा जघन्य दूसरी घटनाओं पर जाति, मजहब देखकर खामोश रह जाते हैं या फिर उतने ही संवेदनशील मामलों में अपनी और विरोधी राजनीतिक दल की सरकार को देखते हुए पीड़ित को लेकर हमदर्दी और इन्साफ दिलाने की मुहिम चलायी जाती है या फिर आँखें मूँद ली जाती हैं। एक जैसी घटनाओं पर राजनीतिक दलों और कथित मानवाधिकार संगठनों, सिविल सोसाइटीज और ऐसी ही दूसरे संगठनों का दुहरा रवैया बेहद शर्मनाक होने के साथ-साथ उनके इन्साफ और इन्सानियत का फर्जी पैरोकार होना भी दिखाता है, जो नितान्त निन्दनीय है। इनकी ऐसी ओछी हरकतों से पीड़ित परिवार को कितनी और कैसी सांत्वना मिलती होगी, इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। फिलहाल, हाथरस काण्ड पर इन राजनीतिक दलों की अति सक्रियता का कारण उत्तर प्रदेश में आगामी माह होने जा रहे विधानसभा के उपचुनाव के साथ -साथ बिहार में विधानसभा के चुनाव हैं। इनमें कामयाबी के लिए सभी सियासी पार्टियाँ की नजर दलितों के वोटों पर है। इस कारण वे उनकी हमदर्दी हासिल करने की होड़ में जी-जान से जुटे हुए हैं। इस हकीकत से दलित और गैर दलित भी अनजान नहीं हैं।

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हाल में हाथरस काण्ड को लेकर जहाँ भाजपा विरोधी देश भर के तमाम राजनीतिक दलों ने धरती-आसमान उठा रखे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में कई ऐसी ही वारदातों समेत राजस्थान में इससे भी वीभत्स, घिनौनी घटनाओं और पुलिस पर उन पर पर्दा डालने पर भी पूरी तरह चुप्पी साध ली, क्यों कि उन वारदातों में पीड़ित और अभियुक्त अल्पसंख्यक समुदाय, दलित, आदिवासी थे। इसलिए इन्हें वहाँ कथित इन्साफ और इन्सानियत की दुहाई देने से किसी तरह का सियासी फायदा होता दिखायी नहीं दे रहा है। इसके विपरीत हाथरस काण्ड में एक तरफ जहाँ पीड़ित युवती दलित तथा कथित गुनाहगार सवर्ण राजपूत है,ं वहीं दूसरी तरफ सूबे में उनके सबसे प्रबल प्रतिद्वन्द्वी भाजपा की सरकार होने के साथ- साथ प्रखर राष्ट्रवादी और हिन्दुत्ववादी योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं, जो उनकी सत्ता में वापसी में सबसे बड़े बाधक बने हुए हैं। ऐसे में उन्हें और उनकी सरकार को बदनाम करने का इससे अच्छा मौका भला काँग्रेस, सपा, बसपा, आप, वामपन्थी पार्टियों को और कहाँ आौर कब मिलता? इनमें से कुछ पार्टियों के नेताओं ने तो मुख्यमंत्री योगी जी पर हाथरस काण्ड के अभियुक्तों को अपनी जाति को होने के कारण उन्हें बचाने का बिना प्रमाण गम्भीर आरोप लगा दिया, जबकि पीड़ित परिवार द्वारा बताये गए सभी चारों आरोपितों को गिरपतार कर न सिर्फ जेल दिया गया, बल्कि इस मामले की फास्ट टैªक कोर्ट सुनवायी कराने के आदेश तक पारित कर दिये गए हैं। इस मामले में जनसंचार माध्यमों विशेष रूप से टी.वी चैनलों ने इन्हीं सियासी पार्टियों के नक्शे कदम पर चलते हुए जैसी उतावली दिखायी, वह भी हैरान करने वाली है। इनमें से अधिकतर ने इस मामले की गहराई से सच्चाई का

