राजनीति

लव जिहाद पर कब लगेगी नकेल ?

साभार सोशल मीडिया

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

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लव जेहाद-उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपने यहाँ लव जिहाद के कोई 11 मामलों की असलियत पता लगाने के लिए जो एक पाँच सदस्यीय विशेष जाँच दल (एस.आई.टी.) गठित किये जाने का निर्णय लिया है, वह सर्वथा उचित, अत्यन्त सामयिक और साहसिक निर्णय हैै। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साधुवाद के पात्र हैं। वर्तमान में ‘लव जिहाद’ एक गम्भीर विश्वव्यापी समस्या है, जिसे सुनियोजित योजना के तहत चलाया जा रहा है। ऐसे में गैर मुस्लिम (हिन्दू, सिख, ईसाई ) किशोरियों तथा युवतियों को लव जिहादियों के जाल में फँसने से बचाने के साथ इस समस्या को नियंत्रित और समाप्त करने हेतु इसकी गहन जाँच कर उसके कारणों को खत्म करना बेहद जरूरी है। अब जहाँ तक उत्तर प्रदेश में ‘लव जिहाद’ का प्रश्न है तो वैसे तो पता नहीं कब से यह चलता आया है ? लेकिन अब पिछले दो सालों में हुए इन मामलों के आरोपितों के मूवमेण्ट से लेकर सूत्र (कनेक्शन) तलाशे जा रहे हैं। दरअसल, इन सभी घटनाओं के पीछे किसी सुनियोजित षड्यंत्र की बू ने पुलिस को परेशान कर रखा है। लव-जेहाद की इन कहानियों में एक ओर पीड़ित युवतियों और किशोरियों को मुहब्बत में मिला धोखा है, तो दूसरी ओर अपनों का टूटा भरोसा। अब पुलिस की निगाह भी हर घटना के उस एक जैसे कारण(कॉमन फैक्टर) पर है, जहाँ से उसे साजिश के निशान मिल सकें। फिलहाल, सच तो यह है कि प्यार का कड़वा अनुभव यानी धोखा है। लव जिहाद को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहना है – युवतियों को धोखे में रखकर शादी करने वाले बब्शे नहीं जाएँगे, निश्चय ही अब इससे लव जिहादियों के हौसल पस्त होंगे।

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उत्तर प्रदेश के कानपुर की फिजा फातिमा बन चुकी शालिनी यादव का मामला सामने आने के बाद देश में लव जिहाद पर बहस एक बार फिर शुरू हो गई है। देखते-देखते लव जिहाद के काले खेल की परतें खुलने लगी हैं। यकायक जिले में 10 मामले सामने आकर खड़े हो गए। ऐसा ही एक और मामला चकेरी के पटेलनगर में किशोरी के धर्म परिवर्तन और निकाह किये जाने का है। इस मामले में पुलिस ने आरोपित आदिल खान को 3 सितम्बर को जेल भेजा है। पटेल नगर निवासी अनुसूचित जाति के मजदूर की 16 वर्षीय बेटी को इलाके का आदिल खान पाँच फरवरी को अपने साथ भगा ले गया था। किशोरी के पिता बीमार हैं और भाई उस वक्त बैंगलुरु में नौकरी कर रहा था। आरोप है कि आदिल ने किशोरी का जबरन धर्म परिवर्तन कराया और उम्र के फर्जी दस्तावेज तैयार करा कर निकाह किया। 31 अगस्त, सोमवार को पीड़िता ने मायके आकर बताया कि पति कमरे में बन्द करके रखता था । विरोध करने पर पूरा परिवार पीटता था। घर से रुपए लाने का दबाव बनाता था। इन्कार पर आरोपित ने तलाक देने और जान से मारने की धमकी भी दी। अब एसआइटी ने पुराने चार मामलों की जाँच जूही थाना प्रभारी को सौंपी है। बाकी पाँच मामलों में जुड़े आरोपितों के छह करीबियों से भी पूछताछ की जा रही है। पिछले महीनों में पश्चिमी उ.प्र. के कुछ जिलों में लव जिहाद की घटनाएँ सामने आयी थीं, पर पुलिस-प्रशासन हमेशा की तरह खामोश रहा है, जबकि लव जिहाद के एक मामले में उसने अपनी बीवी समेत उसके घर वालों को मार डाला था।

