
डॉ.बचन सिंह सिकरवार
पिछले दिनों ‘विश्व हिन्दू परिषद्’ की एक रिपोर्ट में हरियाणा के मेवात इलाके में मुस्लिम कट्टपन्थियों द्वारा गैरकानूनी मस्जिदें मजारें, मदरसे बनाकर उनसे मुल्क के खिलाफ की जाने वाली अपनी गतिविधियाँ छुपाने को हिन्दुओं पर जुल्म ढहा कर उन्हें पिछले 25 सालों में यहाँ 50 गाँवों से अपने घर-द्वार छोड़ने को मजबूर किये जाने को लेकर, अब जो सनसनीखेज खुलासा किया है वह अत्यन्त दुखद और रोंगेट खड़े कर देने वाला है, क्योंकि अपना घर छोड़कर कोई यूँ नहीं चला जाता। वैसे हैरानी-परेशानी की बात यह है कि अब तक राज्य और केन्द्र सरकारों को हिन्दुओं पर एक समुदाय के कुछ लोगों द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न और अत्याचारों का पता क्यों नहीं चला? उनसे पीड़ित हिन्दुओं ने भी कभी उन आताताइयों की शिकायत अपने जनप्रतिनिधियों और शासन-प्रशासन से क्यों नहीं की? शासन-प्रशासन कोई कभी इन पर हो रहे जुल्मों की भनक क्यों नहीं लगी?
मेवात इलाके के नूंह जिले के गाँवों से हिन्दुओं के पलायन की सच्चाई का पता लगाने को गठित ‘विश्व हिन्दू परिषद्’ की इस समिति में सेवानिवृत जनरल जी.डी.बख्शी , स्वामी धर्मदेव, एडवोकेट चन्दकान्त शर्मा रहे हैं, जिनकी रिपोर्ट पर सवाल खड़े नहीं किये जा सकते।

इन्होंने अब अपनी रिपोर्ट में हिन्दुओं के उत्पीड़न की कई वारदातों को जिक्र भी किया है। वैसे मेवात इलाके में कुछ सौ साल पहले बड़ी तादाद में हिन्दुओं से मतान्तरित हुए मुसलमान बसते हैं, जो सालो-साल बहुत से रीति-रिवाज भी हिन्दुओं के मानते थे। लेकिन इस्लामिक कट्टरपन्थियों की तब्लीगी जमात ने उन्हें मजहबी कट्टर बना दिया। यह पूरा इलाका तब्लीगी जमात का बहुत बड़ा अड्डा बना हुआ है। इन कट्टरपन्थियों को देस-विदेश से बड़े पैमाने पर मस्जिद, मदरसों के नाम पर धन मिलता है, जिसका इस्तेमाल ये लोग उस जगह को ‘दारुल इस्लाम’ में तब्दील करने के मकसद में लगाते हैं। इसके लिए पहले अपने मजहबियों को दूसरे धर्म-पन्थ,सम्प्रदायों के लोगों से दूर रखने को कहते हैं। फिर वहाँ के लोगों पर तरह-तरह से मतान्तरित होने का दाबव बनाते हैं। ऐसा न करने पर उनका उत्पीड़न कर उन्हें पलायन को मजबूर किया जाता है। निजामुद्दीन स्थित तब्लीग जमात का एक बड़ा अड्डा नूंह में बताया जाता है। कुछ समय पहले इसी इलाके में विदेशी धन से एक विशाल मस्जिद बनाये जाने की खबर भी आयी थी, जिसमें लगे धन का स्रोत पता करने की बात भी तब कही गई थी।
वैसे मजहबी कट्टरपन्थियों ने ऐसा सिर्फ मेवात में किया हो, ऐसा नहीं है। ऐसी ही वारदातें देशभर के कई दूसरे इलाकों/जगहों पर होती आयी हैं, जहाँ कहीं खुद को अल्पसंख्यक समुदाय का बताने वाले ज्यादा तादाद में हैं ,वहीं उन्होंने दूसरे मजहब के लोगों का जीना दुश्वार कर दिया। देश में इसका सबसे बड़ा उदाहरण जम्मू-कश्मीर है, जहाँ इस्लामिक कट्टरपन्थियों ने अब से कोई तीन दशक पहले कोई चार लाख कश्मीरी पण्डितों को रातों-रात अपना सबकुछ छोड़ने को मजबूर किया था। इसके लिए उन्होंने उनकी स्त्रियों के साथ बलात्कार तथा बड़ी संख्या में उनकी हत्याएँ कीं। बाद में उनके घरों, खेतो,बागों पर कब्जा कर लिया तथा मन्दिरों को खण्डहरों में तब्दील कर दिया। उसके बाद से ये लोग अब तक जम्मू