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पता लगाने का प्रयास नहीं किया। इन्होंने न तो ग्रामीणों, कथित अभियुक्तों के परिजनों से जानकारी हासिल करने की कोशिश की और न ही उन परिस्थितियों को समझने तथा उनका आकलन करने का ही प्रयास किया ,जिनकी वजह से पुलिस-प्रशासन को रात में दाह संस्कार कराने से लेकर मीडिया को गाँव रोकना पड़ा। क्या उन्हें इस मामले में भीम आर्मी के नेता चन्द्रशेखर का दिल्ली में भीड़ को उकसाने और फिर इसी संगठन और दूसरी जातिवादी राजनीतिक पार्टियों का हाथरस में सियासी फायदे के लिए दंगा-फसाद कराने की मंशा का कोई अन्देशा नहीं था? यहाँ तक कि पीड़ित युवती की माँ के बयानों के तीन अलग वीडियो और पुलिस थाने में प्राथमिकी(एफ.आई.आर.) में सिर्फ झगड़े में सिर्फ एक युवक पर गला दबाने का आरोप लगाते हुए घटना दर्ज करायी गई। इसके कई दिन बाद बलात्कार और तीन दूसरे युवकों को आरोपित कराने में कुछ भी बेजां नजर नहीं आया। एक प्रश्न यह भी है कि आखिर इनमें से किसी चैनल ने देश भर में घटने वाली बलात्कार की दूसरी घटनाओं को कवर करने में ऐसी उतावली क्यों नहीं दिखायी? क्या इन्हें राजस्थान के बारां, बाँसवाड़ा, सिरोही आदि की घटनाओं की जानकारी नहीं है?जहाँ हाथरस काण्ड से कहीं अधिक भयावह घटनाएँ घटी हैं। वैसे अपने देश में हर 16मिनट में बलात्कार की घटती हैं। सन् 2019 में लगभग 3,500 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएँ हुईं, इनमें से एक तिहाई राजस्थान और उ.प्र.में दर्ज की गईं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो(एन.सी.बी.) के अनुसार जहाँ सन् 2018में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,78,237 मामले दर्ज किये गए, वहींसन् 2019 में बलात्कार के कुल 32,033 मामले दर्ज किये गए। बलात्कार के ऐसे मामल 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। बलात्कार के मामलों राजस्थान और हरियाणा सबसे आगे हैं। लेकिन इस भयावह स्थिति पर देश की सभी राजनीतिक पार्टियाँ, स्वयंसेवी संगठन, समाज विज्ञानी, मनोविज्ञानी, मानवाधिकार संगठन कुछ ऐसा नहीं कर रहे हैं, जिससे इस घिनौने अपराध को नियंत्रित किया जा सके। इसके बजाय ये एक-दूसरे को कसूरवार ठहराने में लगे रहते हैं।
हाल हाथरस के चन्दपा थाना अन्तर्गत बूलगढ़ी की गत 14 सितम्बर को एक 19 वर्षीय दलित युवती के साथ मारपीट,गलाघोंटे जाने, उसके बाद के बलात्कार का आरोप लगाने, अन्त में उपचार के दौरान उसकी मौत अत्यन्त दुखद है, इसके लिए जो भी जिम्मेदार अपराधी हों, उन्हें नमूने की सजा दी जानी चाहिए। ऐसे मामले में बलात्कार और हत्या के अपराधियों की शायद ही कोई हिमायत करेगा। लेकिन सियासी पार्टियों को ऐसा करते हुए कतई शर्म नहीं आती है। राजस्थान के बारां जिले की 13 और 15 साल की दो मुस्लिम बालिकों को दो नाबालिग किशोर बहला-फुसलाकर जयपुर,कोटा ले जाया गया। इस दौरान इन दोनों अभियुक्तों ने तीन दिन तक तीन दूूसरे अभियुक्तों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। लेकिन इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलौत इस पर अपनी मर्जी से बालिकाओं के जाने की सफाई दे रहे थे। बड़ी मुश्किल से अब जाकर बलात्कार का केस दर्ज किया गया