देश-दुनिया

इंसानियत के गुनाहगार पाकिस्तान के फर्जी इल्जाम

डॉ.बचन सिंह सिकरवार


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान हममजहबी मुस्लिम मुल्कों, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प समेत अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धित अनुच्छेद 370 तथा 35ए खत्म किये जाने के बाद से उसके इस फैसले को गैर कानूनी बताने के साथ वहाँ के कश्मीरी मुसलमानों पर बेइंतिहा जुल्म ढहाये और उन्हें भूखे-प्यासे मारे जाने के उसके खिलाफ इल्जाम लगाते फिर रहे हैं, लेकिन उनके मुल्क की फितरत से वाकिफ ये सभी उनके कहे पर जरा भी गौर नहीं कर रहे हैं,उनके इस रवैये/बेरुखी से पाकिस्तानी हुकुमरान बेहद हैरान और परेशान हैं। ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद्’ (यूएनएचआसी) में भी पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर किसी इस्लामिक मुल्क का साथ नहीं मिला। हालाँकि उसने यहाँ इस मुद्दे पर 58 इस्लामिक देशों के समर्थन मिलने का झूठा दावा किया था, पर ऐसे में पाकिस्तान के लिए राहत की बात यह है कि भारत में गुलामी नवी आजाद जैसे वरिष्ठ काँग्रेसी नेता से लेकर उनकी ही पार्टी कुछ दूसरे रहनुमा उनके कहे को सच मान रहे है, जो देशहित की परवाह किये बगैर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की अपनी पुरानी नीति को हर हाल में बरकरार रखना चाहते हैं। वैसे भी पाकिस्तान की तरह काँग्रेस भी केन्द्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35ए हटाये जाने को अनुचित मानते हुए उससे नाराज है, जिसे उसे बनाये रखने को हाल के लोकसभा के चुनाव में उसने अपने घोषणापत्र में वायदा किया था, जबकि वह अच्छी तरह से जानती है कि ये ही अनुच्छेद इस सूबे में इस्लामिक अलगाव और इस्लामिक दहशतगर्दी की मुख्य वजह हैं। फिर पाकिस्तान की अबतक सरकारों का एकमात्र मकसद भारत का अन्ध विरोध और उससे किसी भी तरह जम्मू-कश्मीर हथियाना रहा है। अब भारत ने उसका यह मकसद पूरा करने का मौका ही खत्म दिया। इस पर पाक की बौखलाहट स्वाभाविक है।
अब पाकिस्तान के आकाओं में से एक अमेरिका उससे भारी रकम लेकर भी अपने यहाँ पल रहे इस्लामिक दहशतगर्दों पर लगाम लगाने पर नाकाम रहने पर उससे बेहद खफा है। उसके द्वारा भारत के खिलाफ लगाए इल्जामों की वह बराबर अनसुनी ही नहीं, राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कहा कि ‘कट्टर इस्लामिक आतंकवाद’से भारतीयों और अमेरिकियों को बचाने के लिए हम दृढ़ता से एकजुट हैं। सीमा की सुरक्षा करना दोनों देशों का अधिकार है। अब ले-देकर पाकिस्तान को सिर्फ चीन का भरोसा है, जो खुद अपने मुल्क के पश्चिमी प्रान्त शिनजियांग में कोई दस लाख उइगर मुसलमानों को विशेष शिविरों में कैद किये हुए है। वहाँ उन्हें न तो दाढ़ी रखने की इजाजत है और न ही रोजा-नमाज। यहाँ तक कि मुस्लिम महिलाओं को बुर्का पहनने समेत तमाम ऐसी ही पाबन्दियों से छूट नहीं है। उइगर मुसलमानों को इस्लाम भुला कर नास्तिक बनाया जा रहा है,पाक को उन पर हो रहा जुल्म नजर नहीं आ रहा है। तिब्बतियों पर चीन के जुल्मों से पूरी दुनिया अच्छी तरह वाकिफ है।
