डॉ.बचन सिंह सिकरवार

रमजान के पाक महीने में पाकिस्तान में सरकार के शह पर कट्टरपन्थियों ने जिस तरह से अपने यहाँ के अल्पसंख्यक हिन्दुओं और ईसाइयों से जोरजबदस्ती के जरिए इस्लाम कुबूलवाने और उनकी बस्तियों को जला डालने तथा उनके घरों पर बुलडोजर चलाकर जमी्रदोज करने की वारदातों को अंजाम दिया, उसे देखकर हैवानियत और दरिन्दगी भी शर्मसार हो गयी होगी। इस दौरान पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भी पड़ोसी मुल्क भारत की सरहदों पर बगैर किसी उकसावे के जिस लगातार जंगबन्दी के खिलाफ गोलीबारी करते रहे है, ,उसे देखते हुए पाक के हुकूमरानों के इस्लाम के सच्चे मुजाहिद होने पर शक होना लाजिमी है। क्या रमजान के महीने के सही माने नहीं ये लोग जानते ? अगर जानते होते ,तो क्या इस पाक महीने में ऐसी गैर इस्लामिक और नापाक हरकतेे करते? रमजान में हर मुसलमान रोजा रखने के साथ पाँच वक्त नमाज पढ़ता और जकात भी करता है। रोजेदार अपनी इन्द्रियों पर काबू रखने के साथ-साथ न गलत ख्याल रखता है और न ही गलत बोलता है। ये कैसे खुदा के बन्दे है? जिन्होंने बेबस, बेकसूर, लाचारों, मुफलीसों पर जुल्म ढहाते हुए खुदा के कहर की कोई परवाह नहीं की।
वैसे जब कोरोना वायरस से फैली महामारी के दौरान दुनियाभर के मुल्कों की सरकारें अपने लोगों को घरों में रहने को कह रही हैं। फिर जब गर्मी अपने चरम पर है, ऐसे खतरनाक वक्त में पाकिस्तान सरकार के इशारे पर उसके आवास मंत्री तारिक बशीर चीमा की अगुवाई में पंजाब सूबे के बहावलपुर में हिन्दुओं के मकानों पर बुलडोजरों चला कर उन्हें जमींदोज किया। ऐसा करके भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में उन्हें बेघर कर दिया। जब यह हैवानियत का खेल खेला जा रहा था,उस वक्त पाक सरकार के मुख्यसूचना अधिकारी शाहिद खोखर भी मौजूद थे, जो उन रोती-बिलखती महिलाओं, बच्चों, बूढ़े और दूसरे लोगों को देखते रहे, पर खुदा के इन बन्दों में से किसी ने उन पर जरा भी रहम नहीं खाया। क्या सिर्फ इसलिए कि वे काफिर(गैर मुस्लिम) थे? बाद में संचार माध्यमों पर प्रसारित उस वारदात की तस्वीरों में मंत्री तारिक बशीर चीमा और मुख्य सूचना अधिकारी शाहिद खोखर की हैवानियत देखकर दुनियाभर के लोगों के दिल दहल उठे, लेकिन ये जुल्म ढहाने वाले इन दोनों जालिमों के चेहरे पर शिकन तक नहीं आयी। वैसे करीब-करीब ऐसी ही एक वारदात कुछ समय पहले पंजाब सूबे के ही खानवेल जिले में भी हो चुकी है, जब प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ’ के एक असरदार नेता के इशारे पर ईसाई समुदाय के घरों और कब्रिस्तान को तहस-नहस कर दिया गया था।

ये वारदातें तब हो रही हैं, जब ‘पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग’(एच.आर.सी.पी.)द्वारा अक्लियतों ( अल्पसंख्यकों ) के हकों की हिफाजत करने में सरकार पर नाकाम रहने के लिए जोरदार लताड़ लगायी थी, तब उसने कहा था कि पिछले कुछ सालों में अक्लियतों पर मजहबी वजहों से हमले हो रहे हैं,पर इस खूंरेजी(हिंसा) और गैर बराबरी को खत्म करने की तरफ सरकारी की ओर से कोई कोशिश नहीं की गई है। वैसे तो पाकिस्तान में अक्लियतों पर जुल्म-सितम ढहाने की वारदातों की फेहरिस्त बहुत लम्बी है, जिसका जिक्र किया जाना बहुत मुश्किल है।
