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क्यों धधक रहा है बेलारूस?

साभार सोशल मीडिया

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

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हाल में बेलारूस में राष्ट्रपति के चुनाव में 65वर्षीय अलेक्जेण्डर ल्यूकाशेंको को भारी वोटों की जीत के बाद विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोव्स्काया के इसे मानने से इन्कार करने बाद से जिस तरह पूरे देश में बडी संख्या में लोगों ने उग्र विरोध प्रदर्शन विरोध जताया है,उससे स्पष्ट है कि बेलारूस के लोग राष्ट्रपति ल्यूकाशेंको के 26 साल के कुशासन से आजिज आ चुके हैं और अब वे आगामी 2025 तक उन्हें बर्दाश्त करने को किसी भी हालत में तैयार नहीं है। बेलारूस के लोग अपने राष्ट्रपति ल्यूकाशेंको की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के घनिष्ठ सम्बन्धों को लेकर भी संशकित रहते हैं कि कहीं वह उनके देश की विलय पुनः रूस में न करा दें। उनका देश सन् 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद स्वतंत्र हुआ। अब ये लोग फिर से रूस के हाथों अपनी आजादी गंवाना नहीं चाहते।इसके बावजूद गत 15 अगस्त को राष्ट्रपति ल्यूकोशेंको वर्तमान में अन्तरिक अशान्ति,उथल-पुथल से निपटने और विदेशी दबाव से बचने के लिए रूस के राष्ट्रपति पुतिन से टेलीफोन सलाह और मदद माँगी है,जो एक तरह से बेलारूस के लोगों को चिढाने जैसा है।इसके बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि यह समस्या कुछ गड़बडी पसन्द ताकतों द्वारा पैदा की गई है,जो बेलारूस और रूस के सम्बन्धों में मजबूती नहीं चाहती ळै। ऐसी ताकतें अपने मकसद में कामयाब नहीं होंगी। ये लोग राष्ट्रपति ल्यूकाशेंको का कोरोना महामारी की दवा ‘वोदका शराब बताने से भी बेहद खफा है। तब उन्होंने कहा कि वोदका कोरोना के लिए जहर है।

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राष्ट्रपति ल्यूकाशेंको सन् 1995 से सत्ता पर काबिज हैं, लेकिन इस बार के चुनाव में पहली बार उतरी 37 वर्षीय विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोव्स्काया की चुनावी रैलियों में जैसी भारी भीड उमड़ी थी, वैसी उससे पहले कभी नहीं देखी गई थी। यह देखते हुए सन् 1995 से सत्ता पर काबिज ल्यूकाशेंको की सत्ता की चूलें हिल गई थीं और उनकी पराजय निश्चित दिखायी दे रही थी, पर ऐसा हुआ नहीं। इसी 10 अगस्त को जब राष्ट्रपति के चुनाव के परिणाम आने के बाद विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोव्स्काया ने चुनाव धांधली का आरोप लगाते हुए कहा कि संघर्ष जारी रहेगा। भले ही मैं चुनाव हार गई हूँ , पर हिम्मत नहीं। तानाशाही के खिलाफ मेरा संघर्ष जारी रहेगा। हालाँकि चुनाव के नतीजे देख लोग विरोध पर सड़कों पर उतर आए, किन्तु उसे ताकत स्वेतलाना की मुखालफत ने ही दिया। इस चुनाव में गडबडी की आशंका सिर्फ बेलारूस के लोगों ने ही नहीं जतायी है, अमेरिका, पोलैण्ड, जर्मन ने भी निष्पक्ष नहीं मना है। इन सभी की राष्ट्रपति चुनाव में धांधली अकारण नहीं है,क्योंकि जहाँ ल्यूकाशेंको को 80.23 प्रतिशत वोट मिले हैं, वहीं स्वेतलाना को सिर्फ 9.9फीसदी।
अमेरिका की विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने बेलारूस में सरकार विरोधियों के खिलाफ हो रही हिंसा की आलोचना की। जबकि बेलारूस में लगातार विरोध प्रदर्शन जारी हैं। बेलारूस की हिंसा पर यूरोपीय संघ ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और प्रतिबन्ध लगाने की चेतावनी भी दी है। जहाँ इसके सदस्य पोलैंड ने बेलारूस हिंसा पर संघ की आहूत करने की माँग की है। इसके प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि बेलारूस के अधिकारियों ने बदलाव की माँग करने वाले लोगों के खिलाफ बल का प्रयोग किया। हमें बेलारूस के नागरिकों की आजादी का समर्थन करना चाहिए, वहीं जर्मन सरकार का मानना है कि बेलारूस के चुनावों में न्यूनतम स्तर का पालन नहीं किया गया है। इसके विपरीत रूस और चीन ने ल्यूकाशेंको को फिर से राष्ट्रपति का चुनाव में भारी मतों से जीतने पर बधाई दी है। अब बेलारूस के पडोसी देश एस्टोनिया,लिथुआनिया, लाताविया ने राष्ट्रपति ल्यूकाशेंको को फिर से चुनाव कराने की सलाह दी है। उनकी उचित सलाह के प्रत्युत्तर में ल्यूकाशेंको ने कहा कि अपराधी और अराजक तत्त्व विदेशी शह पर उनका विरोध कर रहे हैं।