दरअसल, मजहबी नफरत की बुनियाद पर बने पाकिस्तान की पूरी तवारीख ही इंसानियत के खून से रंगी है। अपनी मजहबी कट्टरता को लेकर पाकिस्तान दुनिया में इंसानियत का सबसे बड़ा गुनाहगार है। इस मुल्क के हुकूमरानों की सत्ता की खातिर एक -दूसरे को साजिश कर कत्ल कराने/मरवाने या फर्जी इल्जामों में फँसा कर फाँसी चढ़ाने की लम्बी फेहरिस्त है। अपने जन्म के साथ इस मुल्क में फर्जी जम्हूरियत और असली सत्ता सेना और खुफिया एजेन्सी आइ .एस.आइ.के हाथ रही है। पाकिस्तान के बनने के बाद से हिन्दुओं, सिखों, ईसाइयों की बात क्या? कट्टरपन्थियों द्वारा उन पर जुल्म ढहाते हुए उन्हें ‘इस्लाम’ मजहब अपनने या फिर मुल्क छोड़ने को मजबूर किया जाता रहा है। इस कारण इन सभी की जनसंख्या कुल आबादी की 10फीसदी से भी कम रह गई है,जो सन्1947 में 30प्रतिशत के आसपास थी। बंगाली, सिन्धी,बलूच,पख्तून, मुहाजिर(भारत के विभिन्न इलाकों से पाक गए) मुसलमानों के साथ यहाँ की सरकार दोयम दर्जे के शहरी सरीखा बर्ताव करती आयी है। उसके बंगाली मुसलमानों के साथ भेदभाव और जुल्मों के कारण सन् 1971में गृहयुद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान का इलाका उससे अलग होकर ‘बांग्लादेश’ नामक आजाद मुल्क बन गया। फिर भी पाक ने उससे कोई सबक नहीं सीखा। पाकिस्तान में अहमदिया, कादियान समेत कई दूसरे फिरके के मुसलमानों को ‘इस्लाम’से बाहर कर दिया गया है। सन् 1953 में अयूब खान के कट्टरपन्थी शासन के दौरान अहमदियों के खिलाफ दंगे हुए,जिसमें 2,000से अधिक अहमदिया मुसलमान मारे गए और 10,000बेघरबार हो गए। ‘ईशा निंदा’ कानून की आड़ में इस मुल्क में किसी भी व्यक्ति को आसानी से आजीवन कारावास/ फाँसी पर लटकाया जा सकता है। अभी हाल में सिंध प्रान्त के घोटकी जिले में एक हिन्दू शिक्षक और दूसरे हिन्दुओं को इसका खामियाजा उठाना पड़ा,जब उसके एक छात्र के यह कहने पर कि उसने पैगम्बर मुहम्मद साहव के खिलाफ अपशब्द कहे हैं। इस पर उस छात्र के पिता ने उस शिक्षक के विरुद्ध ईशा निंदा का इल्जाम लगाते पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी। नतीजा उस शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया गया । हिन्दुओं के तीन मन्दिरों और उनके मकान,दुकानों पर हमले एवं तोड़फोड़ की गई । एक हिन्दू युवती को अगवा मुसलमान बनाकर जबरदस्ती निकाह कर दिया। इससे पहले एक सिख युवती का गुरुद्वारे से अपहरण कर मुसलमान बनाया गया।फिर एक ईसाई युवती को। ‘मूवमेण्ट फॉर सॉलिडरिटी एण्ड पीस इन पाकिस्तान’ के अनुसार यहाँ हर वर्ष हिन्दू और ईसाई समुदायों की लगभग एक हजार युवतियों की जबरदस्ती निकाह मुसलमान युवकों से करा दिया जाता है। हाल में इमरान खान की ‘तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी’ के पूर्व विधायक बलदेव कुमार को हिन्दुओं के उत्पीड़न की वजह भारत में राजनीतिक शरण माँगने का मजबूर हुए हैं,क्योंकि उन्हें भी अपनी और परिजनों की जान को खतरा था।
भारत पर कश्मीरी मुसलमानों पर जुल्म ढहाये जाने का इल्जाम लगा रहे पाकिस्तान के खुद का पूरा दामन इंसानियत के खून से रंगा हुआ है। वह खुद को इस्लाम का सबसे बड़ा खैरख्वाह बनता और दिखाता आया है, किन्तु हकीकत में उसने अपने हममजबियों पर जुल्मो-सितम ही नहीं, उनका खून बहाने में भी जरा भी कोताई नहीं बरती है। इसका सुबूत यह है कि गत 16 सितम्बर को यूएनएचआरसी के 42 वें सत्र के दौरान मानवाधिकार हनन के मामलों को लेकर पाकिस्तान के बलूचों, सिंधियों और गुलाम कश्मीर के कार्यकर्ताओं द्वारा उसके द्वारा उन ढहाये जा रहे जुल्मों की दास्तानें दुनिया को सुनाते हुए उसकी जमकर फजीहत कराना है। उनकी दास्तानें सुनने के बाद जहाँ पाकिस्तान को अपने किये पर शर्म आनी चाहिए, वहीं अपने देश के