है। इसी 2 अक्टूबर को बांसवाड़ा के खमेरा थाने के अन्तर्गत अस्पताल में एक अस्पताल में बलात्कार की शिकार 14वर्षीय बालिका का नग्न अवस्था में शव मिला, जिसे जहर देकर मार दिया गया था। उसके परिजन पुलिस से उसका पोस्टमार्टम कराने के लिए गुहार लगा रहे हैं। सिरोही में 8 साल की आदिवासी बालिका के साथ बलात्कार कर 25 सितम्बर को मार दिया गया, लेकिन पुलिस ने एक हपते तक केस तक दर्ज नहीं किया। अभी तक उसकी गिरपतारी नहीं हुई है। लेकिन वहाँ जाने की प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी ने जाने की जरूरत नहीं समझी, क्यों कि इस सूबे में उनकी खुद की पार्टी की सरकार है। इसी तरह इन दोनों ने मुम्बई में चौदहवीं मंजिल से गिरी या गिराई गई दिशा सालियान की मौत पर न तो दुःख व्यक्त किया और न ही उसकी संदिग्ध मौत की जाँच की माँग की,क्यों कि महाराष्ट्र की साझा सरकार में काँग्रेस भी शामिल है। इसी तरह ‘टुकड़े -टुकड़े गिरोह’ की सक्रिय सदस्य फिल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर हाथरस काण्ड में हायतौबा मचाती नजर आयीं, पर मुम्बई के दिशा सालियान के मामले में खामोश रहीं। वैसे उ.प्र. के मेरठ में ही इसी साल में अब तक 30 बलात्कार की घटनाएँ घट चुकी हैं। गत वर्ष इनकी संख्या 99 थी। इसी 27 सितम्बर को सरधना निवासी 35वर्षी महिला के साथ उ.प्र.रोडवेज की अनुबन्धित बस में चालक-परिचालक ने शराब पिला कर सामूहिक बलात्कार किया गया। इससे पहले 16सितम्बर को चलती कार में एक निजी अस्पताल में कार्यरत युवती के साथ तीन लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया। गत 31अगस्त को मेरठ में एक 8साल की मुस्लिम बच्ची के साथ उसके मुस्लिम 16वर्ष के पड़ोसी ने बलात्कार किया था। हाल में बागपत में एक किशोरी ने बलात्कार के बाद भयभीत होकर जहर पीकर आत्महत्या की है। 29 सितम्बर को मथुरा एक मैरिज होम में हरियाणा निवासी महिला के साथ दो लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया। 1अक्टूबर को बरेली के फतेहगंज कस्बे में किशोरी से दुष्कर्म का प्रयास किया गया और विरोध में नाखूनों से चेहरा नोचा तथा दाँतों से काटा गया। 1अक्टूबर को ही मथुरा के मगोर्रा क्षेत्र के गाँव में पूजा के लिए महिला के साथ एक युवक ने दुष्कर्म करते हुए साथी से वीडियो बनवाया। 30 सितम्बर को आगरा के फतेहपुर सीकरी के समीप एक गाँव की 13वर्षीय किशोर को अगवा किया गया, जो बाद में अर्द्ध बेहोशी की हालत में मिली। उसके साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। आजमगढ़ के जियानपुर गाँव में एक 8वर्षीय मुस्लिम बालिका को 20 साल का पड़ोसी युवक दानिश ले गया और उसके साथ बलात्कार कर गम्भीर अवस्था में छोड़ गया। इसी तरह 29 सितम्बर को बलरामपुर गैंसड़ी कोतवाली क्षेत्र में मुस्लिम छात्रा के साथ चाचा-भतीजे शाहिद-साहिल ने सामूहिक दुष्कर्म किया, जिसकी बाद में उपचार को ले जाते समय मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने कई पहलुओं पर जाँच शुरू कर दी है। आरोपित चाचा-भतीजे को जेल भेजा चुका है। पीड़िता की माँ ने बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए आरोपियों को कड़ी सजा दिलवाने की माँग की है। रिक्शा चालक ने ही हालात में नाजुक होने पर आरोपितों के घर तक पहुँचाया था। मेरठ, आजमगढ़ में भी बलात्कार की घटनाएँ हुई हैं,जो मुस्लिमों से सम्बन्धित है।
