राजनीति

बॉलीवुड के इस अंधेरे को कैसे छुपायेंगे ?

साभार सोशल मीडिया

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

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गत दिनों सपा की राज्यसभा की सांसद तथा वरिष्ठ अभिनेत्री जया बच्चन ने भाजपा के गोरखपुर से लोकसभा के सांसद तथा अभिनेता रवि किशन के संसद में बॉलीवुड में मादक पदार्थो के बड़े पैमाने पर चलन को लेकर दिये गये बयान पर जिस तरह आक्रामक तेवर के साथ उनका और अभिनेत्री कंगना रनौत का बगैर नाम लिए बॉलीवुड को बदनाम करने पर विरोध जताते हुए उन पर जिस थाली में खाते हैं,उसमें छेद करने का जो गम्भीर आरोप लगाया हैं, वह चौंकाने और हैरान करने वाला है। इसका कारण यह है कि वह महज अभिनेत्री ही नहीं, राजनेता होने के साथ एक महिला भी हैं। फिर क्या उन्हें इतने साल बाद भी फिल्मी दुनिया का सिर्फ उज्ज्वल और सकारात्मक पक्ष की ही जानकारी है और वह उसके अंधेरे पक्ष और नकारात्मकता से पूरी तरह अनजान हैं? अगर ऐसा है तो उन्हें फिर फिल्मी दुनिया की वैसे तरफदारी/बचाव करने का कोई अधिकार नहीं है। वैसे भी उनके बचाव करने से फिल्म दुनिया का अंधेरा खत्म नहीं हो जाएगा। जया बच्चन के थाली में खाने और उसमें छेद करने के आरोप के प्रत्युत्तर में सांसद रवि किशन का यह कहना सही है कि उन्हें किसी ने भी थाली परोस कर नहीं दी थी। उन्होंने बन्द भोजपुरी फिल्म उद्योग को पुनर्जीवित कर अपनी थाली स्वयं तैयार की, जिसमें उनके दर्शकों ने भोजन परोसा। अगर थाली में ड्रग्स है, तो उसमें वह छेद करके रहेंगे। इस मामले में अभिनेता रणवीर शौरी का कहना भी उचित है कि थालियाँ सजाते हैं ये अपने बच्चों के लिए। हम जैसों को फंेक जाते हैं सिर्फ टुकड़े। अपना टिफिन खुद पैक करके काम पर जाते हैं हम। किसी ने कुछ दिया नहीं है। जो हैं, वह ये लोग हमसे ले नहीं सकते। इनका बस चलता तो वह भी अपने ही बच्चों को दे देते।

