उत्तर प्रदेश

उ.प्र.में माफिया पर कहर

साभार सोशल मीडिया

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

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उत्तर प्रदेश सरकार माफिया और अपराधियों पर संगठित गिरोह अधिनियम(गैंगस्टर एक्ट) के तहत शिकंजा कसते हुए जिस तरह पुलिस कार्रवाई के जरिए लगातार कहर बरपाते हुए अब तक उनकी 266 करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्तियाँ जब्त कर चुकी हैं, जो उन्होंने सरकारी-गैर सरकारी जमीनों पर कब्जा कर , लोगों को डरा-धमका कर, हत्या, लूट, तरह-तरह के नशीले पदार्थों को बिकवाने, नकल ,खनन ,खाद्यान्न माफिया आदि अवैध कामों से इकट्ठी की थीं। यह समय का बदलाव है कि जो अपराधी और माफिया कभी दहशत फैलाकर लूटमार मचाते थे, अब योगी सरकार में दहशत में हैं और अपनी जान बचाने को आत्मसमर्पण कर जेल जाने में अपनी खैरियत मान रहे हैं। अपराधी और माफियों में से कुछ विधानसभा से लेकर लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि इन्हें तत्कालीन राज्य में सत्तारूढ़ सियासी पार्टियों सपा, बसपा का वरद हस्त प्राप्त रहा था, जिनसे ये सम्बद्ध रहे थे। वैसे ये अपराधी और माफिया कोई कुछ वर्षाें में पैदा नहीं हो गए, बल्कि सालों से अपराध कर वे अवैध कमाई करते आ रहे हैं। ये धरतकरम इन्होंने बगैर पुलिस-प्रशासन की अनदेखी या सहयोग किये होंगे,ऐसा कतई सम्भव नहीं है। इनमें ये सभी बराबर के गुनाहगार है, लेकिन विडम्बना यह है कि जिनसे मिलकर इन सभी ने गुनाहों को अंजाम दिये, वे ही अब शासन-सत्ता बदलने के बाद उन्हें गिरपतार करने के साथ-साथ उनके गुनाहों की इमारतों को ढहा रहा हैं। इनके सिवाय वे सियासी पार्टियाँ सब कुछ जानते हुए अपना उम्मीदवाद बनाया और फिर वे लोग अपने निजी फायदे या फिर जाति और मजहब को देखकर अपना वोट देकर लोकतंत्र के मन्दिर विधानसभा और लोकसभा में पहुँचाया। इस तरह उन्होंने न केवल गुनाहगारों को मजबूत बनाया, बल्कि लोकतंत्र को अपूरणीय क्षति पहुँचायी है।