रायबरेली के ऊँचाहार में 14वर्षीय बालिका के साथ 22साल के युवक ने दुष्कर्म किया। 12मार्च को उन्नाव में 9वर्षीय बालिका बलात्कार का शिकार बनी,जिसकी कानपुर के लाला लाजपतराय अस्पताल में मौत हो गई। इनके सिवाय गोरखपुर समेत उ.प्र.के दूसरे नगरों की ऐसी ही वारदातें हुई हैं। गत दिनों ही राजस्थान में भाजपा और काँग्रेस की महिला नेताओं को नाबालिग तथा पीड़ित युवतियों को जबरन और प्रलोभन देकर धन्धा कराने के आरोप में गिरपतार किया गया है इनमें से कुछ फरार हैं।इनमें से किसी भी मामले में सियासी फायदा न देखकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने चुप्पी साधी हुई है।
फिलहाल, वर्तमान में देशभर में बढ़ती बलात्कार की घटनाएँ चिन्तनीय हैं। यह समस्या किसी राज्य विशेष की नहीं है। ऐसे में इनके कारणों पर गम्भीरता से विचार कर उनका निदान निकाला जाना चाहिए। जहाँ तक उ.प्र.सरकार का प्रश्न है तो उसने महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर रोक लगाने के लिए विशेष कदम उठायें हैं। अब बलात्कारियों के पोस्टर पर चौराहों पर लगा जाएँगे,ताकि लोग अपराध करने से पहले सौ बार सोचें। ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत महिला सम्बन्धी अपराधों के आरोपितों को उनके सामाजिक दायित्व का बोध कराने के साथ उनके परिजनों की भूमिका तय करने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए सभी थानों में कार्यरत महिला पुलिसकर्मियों को उनके दायित्व को बोध करा कर उन्हें शक्ति मोबाइल पर काम करने को प्रेरित किया है। थानों में महिला अपराध रजिस्टार को अपडेट किया जाए। उसमें महिला अपराध से जुड़े सभी मामलों की पूरी जानकारी रखी जाए। महिला सम्बन्धी अपराधों को क्षेत्रवार सूची बनाकर बीट के सिपाही को आरोपितों की निगरानी कराने का भी सुझाव दिया। बलात्कार के आरोपितों के जमानतदारों को जोड़ने और उनकी काउंसिलिंग की जरूरत बतायी गई। ऑपरेशन शक्ति के तहत 822 अभियुक्तों तथा उनके 669 परिजनों को पाबन्द कराने की कार्रवाई की गई है। अब देश के लोगों के लिए जरूरी हो गया कि वे वोट की सौदागारों को पहचानंे ,जो अपने सियासी फायदे के लिए सत्य-असत्य की चिन्ता किये बिना जाति-मजहब देखकर फर्जी हमदर्दी जताने और इन्साफ दिलाने का ढोंग करते हैं।ऐसा करते हुए उन्हें दंगे-फसाद कराने से भी परहेज नहीं होता। बलात्कार की घटनाएँ एक-दूसरे पर दोषारोपण करने से नहीं, उसके निवारण के लिए वर्तमान कानून को सख्ती लागू किये जाने को कदम उठाने से होगी। इसके साथ समाज को भी अपने दायित्व निभाने पर विचार करना चाहिए,लोगों की ऐसी घिनौने अपराध के प्रति उनकी मानसिकता बदले।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर, आगरा- 282003 मो.नम्बर-9411684054

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