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इधर अब तक सुशान्त सिंह राजपूत मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती समेत कोई डेढ़ दर्जन से अधिक फिल्मी कलाकारों को मादक पदार्थों के आपूर्ति करने और सेवन करने वालों की गिरपतारी इसका तथ्य का प्रमाण है कि बॉलीवुड में स्थिति कितनी भयावह है? जया बच्चन कंगना रनौत के बॉलीवुड को गटर बताने से बहुत व्यथित र्हुइं, पर अब निर्देशक अनुराग कश्यप पर अभिनेत्री पायल घोष द्वारा यौन शोषण के आरोप ने कंगना रनौत के आरोप की पुष्टि कर दी। इससे पहले भी कई अभिनेताओं पर ‘मी टू’ के आरोप लग चुके हैं,जब कि ज्यादातर मामलों में अपने करियर और सुरक्षा कारणों से अभिनेत्रियों खामोश रहने में अपनी खैरियत समझती हैं। इस पाक साफ और सम्मान योग फिल्मी दुनिया के दामन में कितनी गन्दगी और तरह-तरह के अनगिनत शोषण छुपे हुए हैं।
वैसे भी जैसे यह सच है कि बॉलीवुड के सभी लोग नशाखोरी नहीं करते, वैसे ही यह हकीकत है कि फिल्मी दुनिया से सम्बन्धित कुछ लोग तरह-तरह के नशा करते हैं और फिल्मों में काम देने के बदले उनका शारीरिक शोषण भी करते आये हैं। अगर कोई इस बुरी लत पर रोक लगाने या फिर नई अभिनेत्रियों का अनुचित शोषण होने के खिलाफ आवाज उठाता है, तो इससे बॉलीवुड कैसे बदनाम हो जाएगा? जया बच्चन का यह कथन भी समझ से परे हैं। कोई कलाकार, लेखक, कवि, लेखक, साहित्यकार अपने को आम लोगों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होने का दावा करते आए हैं और ये अपनी फिल्मों के माध्यम से उनका नायक-नायिका अन्याय, अत्याचार, उत्पीड़न, शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं और उनकी फिल्मों में भी हर हाल में सत्य के लिए स्वयं को बलिदान तक करने का संदेश देती हैं, लेकिन एक युवा फिल्म अभिनेता सुशान्त सिंह राजपूत, उससे पहले उनकी सेक्रेटरी रही दिशा सालियान द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या पर वरिष्ठ अभिनेत्री और सांसद जया बच्चन और उनके पति सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, भाजपा की सांसद और अभिनेत्री हेमामालिनी, भाजपा के सांसद सन्नी देयोल समेत अधिकतर खामोश रहे। इससे इनकी संवेदनहीनता और कथनी और करनी के अन्तर स्पष्ट दिखायी देता है। वैसे बॉलीवुड में बड़ी संख्या में ऐसे अभिनेता-अभिनेत्रियों, निर्देशक, गीतकार आदि हैं,जो देश -दुनिया में होने वाली तरह-तरह घटनाओं पर गाहे-बगाहे ट्विट करने से लेकर बयानबाजी करते रहते हैं। यहाँ तक कि इनमें एक वर्ग ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’, ‘कश्मीर माँगे आजादी’ से लेकर आतंकवादियो, ंअलगाववदियों, इस्लामिक कट्टरपन्थियों की ही नहीं, चीन-पाकिस्तान तक की हिमायत लेते आए हैं। लेकिन इनमें से कभी किसी ने दुबई, यू.ए.ई, पाकिस्तान में बैठकर अवैध तरीकों से कमाये धन को फिल्मों में निवेश और उसके लिए कलाकार तय करने वालों, या फिल्म निर्माताओं से जान लेने की धमकी देकर चौथ वसूलने, हिन्दू, हिन्दुत्व विरोधी एजेण्डा चलाने वालों, नवोदित अभिनेत्रियों के साथ होने वाले शारीरिक-मानसिक शोषण, शराबखोरी से लेेकर हर तरह के मादक पदार्थों के बड़े पैमाने पर होने वाले सेवन के खिलाफ जुबान नहीं खोली। इस बार अभिनेता सुशान्त सिंह राजपूत की संदिग्ध हालात में कथित आत्महत्या की, जब अभिनेत्री कंगना रनौत ने सी.बी.आई.जाँच की माँग क्या कर दी,वह इन सभी की आँख की किरकिरी बन गई। इधर महाराष्ट्र की शिवसेना, एन.सी.