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वैसे अब सवाल यह है कि अब तक इनके खिलाफ पुलिस-प्रशासन ने कार्रवाई क्यों नहीं की ? ये जब सरकारी-गैर सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे थे,तब इन्हें क्यों नहीं रोका गया? राजनीति, नौकरशाही, पुलिस, अपराधियों के इस गैरकानूनी गठजोड़ के चलते सालों से उत्तर प्रदेश के लोगों को दहशत के माहौल में जीने को मजबूर होना पड़ा और छोटे बड़े उद्योगपति ,व्यापारी उन्हें चौथ देने को विवश होना पड़ा। इस भयावह स्थिति को देखते हुए बहुत से उद्योगपति ने यहाँ अपना कारोबार करने के बजाये उसे समेटना बेहतर समझा। दुर्भाग्य बात यह है कि इसके बाद भी खुद को गरीबों और दलितों की एकमात्र ठेकदार बताने-जताने वाली बसपा और कुचलों-पिछड़ों की पार्टी समाजवादी अपने कथित सुशासन में गुनाहगारों और माफियाओं को खुला छोड़े रखा। ये सवाल तो इनसे पूछा जाना चाहिए। जब से उ.प्र.की सत्ता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्हाली है,तब से हर तरह के अपराधियों की शामत आ गई है। बड़ी संख्या में अपराधियों को पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है,जिनकी वजह से लोग अपना घर-द्वार छोड़कर दूसरे नगरों/राज्यों में बसने को मजबूर होना पड़ा है। खेद की बात यह है कि इसके बाद कुछ सियासी पार्टियों के नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी जी की इस पहल का स्वागत करने के स्थान पर बेकसूरों की जान लिए जाने के साथ मानवाधिकारों के उल्लंघन करने जैसे गम्भीर आरोप लगाये गए। इसके बावजूद वे उनके दबाव में नहीं आए। मुख्यमंत्री योगी जी ने स्पष्ट कहा कि अपराधी अपराध करना छोड़ दें या फिर राज्य छोड़ दें या गोली खाने को तैयार रहें। उन्होंने शुरुआत में ही युवतियों/महिलाओं से छेड़छाड़ करने वालांे की निगरानी और उनके खिलाफ कार्रवाई की ।तब भी कुछ सियासी पार्टियों ने पुलिसकर्मियों पर बेकसूरों को नाजायज सताने के आरोप लगाए। योगी सरकार ने अपराधियों और माफियों द्वारा अवैध रूप से अर्जित सम्पत्ति को कुर्क करने से लेकर उन मकानों आदि को ध्वस्त करना शुरू कर दिया,जो उन्होंने सरकारी-गैरसरकारी जमीन पर नाजायज कब्जा कर बनवाये हुए थे। इसी कड़ी में गत 25सितम्बर तक विधायक मुख्तार अंसारी और बाहुबली और पूर्व सांसद अतीक अहमद के नेटवर्क से 350करोड़ रुपयों मूल्य की चल-अचल सम्पत्ति मुक्त करायी जा चुकी है। अतीक और