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‘लव जिहाद‘ दो शब्दों से मिल कर बना है, इनमें पहला शब्द ‘लव’ अँग्रेजी भाषा है जिसका अर्थ प्रेम, प्यार, मुहब्बत है, तो दूसरा शब्द ‘जिहाद’ अरबी भाषा का है, जिसके माने मजहबी जंग/धर्मयुद्ध है। कुछ इस्लामिक विद्वान ‘जिहाद’ के माने बुराइयों के खिलाफ जंग/लड़ना बताते आए हैं, लेकिन वर्तमान में यह शब्द मुस्लिम युवकों द्वारा भारत समेत दुनियाभर में मजहबी साजिश के तहत अपनी असली पहचान छिपा कर यानी छल-फरेब से हिन्दू, सिख, ईसाई आदि मजहबों की युवतियों को अपनी झूठी मुहब्बत के जाल में फँसा कर उनका धर्मान्तरण कर उनके साथ निकाह करना है। इसके लिए मोबाइल पर फर्जी आइडी बना कर युवतियों से सम्पर्क बनाये जाते हैं। बाद में उन्हें बीवी बनाये रखना या वेश्यावृत्ति के लिए बेच देना या फिर इस्लामिक दहशतगर्दों के गिरोहों के लिए काम कराना है। वैसे यह कहना अनुचित नहीं होगाकि ‘लव जिहाद’ इस्लाम के अनुयायियों का मतान्तरण कराने का आधुनिक तरीका है, इस काम उनके पूर्वज पहले गैर मजहबियों को तलवार के जोर पर कराते थे, वह उसे फर्जी मुहब्बत यानी ‘लव जिहाद’ से करा रहे हैं, ताकि कानून के शिकंजे में फँसने से खुद को बचाया जा सके। मन्तातरण की इस सदियों पुरानी परम्परा को स्कूल, कॉलेज और दूसरे युवा ही नहीं, बल्कि फिल्मी दुनिया के सितारों और गैर सितारों से लेकर सभी सियासी पार्टियों के नेतागण भी बड़े सलीके से अंजाम दे चुके हैं और दे रहे हैं। जो मुल्ला-मौलवी मामूली बातों पर शरीयत का शोर मचाते हैं, वे इन मामलों में खामोश रहते हैं। दरअसल, वे इसे मजहबी सवाब काम मानते हैं।

लव जिहाद के मामलों में मुस्लिम नेता और उनके संगठन अक्सर यह कहकर बचाव करते है कि अपने देश का संविधान और दूसरे कानून वयस्क युवक-युवती को अपनी पसन्द के मुताबिक मुहब्बत करने और निकाह/शादी की इजाजत देता है। इसके साथ मजहब बदलने की भी, पर अगर हिन्दू युवक मुस्लिम युवती से यही सब करता है, तो शरीयत की दुहाई देते हुए उस प्रेमी जोड़े की जान लेने पर उतर आते हैं। वैसे जब से अपने देश में इस्लामिक हमलावर आए थे, तब से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। यहाँ तक कि सभी मजहब को सम्मान देने वाले मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में भी राजपूतों बेटियों से तो निकाह किये गए, पर राजपूतों से किसी मुगल शाहजादी का विवाह नहीं कराया गया। हकीकत यह है कि मुस्लिम शासकों ने जहाँ गैर मजहब के लोगों यानी हिन्दुओं को तरह-तरह से प्रताड़ित कर इस्लाम कबूल कराया, वहीं जबरदस्ती उनकी बेटियों से निकाह कर अपने मजहब में शामिल किया था। ऐसा करके ही अपने मजहब को फैलाया है। अब भी ये लोग भारत ,पाकिस्तान में ही नहीं, दुनियाभर के देशों में जोरजबरदस्ती और छल फरेब से गैर मजहब के लोगों को इस्लाम कबूल कराने में जुटे हैं। लेकिन इस समुदाय के एकमुश्त वोटों के लालच में अपने देश की सभी सियासी पार्टियाँ उनके इतने बड़े गुनाह की बराबर अनदेखी करती आयी हैं। ऐसा करने में उन्हें कतई अपराध बोध नहीं होता, क्यों उनके लिए देश और समाज से बढ़कर सत्ता है। इसलिए इनके हौसले बेहद बड़े हुए हैं।