पी., काँग्रेस की साझा सरकार ने सुशान्त सिंह राजपूत की मौत की असलियत पता लगाने के बजाय उसे छुपाने में लग गई, इसका सुबूत महाराष्ट्र पुलिस का सही ढंग से जाँच न करना है। फिर जब सुशान्त सिंह राजपूत के पिता कृष्ण कुमार सिंह ने पटना में इसमें मामले को लेकर रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करायी गई, तब बिहार पुलिस के अधिकारियांे ने मुम्बई पहुँच कर जाँच शुरू की। उसमें मुम्बई पुलिस ने हर तरह से बाधाएँ उत्पन्न की। यहाँ तक कि उनके एक अधिकारी को क्वारण्टाइन की आड़ में नजरबन्द कर लिया। उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सी. बी. आई. से जाँच कराने का आदेश दिया। उसके बाद उसने सुशान्त सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या जाँच शुरू की, तब उसे बॉलीवुड में मादक पदार्थों के सेवन का पूरा संजाल नजर आया। इस बीच शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादक एवं सांसद संजय राउत ने कंगना रनौत पर कई तरह के जुबानी हमले किये ,तो महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कंगना रनौत के मुम्बई में अधिकार रहने का अधिकार नहीं है, जैसी बातें कहीं। इसी दौरान शिवसेना के दबदबे वाली बीएमसी ने कंगना रनौत के कार्यालय में अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए 24 घण्टे का नोटिस देकर ध्वस्त कर दिया,जब कि उनके वकील ने नोटिस का न केवल जवाब दिया, वरन् बम्बई उच्च न्यायालय में अपील भी दायर की। उसने ही ऐसे मामले में 30 सितम्बर तक तोड़फोड़ न करने के आदेश दिया हुआ था। बाद में अपने साथ हुए इस अन्याय कुपित कंगना रनौत जिस तेवर और तू-तड़ाक की भाषा से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से जो कुछ कहा, उस भाषा की तरफदारी नहीं की जा सकती। लेकिन उनके पार्टी के नेताओं का कंगना रनौत के प्रति जैसा अनुचित, प्रतिशोधात्मक रवैया रहा है, उसे देखते हुए कंगना रनौत की भाषा को भी अनुचित नहीं माना जा सकता है, क्यों कि शिवसेना कब भाषा की मर्यादा का पालन करती है? ऐसे में कंगना रनौत के जैसे का तैसा के रवैये से महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना की बोलती बन्द हुई है, जो खुद को मुम्बई और महाराष्ट्र अपनी जागीर मानती है।
फिलहाल, सुशान्त सिंह राजपूत, दिशा सालियान की कथित आत्महत्या और फिर सांसद और अभिनेता रविकिशन के बॉलीवुड में मादक पदार्थों के सेवन पर दिये बयान के जवाब में सांसद जया बच्चन के राज्यसभा में उन बॉलीवुड को नाहक बदनाम करने और थाली में छेद करने के आरोप के बाद फिल्मी दुनिया दो हिस्सों में बँट गई। एक ओर जया बच्चन के साथ सांसद हेमा मालिनी, उर्मिला मातोंडकर, निर्देशक अनुराग कश्यप, तापसी पन्नू, स्वरा भास्कर, फरहान अख्तर आदि हैं, तो दूसरी ओर कंगना रनौत के साथ पूर्व सांसद तथा अभिनेत्री जयप्रदा, सांसद और अभिनेता रवि किशन, सांसद एवं अभिनेता मनोज तिवारी,अनुपम खेर, अभिनेत्री रेणुका शहाणे, गीतकार मनोज मुंतशिर आदि हो गए। बाकी मूकदर्शक की भूमिका में आ गए। इनके अलावा महाराष्ट्र के अहमद नगर से निर्दलीय सांसद नीता राणा भी कंगना रनौत की तरफदारी में आ र्गइं। जहाँ तक कंगना रनौत का प्रश्न यह है कि तो उन्हें मादक पदार्थ सेवन करने को विवश किये जाने से लेकर यौन शोषण शिकार होने के तमाम अनुभव हैं, इसी कारण उन्होंने बॉलीवुड को ‘गटर’ कहा था। जहाँ तक अनुराग कश्यप, तापसी पन्नू, स्वरा भास्कर ,फरहान अख्तर का प्रश्न है तो ये स्वयं को कम्युनिस्ट बताते हैं और भारत तेरे टुकडे़ होंगे से देश विरोधियों का खुलकर तरफदारी करते आए है। यहाँ तक कि सी.ए.ए.का भी विरोध किया था। अब जया बच्चन और उनके तरफदार बतायें कि वे कैसे बॉलीवुड के इस अंधेरे को छुपायेंगे?
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर, आगरा- 282003 मो.नम्बर-9411684054

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