रमजान माह में सिन्ध सूबे में तब्लीगी जमात हिन्दुओं को जबरन इस्लाम कुबूल कराने में बराबर लगी रही है। इसके लिए वह हिन्दुओं को ना केवल यातनाएँ दी जाती है, बल्कि उनके घरों को भी जमींदोज कर दिया जाता है।जो ऐसा नहीं करते, एक हिन्दू नौजवान को गुण्डों से उठवा लिया गया है।इसकी मुखालफत में हिन्दुओं द्वारा लगातार जुलूस निकाले गए हैं,फिर भी उसका अब तक पता नहीं चला है। पाक में हिन्दू किशोरियों और युवतियों के अपहरण की वारदातों की खबरें अक्सर आती ही रहती हैं।
हाल में सिन्ध सूबे में भील हिन्दू से जबरन इस्लाम कुबूल कराया। उसके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध -प्रदर्शन हुए हैं। इनमें बड़ी तादाद में महिलाओं और बच्चों ने हाथ से लिखे पोस्टर पकड़ हुए थे, जिन पर लिखा था-‘‘ हम मरना पसन्द करेंगे, लेकिन कभी इस्लाम कुबूल नहीं करेंगे।’’ उसमें शामिल एक महिला का कहना था कि हमारी जायदाद पर कब्जा कर लिया गया और घरों मे तोड़फोड़ की गई। हम लोगों को पीटने के साथ ही कहा जा रहा है कि अगर घर चाहिए, तो इस्लाम अपनाना होगा।
एक अन्य वायरल वीडियों में एक महिला जमीन पर लेटी हुई बेटे को रिहा करने के लिए जमात से भीख माँग कर रही है।उसके बेटे का तब्लीग जमात ने उठवा लिया है। पाकिस्तान के सिन्ध और पंजाब सूबे में हिन्दुओं तथा ईसाइयों का उत्पीड़न बड़े पैमाने पर जारी है।
इन घटनाओं से कुछ समय पहले पाकिस्तान के सिन्ध सूबे मे नवाब शाह की मस्जिद के इमाम हामिद कादरी ने एक हिन्दू जोड़े को जबरन इस्लाम कुबूल कराया था। उस वक्त बरेलवी आन्दोलन के नुमाइन्दे और पाकिस्तान में इस्लामिक मजहबी संगठन ‘जमात अहले सुन्नत’ के नेता भी मौजूद थे, जो प्रधानमंत्री इमरान खान के बहुत निकट हैं। इनमें इमाम हामिद कादरी तो सिन्ध प्रान्त में बाकायदा हिन्दुओ और ईसाइयों को इस्लाम कुबूल कराने की मुहिम चला रहा है। कुछ समय पहले एक गुरुद्वारे से सिख युवती का अपहरण कर उसका निकाह मुसलमान युवक से करा दिया गया था। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक हर साल एक हजार से बारह सौ युवतियों का अपहरण कर उन्हें जबरन इस्लाम कुबूल कराया जाता है,फिर उनका किसी मुसलमान निकाह से करा दिया जाता है। बाद में इनमें से कुछ को चीनियों को बेच दिया जाता है,तो कुछ को वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है। इस वजह से हिन्दू ,ईसाई, सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत और दूसरे देशों में बसने को मजबूर हैं। जिस पाकिस्तान में उसके बनाने के वक्त 23 फीसद से अधिक हिन्दू रह गए थे, अब महज 1.6 प्रतिशत बचे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तान में हिन्दू और दूसरे अल्पसंख्यकों पर होने वाले जुल्मों पर वे सभी चुप रहते हैं, जिन्हें गाय तस्कर या चोर समझ कर भीड़ की हिंसा के शिकार होने पर न केवल पूरे भारत में असहिष्णुता दिखायी देती है,वरन् यह मुल्क भी रहने के लायक नजर नहीं आता है। वे ही रमजान के पाक महीने में पाकिस्तान में अक्लियतों पर हो रहे जुल्मों पर बेशर्मी से खामोशी की चादर ओढ़े रहे हैं। ऐसे फर्जी सेक्यूलर, मानवाधिकारों के हिमायतियों ,इन्सानियत -इन्सानियत का शोर मचाने वालो को अब बेनकाब किया जाना चाहिए।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003,मो.नम्बर-9411684054
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