वैसे ‘लव जिहाद’ की यह अवधारण सन् 2009 में अपने देश में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार चर्चा में तब आयी, जब केरल और फिर कर्नाटक में मुस्लिम युवकों द्वारा अपनी असली पहचान छुपा कर हिन्दू और ईसाई युवतियों को मुहब्बत का ढोंग कर उनसे इस्लाम कबूल कराके निकाह करने की कई वारदातें सुर्खियों में आयी थीं। हालाँकि यह शब्द भारत के सन्दर्भ में प्रयोग किया जाता है, लेकिन कथित रूप से इसी तरह गतिविधियाँ ब्रिटेन आदि देशों में हुई हैं।
केरल उच्च न्यायालय द्वारा दिये एक निर्णय में ‘लव जिहाद’ को सत्य पाया है। नवम्बर, 2009 में पुलिस महानिदेशक जैकब पुन्नोज ने कहा,‘ कोई भी संगठन नहीं है, जिसके सदस्य केरल में युवतियों को मुस्लिम बनाने के इरादे से प्यार करते थे।’’ तब दिसम्बर, 2009 में न्यायमूर्ति के. टी.शंकरन ने पुन्नोज की रिपोर्ट को स्वीकार करने से मना दिया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि जबरदस्ती धर्मान्तरण के संकेत हैं। अदालत ने ‘लव जिहाद’ मामलों में दो अभियुक्तों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में इस तरह के 3,000-4,000 सामने आये थे। कर्नाटक सरकार ने सन् 2010 में कहा था कि यद्यपि बहुत-सी युवतियों ने अपना धर्म बदलकर इस्लाम मजहब अंगीकार किया है, तथापि उन्हें इसके लिए मनाने हेतु कोई संगठित प्रयास नहीं किया गया।
कालान्तर में ऐसे ही दावे बाद में भारत, पाकिस्तान, ब्रिटेन (यू.के.) में किये गए। इस दौरान 2009, 2010, 2011 और 2014 में भारत में लव जिहाद के आरोपों को लेकर विभिन्न हिन्दू, सिख और ईसाई संगठनों से चिन्ता जतायी, जबकि मुस्लिम संगठनों से आरोपों को गलत बताया । लव जिहाद की अवधारणा बहुत से लोगों के लिए राजनीतिक विवाद और चिन्ता कारण बन गई है।लव जिहाद के शुरुआती मामले केरल और तटीय कर्नाटक के मैंगलोर इलाके में सामने आए। अक्टूबर, 2009 में केरल कैथोलिक बिशप कौंसिल ने दावा कि लगभग 4,500 युवतियों को ‘लव जिहाद’ का निशाना बनाया गया। हिन्दू जनजागृति समिति का भी आरोप था कि अकेले कर्नाटक में 30 हजार युवतियों को धर्म परिवर्तन किया गया। सन् 2014 में सिख कौंसिल को भी ऐसी खबरें मिलीं कि ब्रिटेन में सिख परिवारों की युवतियाँ लव जिहाद में फँसायीं जा रही हैं। इनमें कहा कि इन युवतियों को बाद में पतियों के हाथों हिंसा का सामना करना पड़ता है। इनमें कुछ को पाकिस्तान में हमेशा के लिए छोड़ दिया गया। लव जिहाद के पीछे कट्टर इस्लामिक संगठन ‘मुस्लिम स्टूडेण्ट यूनियन ऑफ इण्डिया’ (सिमी), ‘पॉपुलर फ्रण्ट ऑफ इण्डिया’ (पी.एफ.आई.) को जिम्मेदार ठहराया गया। केरल में कुछ फिल्मों पर भी आरोप लगाया कि वे लव जिहाद को बढ़ावा दे रही हैं। हालाँकि उनके निर्माताओं ने इन आरोपों से इन्कार कर दिया।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी सितम्बर, 2014 में कहा कि पिछले तीन महीनों में लव जिहाद के छह मामलों में से पाँच में धर्म परिवर्तन के प्रयास कोई सबूत नहीं मिला। पुलिस ने कहा कि बेईमान पुरुषों द्वारा छल के छिटपुट के मामले एक व्यापक षड्यंत्र के प्रमाण नहीं हैं।