में शरणार्थी शिविरों तथा देश के अलग-अलग शहरों में खानाबदोश की तरह रह रहे हैं। लेकिन आज तक खुद को कथित पंथनिरपेक्ष सियासी पार्टी बताने वाली काँग्रेस ,वामपन्थियों पार्टियों, सपा, बसपा आदि ने इस मामले में अपनी जुबान खोलने की जहमत नहीं उठायी है, पर जब -जब सुरक्षाबलों ने इस्लामिक कट्टरपन्थी अलगाववादियों और दहशतगर्दों के खिलाफ कार्रवाई की ,तो उसमें उन्हें नरसंहार और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन/हनन दिखायी दिया है। इन सियासी पार्टियों को हर जुम्मे/शुक्रवार को नमाज के बाद हाथ में पाकिस्तानी और इस्लामिक दहशतगर्द संगठन ‘आइ.एस. के झण्डे लिए पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसाते युवाओं में भी कभी कोई खोट दिखायी नहीं दिया। पिछले कई साल से पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में इस्लामिक कट्टरपन्थियों ने हिन्दुओं का रहना दुश्वार कर दिया था। उनका भी बड़े पैमाने पर पलायन हुआ। इसका एक बड़ा उदाहरण कैराना है, पर राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद इस स्थिति में बदलाव आया है। पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं पर इनके उत्पीड़न की खबरें आती ही रहती हैं, पर राज्य सरकार पीड़ित हिन्दुओं की नहीं, उन पर जुल्म ढहाने वालों की तरफदारी करती आयी है। केरल में मुस्लिम युवा ‘लव जिहाद’ के जरिए हिन्दू, ईसाई युवतियों को प्यार के जाल में फँसाते हैं। फिर उन्हें मतान्तरित कर जेहादी संगठनों या वेश्या वृत्ति में धकेल देते हैं। वहाँ इनकी अनुचित गतिविधियों के विरुद्ध आवाज उठाने के कारण ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और दूसरे हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं की निर्ममता हत्याएँ की गईं। लेकिन वहाँ की वामपन्थी गठबन्धन या काँग्रेस मोर्चे की सरकारों का संरक्षण मिला हुआ है,ऐसे में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मी करना ही फिजूल है।
स्वतंत्रता के बाद से कुछ राजनीतिक दलों की अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की सियासत की वजह से हिन्दुओं की उपेक्षा और अनदेखी होती आयी है, इसकी वजह से इस्लामिक कट्टरपन्थियों के हौसले बढ़े हुए हैं। नतीजा हिन्दू अपने ही देश में दोयम दर्जे की जिन्दगी बसर करने को मजबूर हैं।
अब जहाँ तक हरियाणा की बात है तो इसके गठन के बाद से भले ही काँग्रेस ने अधिक समय तक तो शासन किया हो, पर यहाँ दूसरे राजनीतिक दलों समेत पिछले छह साल से अधिक से भाजपा की सरकार है, जो अपने को हिन्दुओं का सबसे बड़ा पैरोकार बताती आयी हैं, उसने भी कभी हिन्दुओं की तकलीफ जानने की कोशिश क्यों नहीं की? यह सवाल बहुत अखर रहा है।
अब हरियाणा सरकार को चाहिए कि वह विश्व हिन्दू परिषद् की रिपोर्ट के तथ्यों का पता करने के लिए उच्च स्तरीय जाँच कराये। फिर हिन्दुओं के उत्पीड़न और गैरकानूनी मस्जिद, मदरसों, मजारों से देश विरोधियों हरकतों के लिए सभी दोषियों को पता कर उन्हें नमूने की सजा दिलाये, ताकि अपनी धरती पर अपने ही मुल्क के खिलाफ काम करने की कोई जुर्रत न करे।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054
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