काँग्रेसियों, अल्पसंख्यकों के वोट बैंक तलबगार वामपन्थियों, सपा,बसपा,जदयू आदि समेत इस्लामिक कट्टरपन्थी कश्मीरी मुसलमानों और उनके हमदर्द हममजबियों की आँखों पर से मजहबी पर्दा हट जाना चाहिए, जो पाक को अपने लिए जन्नत समझते आए हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगिट, बाल्टिस्तान थिंकर्स फोरम के अध्यक्ष कर्नल(अवकाश प्राप्त) वजाहत हसन मिर्जा ने यूएनएसआरसी के उक्त सत्र में कहा कि गिलगिट तथा बाल्टिस्तान ऐतिहासिक रूप से भारत के हिस्से हैं। भारत ने अनुच्छेद 370 तथा 35 ए अपने संविधान के अनुरूप हटाए हैं। एक अगस्त,सन् 1947को गिलगिट को कश्मीर को कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने ब्रिटिश शासकों ने सौंप दिया था। फिर उसका लद्दाख, वजारत और बाल्टिस्तान के साथ विलय कर दिया गया। इस क्षेत्र को उत्तरी प्रान्त घोषित कर दिया, जो 65हजार वर्ग मील में फैला हुआ था। यह इलाका जम्मू-कश्मीर को 75 प्रतिशत हिस्सा था। फिर 22 अक्टूबर, सन् 1947 को कश्मीर घाटी पर मुजफ्फराबाद के रास्ते कबाइलियों के जरिए पाकिस्तान के हमले के बाद तब के राज्य का अधिग्रहण किया गया। उन्होंने मामला संयुक्त राष्ट्र में जाने पर कबायली लश्करों को खदेड़ने के लिए मदद माँगी थी। वैसे भी आजकल गुलाम कश्मीर के लोग पाकिस्तान से आजादी की माँग कर रहे हैं और पाकिस्तानी पुलिस और सेना उन पर बहुत जुल्म ढह रही है। पिछले सत्तर साल से यहाँ के बाशिंदों के साथ पाक दोयम दर्जे के नागरिकों सरीख बर्ताव करता आया है। उन्हें मामूली-सी सुविधाएँ हासिल करने के लिए भारी संघर्ष करना पड़ता है।
इसी मौके पर ‘वर्ल्ड सिंधी काँग्रेस’ की नेता रुबीना ग्रीनवुड ने कहा कि सिंधी लोगों पर राजनीतिक, आर्थिक और मानवाधिकार सम्बन्धी जुल्मों पर उनकी जुबान बन्द करने के लिए पाकिस्तान की सुरक्षा एजेन्सियाँ उन्हें गायब कर देती हैं। फरवरी, सन् 2017 से अब तक अकीब चंदियों, शबीर कल्होरो, अयूब कंधरो सहित 300 से अधिक सिंधियों को गायब कर दिया गया है। पाकिस्तान के सिंध सूबे के कई दशक से सिन्धी पाकिस्तान से अलग होने के लिए ‘जीए सिन्ध’आन्दोलन चलाए हुए हैं और ‘सिंधदेश’बनाने को संघर्षरत हैं। इसी इलाके से सबसे ज्यादा हिन्दू युवतियों को अगवा कर जबरदस्ती मुसलमान मजहब कबूल कराकर उनका मुसलमान से निकाह कराया जाता है, जिसमें पुलिस-प्रशासन,सरकार का पूरा हाथ होता है।
इसी मंच पर बलूच छात्र संगठन की पूर्व अध्यक्ष करीमा बलूच ने अपने ऊपर हुए जुल्मों के साथ-साथ बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन के मामलों की जानकारी भी दी। उनके मुताबिक उनके चाचा नूर अहमद गाँव में शिक्षक थे। 28 जुलाई, सन् 2016को मेरे जान बचाकर कनाडा भागने के बाद पाकिस्तानी सेना ने दर्जनों गवाहों के सामने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और मुझ पर आत्मसमर्पण करने का दबाव बनाया। मेरे ऐसा न करने पर उन्हें मार डाला। बलूचिस्तान में हत्या की ऐसी सैकड़ों वारदाते हैं। स्वतंत्र और अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के अनुसार बलूचिस्तान से लगभग 20 हजार लोगों को अपहरण कर लिया गया है,जबकि 2500 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी गई है। पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 46 फीसदी के लगभग है,जो प्राकृतिक गैस, तांबे समेत कई ंदूसरे खनिजों से मालामाल है। फिर भी इस इलाके लोग बेहद गरीब और बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। उनके साथ पाकिस्तान सरकार दोयम दर्जे के लोगों जैसा बर्ताव करती आयी है। गुलाम कश्मीर की तरह ही इस इलाके पर पाकिस्तान ने हमला कर जबरदस्ती कब्जा किया हुआ है।