मई, 2017 में केरल उच्च न्यायालय ने हिन्दू युवती अखिला (धर्म परिवर्तन के बाद हादिया) और मुस्लिम युवक शफीन जहाँ ने निकाह को अवैध ठहराया। उसके पीछे आधार दिया गया कि इसमें अखिला के परिवार की सहमति नहीं थी। अखिला के पिता का कहना था कि धर्म परिवर्तन और निकाह के तार इराक और सीरिया से जुड़े हैं। सैन्य अधिकारी रह चुके अखिला के पिता का आरोप है कि इस मामले के लिए पी.एफ.आई. ने कुछ समय में ही लाखों रुपए का चन्दा कर सर्वोच्च न्यायालय में कई जाने माने वकील खड़े कर दिये। उन्हें न पुलिस की सहायता मिली और न किसी सियासी पार्टी की। पुलिस जाँच में निकले इस तथ्य पर न्यायालय ने निकाह को अवैध करार दिया कि केरल में बहुत से युवा धर्म परिवर्तन कर कुख्यात आतंकवादी संगठन आइ. एस. आइ. एस. में शामिल हो रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय में इसके खिलाफ अपील होने के उसने केरल उच्च न्यायालय के निर्णय को पलट दिया और कहा कि अखिला अपनी मर्जी से निकाह करने को आजाद है। इतना जरूर है कि सर्वोच्च न्यायालय ने लव जिहाद के पैटर्न की स्थापना के लिए सभी समान मामलों की जाँच करने के लिए ‘राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी’(एन.आई.ए.) को निर्देश दिया। सन् 2020 में केरल की एक कैथोलिक चर्च ने लव जिहाद का मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि बड़ी तादाद में राज्य में ईसाई समुदाय की महिलाओं को लुभाकर इस्लामिक स्टेट और आतंकवादी गतिविधियों में धकेला जा रहा है। कार्डिनल जॉर्ज ऐलनचैरी की अध्यक्षता वाली पादरियांे की संस्था ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह लव जिहाद के मामलों की गम्भीरता से नहीं ले रही। इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रण्ट ऑफ इण्डिया, ने इन आरोपों से इन्कार किया,वहीं विश्व हिन्दू परिषद् ने पादरियों के बयान का स्वागत किया। पादरियों की धर्म सभा ने एक पुलिस रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि जिन 21 लोगों को इस्लामिक स्टेट (आई.एस.) में भर्ती किया गया था। उनमें आधे ईसाई थे, जिन्होंने अपना धर्म बदला था। यह घटना पूरे समुदाय के लिए एक आँख खोलने वाली होनी चाहिए। यह भी पता चला है कि कई युवतियों को लव जिहाद के जरिए से आतंकवादियों में इस्तेमाल किया जा रहा था। यह एक गम्भीर मामला है,लव जिहाद कोई कोरी कल्पना नहीं है।
अगस्त, 2020 में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेन्सी-एनआईए. ने कुछ बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ ह्यूमन टैªफकिंग का केस दर्ज किया है। यह मामला तमिलनाडु के चैन्नई में रहनी वाली छात्रा का अपहरण से जुड़ा है, जिसे ब्रिटेन से अपहरण कर बांग्लादेश ले जाया गया। एन.आई.