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उसके गुर्गों के कब्जे से 250करोड़ रुपए की अचल सम्पत्ति करायी चुकी है। 24सितम्बर तक पुलिस ने मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों के अवैध स्लाटर हाउस पर कार्रवाई की गई है। अब तक उसके कब्जे से करीब 50बीघा सरकारी जमीन मुक्त करायी जा चुकी है। मुख्तार के परिवार के 21 शस्त्र लाइसेंस निरस्त किये गए हैं। अतीक अहमद के 39गुर्गों के 39 गुर्गों की हिस्ट्रीशीट खोलने के साथ अतीक की अब तक छह सम्पत्तियों की कुर्की की जा चुकी है। अतीक अहमद कीे प्रयागराज, दिल्ली, लखनऊ, बलरामपुर समेत दूसरे बैंकों की खातों की जाँच की जा रही है। इसके अलावा उसकी 2014 के लोकसभा चुनाव में दाखिल शपथपत्र की भी जांच की जा रही है। गत22सितम्बर को प्रयागराज स्थित पूर्व सांसद और माफिया सरगना अतीक अहमद के चकिया स्थित पाँच बीघे जमीन में बने आलीशान आशियाने को भी 22सितम्बर,मंगलवार दोपहर ढहा दिया गया, जिसका सपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया सरगना सुन्दर भाटी की सम्पत्ति कुर्क की जा चुकी है 27सितम्बर को दिल्ली की तिहाड़ जेल में बन्द पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात सुनील राठी के आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त करने में लगी। इसी मकसद से उसके बागपत जिले के टीकरी गाँव में लगभग सवा करोड़ रुपए की सम्पत्ति को कुर्क कर ली। इसमें तीन मकान और उनकी पत्नी की लग्जरी फार्च्यूनर कार शामिल है। 28सितम्बर को रायबरेली के हिस्ट्रीशीटर खान मुबारक की सम्पत्ति जब्त की गई लखनऊ कमिश्नरेट में पुलिस कुख्यात मुख्तार अंसारी , अतीक अहमद ,सलीम, रुस्तम, सोहराब, खान मुबारक समेत अन्य माफियों के गुर्गों पर शिकंजा कसा है। लखनऊ में एकसाथ 42 स्थानों छापेमारी की गई। पुलिस ने मुख्तार के करीबी अभिषेक बाबू और शहजादे कुरैशी समेत 11 अपराधियों को गिरपतार भी किया गया है। माफिया खान मुबारक और उसके गिरोह पर शिकंजा कसा है। इसी 17सितम्बर को विधायक मुख्तार अंसारी के गिरोह आइएस.-191 के आर्थिक मददगार हिस्ट्रीशीटर राजेश सिंह उर्फ राजन की 35.23लाख की सम्पत्ति जब्त की गई। इससे पूर्व अगस्त में भी पुलिस ने आरोपित की 6.50करोड़ रुपए की सम्पत्ति जब्त की थी। पुलिस ने गुरुवार,17सितम्बर को दोपहर पिपरीडीह स्थित आरोपित राजन सिंह द्वारा अपराध से अवैध रूप से अर्जित किय ग्राम खरगजेपुर भूखण्ड को गैंगस्टर एक्ट के तहत जब्त किया गया। इसी 7सितम्बर को प्रयागराज क अहमदाबाद जेल में बन्द पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद का मकान प्रशासन ने सोमवार को गिरवा दिया। यह मकान कब्जा करके बनवाया गया था। इसकी जमीन 12 करोड़ रुपए की है। जिला प्रशासन, पुलिस, प्रयागराज विकास प्राधिकरण ,नगर निगम की संयुक्त टीम ने अतीक के विरुद्ध यह कार्रवाई की। सोमवार सुबह 11बजे से एसीएम द्वितीय प्रेम चन्द्र की अगुवाई में चार जेसीबी के जरिए मकान ढहाने की कार्रवाई पूरी की गई। अब सिविल लाइन्स, चकिया, करेली में स्थित अतीक सम्पत्तियाँ ध्वस्त करने तैयारी चल रही है। सीज सम्पत्ति की कीमत करीब 60करोड़ रुपये है। पीडीए उपाध्यक्ष अंकित अग्रवाल का कहना है कि नजूल जमीन पर दो अवैध निर्माण चिह्नित हुए थे, जिन पर कार्रवाई की गई। नजूल एवं सरकारी जमीन पर किये गए अन्य अवैध निर्माणों को भी चिहिनत किया जा रहा है। 7 सितम्बर के प्रथम सप्ताह में प्रदेश में अवैध शराब का धन्धा करने वाले 85 लोगों को गिरपतार करके जेल भेजा गया है। एटा में 1360 लीटर स्प्रिट और भारी मात्रा में खाली बोतल ढक्कन व नकली क्यूआर कोड व असलहों के साथ दो व्यक्तियों को मौके से गिरपतार किया गया। आगरा में भी कोई डेढ़ दर्जन से अधिक भूमाफिया चिह्नित किये गए।इनमें से कुछ की सम्पत्ति कुर्क की चुकी है।अब कानपुर के बिकरू काण्ड में विकास दुबे और उनके गिरोह के लोगों को मुठभेड़ मारे जाने को बसपा, सपा ब्राह्मणों की हत्या का आरोप लगाकर सरकार को घेर रही हैं।इतना ही नहीं, दबी आवाज में इस कार्रवाई को मजहबी नजर से भी देख रही है और अल्पसंख्यकों की हमदर्दी बटोरन की कोशिश में लगी हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार का अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, वह निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है। इसका दूसरे अपराधियों को भी सन्देश पहुँच रहा होगा कि अवैध तरीके से जुटाई उनकी सम्पत्ति कुर्क या ध्वस्त हो सकती है। इससे उन्हें अपनी अपराधों की निर्थरकता नजर आएगी और अपराध करने से पहले सौ सोचेंगे। इसके साथ ही उ.प्र.सरकार को इन माफियाओं और अपराधियों के मददगार राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों/कर्मियों की सम्पत्ति को भी जब्त करना चाहिए।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर, आगरा- 282003 मो.नम्बर-9411684054

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