सन् 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान( वर्तमान बांग्लादेश) में पाकिस्तान ने अपने हममजहबी बंगाली मुसलमानों को दोयम दर्जे का मुसलमान/डरपोक/कमजोर समझते हुए उनका नरसंहार/जेनासाइड में करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उस दौरान पाकिस्तान फौज ने 30लाख बंगालियों का बेहरमी से कत्ल करने के साथ साजिश के तहत कोई चार लाख बंगाली स्त्रियों के साथ बलात्कार भी किया ,ताकि उनके कोख से अपनी नस्ल के बच्चे पैदाकर इस इलाके की जनांकिकी को बदला जा सके। हर उम्र की इन बंगाली महिलाओं को पाकिस्तानी सेना ने 26 मार्च,1971 से 16दिसम्बर सन् 1971तक अपनी कैद में रखा, जहाँ उनके साथ हर रोज सामूहिक बलात्कार किया जाता था। इनमें बड़ी संख्या मंे नाबालिग लड़कियाँ भी थीं। इसी मुद्दे से जुड़ी पत्रकार अमिता मलिक की रिपोर्ट के मुताबिक 16 दिसम्बर, सन् 1971को आत्मसमर्पण के वक्त एक पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी का कहना था कि हम भले ही यहाँ से जा रहे हैं,पर अपने बीज यहाँ छोड़े जा रहे हैं। बाद में इसी वजह से बड़ी संख्या में इन महिलाओं के गर्भपात करा कर उन्हें नाजायज गर्भ से छुटकारा दिलाया गया। उस समय पाकिस्तानी फौज के जुल्म के डर से पूर्वी पाकिस्तान से कोई एक करोड़ लोगों ने भारत में शरण ली थी।उन पर जुल्मों की दास्तानों से आर.जे.रूमेल लिखी ‘डेथ बाय गवर्नमेण्टः जेनोसाइड एण्ड मास मर्डर’ तथा स्पेन के प्रोफेसर बेलेन मार्टिन लुकास तथा प्रख्यात अँग्रेजी भाषा के लेखक मुल्कराज आनन्द की पुस्तकें भरी पड़ी हैं। ह्यूमन राइटस वाच के अनुसार पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में 17लोग फाँसी की कतार में हैं। सैकड़ों मुकदमे का दंश झेल रहे हैं।ईश निंदा के मामले में सजा काट रही 47साल की आसिया बीबी की सजा माफ करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जब उन्हें छोड़े जाने का आदेश दिया,तो कट्टरपन्थियों ने बहुत ज्यादा मुखालफत की। वर्तमान में गुलाम कश्मीर, सिंध, बलूचिस्तान, गिलगिट-बाल्टिस्तान समेत पाकिस्तान के कई हिस्सों में असन्तोष की आग धधक रही है,जो कभी भी ज्वालामुखी बन कर फट सकती है।
अब पाकिस्तान का दहशतगर्दो का सबसे बड़ा अड्डा बना हुआ है,जहाँ अब भी चालीस-पचास दहशतगर्द संगठनों के चालीस 40 हजार से अधिक दहशतगर्द रह रहे हैं,यह हकीकत खुद प्रधानमंत्री इमरान खान भी कबूल कर चुके हैं। इसी मुल्क से अलकायदा के दहशतगर्दों ने 9 नवम्बर, 2001में अमेरिका के ‘विश्व व्यापार संगठन’(डब्ल्यू.टी.ओ.) के कार्यालय की दो गगनचुम्बियों इमारतों से विमान टकरा कर तथा 26 नवम्बर, 2008 को मुम्बई पर दहशतगर्दों ने अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया था। उसके बाद से पाकिस्तान के पाले-पोसे दहशतगर्द आज पूरी दुनिया में दहशत फैलाए हुए हैं, वही पाकिस्तान अब भारत पर जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी मुसलमानों पर जुल्म ढहाने का फर्जी इल्जाम लगाता फिर रहा है ,जो दुनिया में खुद इंसानियत का सबसे बड़ा गुनाहगार है।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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