ए. इस केस की जाँच लव जिहाद के नजरिए (ऐंगल) से कर रही है। इस मामले में युवती के पिता ने सीसीबी में 21 मई,2020 का मामला दर्ज कराया। गत दिनों मध्य प्रदेश के ग्वालियर के जनकगंज विस्तार का एक लव जिहाद का मामला सामने आया है, जहाँ एक मुस्लिम युवक शौकत अली ने खुद को हिन्दू बताकर एक हिन्दू युवती के साथ शादी कर ली। उसके बाद पीड़ित युवती ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करके सहायता की गुहार लगाते हुए कहा, ‘मैं लव जिहाद का शिकार हुई हूँ। मेरी मदद करो।’ एसपी ने इस मामले की पुष्टि की है। रिपोर्ट के अनुसार आरोपी ने पीड़ित युवती के साथ शादी की और उसके बाद उसे जम्मू-कश्मीर में पूंछ जिल के सूरनकोट में ले गया। सूरन कोट में युवती को पता चला कि जिस युवक से उसकी शादी हुई है। वह हिन्दू नहीं, बल्कि मुस्लिम है। इस युवक का असली नाम शौकत अली है। उसने अपने पति पर धर्म परिवर्तन करने और मारपीट करने का भी आरोप लगाया है।उसका आरोप था कि शौकत के परिवार वालों ने उसका जबरन धर्मपरिवर्तन करा दिया है। अब युवती को पूरा परिवार प्रताड़ित करता है। इतना ही नहीं, युवती का गला भी ब्लेड से काटने का प्रयास किया। उसके बाद युवती को घर से निकाल दिया गया।
अब लव जिहाद पर मचे घमासान के बीच बीजेपी नेता और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इसकी रोकथाम के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है। उन्होंने हाल में ट्वीट कर लिखा, ‘‘जब तक भारतीय दण्ड संहिता (आइ.पी.सी.) में धारा 493 के बाद 493ए नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक साम, दाम, दण्ड, भेद द्वारा निकाह होता रहेगा। यदि कोई सांसद साम, दाम, दण्ड, भेद द्वारा निकाह /लव जिहाद रोकने के लिए आगामी संसद सत्र में प्राइवेट मेम्बर बिल पेश करना चाहते हैं, तो मेरे पास बिल तैयार है।’’ उपाध्याय ने अपने ट्वीट में लिखा ,‘‘लव जिहाद की फंडिंग की हवाला से होती है। यदि 100 रुपए से बड़े नोट और 5,000 रुपए से महँगा सामान का नकद लेनदेन बन्द कर 50,000 रुपए से महँगी सम्पत्ति को आधार से लिंक किया जाए तथा कालाधन-बेनामी सम्पत्ति 100 प्रतिशत जब्त कर आय से अधिक सम्पत्ति वालों को आजीवन कारावास दिया जाए, तो हवाला बन्द हो जाएगा। उनका कहना है कि लद्दाख से लक्षद्वीप तक और कच्छ से कामरूप तक साम,दाम, दण्ड, भेद द्वारा धर्मान्तरण और निकाह की घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही है। इसलिए ‘धर्मान्तरण’ और ‘लव जिहाद’ के खिलाफ एक कठोर और प्रभावी कानून बनाना नितान्त आवश्यक है। वर्तमान में ‘लव जिहाद’ एक गम्भीर समस्या है, जिसकी अनदेखी किया जाना सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यन्त घातक होगा,इसलिए गहराती समस्या पर विचार कर तत्काल कदम जरूरी है,क्यों कि तमाम हिन्दू,सिख, ईसाई युवतियों के जीवन को संकट बना हुआ है। अब देखना यह है कि ‘लव जिहाद’ की हकीकत सामने के बाद क्या अपने देश की सियासी पार्टियाँ ऐसे किसी कानून बनाये जाने की जरूरत पर गौर फरमाएँगी, जिससे किसी युवती को गुमराह कर उसका मजहब बदलवाने वाले को नमूने की सजा दी जा सके।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63 ब,गाँधी नगर, आगरा- 282003 मो.नम्बर-9411684054

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