इसके बाद ल्यूकाशेंको का विरोध करने वाले नागरिक सड़कों पर उतर आए। राजधानी .मिंस्क में सिटी सेण्टर के पास बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए। वे आगजनी, तोडफोड़,रास्ते में बाधाएँ खड़ी गई ,जिन्हें तब जमा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुन्न कर देने वाले हथगोलों चलाये। इस कारण जहाँ कई प्रदर्शनकारी घायल हुए है,वहीं 39 पुलिसकर्मी भी। पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़प में एक की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए हैं। 3,000 से ज्यादा की गिरफ्तारियों के बीच पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आँसू गैस , पानी की तैज बौछारें, स्टगन ग्रेनेड तथा रबर की गोलियाँ भी चलायीं । गृह मंत्रालय के अनुसार 1000 गिरफ्तारियाँ राजधानी मिंस्क में हुई हैं, जबकि बाकी दूसरे हिस्सों में गिरफ्तार किया गया। इनमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हुई है। इसकी सफाई देते हुए पुलिस ने कहा कि वह विस्फोटक उपकरण फेंकना चाहता था लेकिन वह उसके हाथ से छूट गया, जिसमें वह मारा गया। इसके विपरीत नागरिक अधिकार समूह स्प्रिंग-96 के प्रतिनिधि का आरोप है कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष में उसकी मौत पुलिस वैन से दबकर हुई। इस हिंसा के बीच 11अगस्त को स्वेतलाना पड़ोसी देश लिथुआनिया अपने बच्चे के पास पहुँच गईं। वहाँ के विदेश मंत्री लिनास लिंकेविसियस ने उनके सुरक्षित होने की पुष्टि की है।
बेलारूस पूर्व सोवियत संघ के बाइलोरशिया(श्वेत रूस) है, जो दिसम्बर ,सन् 1991 में स्वतंत्र देश बना और इसका नया नामकरण ‘बेलारुस’ किया गया। इसकी सीमाएँ रूस, पोलैण्ड, उक्रेन,लाताविया, लिथुआनिया से घिरी हुई हैं। इसका क्षेत्रफल-2,07,600वर्ग किलोमीटर तथा राजधानी-मिन्स्क है। बेलारूस की जनसंख्या-94,81,100 लाख से अधिक है। यहाँ के लोग ईसाई धर्म मानते हैं और बेलोरशियन, रशियन बोलते हैं। इस देश की मुद्रा ‘रूबल’(जाइचिक।) कृषि,पशु पालन और दुग्ध उत्पादन प्रमुख व्यवसाय है। आलू, हैम्प ,खाद्यान, फ्लैक्स, चारा अन्य उत्पादन है। टिन-लारीज, मशीन, यंत्र , कृषि यंत्र, पीट, रसायनिक धागा (फाइबर), कागज,निर्माण सामग्री, काँच(ग्लास) आदि।
वस्तुतः राष्ट्रपति ल्यूकाशेंको को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का समर्थन बराबर मिला आया है,जबकि बेलारूस के अधिकांश लोग रूस को साम्राज्यवादी मानते हुए पसन्द नहीं करते हैं। बेलारूस की राजधानी मिंस्क में 20 दिसम्बर को लगभग दो हज़ार लोगों की भीड़ नारा लगा रही थी कि वे साम्राज्यवादी रूस के साथ नहीं आना चाहते हैं। उनका.यह विरोध बेलारूस और रूस के मध्य सम्भावित गठजोड़ को लेकर था। इन दोनों देशों में गहन आर्थिक सम्बन्धों को लेकर विमर्श हो रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेण्डर ल्यूकाशेंको सेण्ट पीटर्सबर्ग में मिले थे। यह दोनों राष्ट्रपतियों की 15 दिनों में यह दूसरी भेंट थी। इसके पश्चात् पुतिन ने कहा था कि दोनों नेता सहमति की ओर अग्रसर रहे हैं। यद्यपि भेंट के उपरान्त रूस के वित्त मंत्री मैक्सिम ओरेश्किन ने कहा था कि दोनों पक्षों में तेल तथा गैस पर सहमति नहीं हो सकी है। .प्रदर्शनकारियों को भय है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक सम्बन्धों से उन्हें सोवियत संघ के विघटन के बाद जो आज़ादी मिली थी उसमें कमी आएगी। अब फिर मुश्किल वक्त में रूस ने राष्ट्रपति ल्यूकाशेंको ने साथ देने का वादा किया है। जल्दी विरोध शान्त हो जाएगा और स्थिति सामान्य हो जाएगी। ऐसे में अब देखना यह है कि राष्ट्रपति लुकाशेंको अपने लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी शंका निवारण करने में देर नहीं करेंगा। ऐसा करना ही उनकी सत्ता की सलामती और बेलारूस की लोगों के लिए हितकार होगा।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282005मो.नम्बर-9411684054

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